दिल्ली: स्टाफ सलेक्शन कमीशन (SSC) की परीक्षा प्रक्रिया में कथित धांधली और अनियमितताओं को लेकर छात्रों और शिक्षकों ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। देशभर में प्रदर्शन तेज हो गए हैं, जिसमें SSC कार्यालयों के बाहर धरने और रैलियां देखी जा रही हैं। इस बीच, सरकार ने संसद में खाली पदों और भर्ती प्रक्रिया पर बयान दिया है, जो चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
छात्रों का गुस्सा और शिक्षकों का साथ
SSC की हाल की भर्ती परीक्षाओं, खासकर सिलेक्शन पोस्ट फेज 13 (24 जुलाई से 1 अगस्त 2025 तक), में तकनीकी खामियों, परीक्षा रद्दीकरण, और केंद्रों पर अभ्यर्थियों के साथ कथित दुर्व्यवहार ने छात्रों को सड़कों पर उतार दिया है। इस आंदोलन में शिक्षक भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो गए हैं। दिल्ली के जंतर-मंतर और सीजीओ कॉम्प्लेक्स जैसे स्थानों पर “दिल्ली चलो” अभियान के तहत बड़े प्रदर्शन हुए, जहां पुलिस कार्रवाई की भी खबरें आईं।
छात्रों की प्रमुख मांगे
प्रदर्शनकारी छात्रों ने कई मांगें रखी हैं, जिनमें शामिल हैं:
- परीक्षा प्रक्रिया में सुधार: तकनीकी खामियों को दूर करने और निजी एजेंसियों की जगह SSC को स्वयं परीक्षा संचालित करने की मांग।
- वर्तमान वेंडर की बर्खास्तगी: मौजूदा परीक्षा संचालन एजेंसी, जिसे तकनीकी असफलताओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, को हटाने की अपील।
- आगामी परीक्षाओं में बदलाव: SSC CGL और CHSL जैसी बड़ी परीक्षाओं को स्थगित कर नए तारीखों की घोषणा।
- जांच और पारदर्शिता: परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताओं की स्वतंत्र जांच और परिणामों की समयबद्ध घोषणा।
सरकार का संसद में बयान
संसद में हाल ही में हुई चर्चा के दौरान, मोदी सरकार ने बताया कि केंद्रीय विभागों में करीब 8-10 लाख पद खाली हैं, जिन्हें भरने की प्रक्रिया जारी है। कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन विपक्ष ने इस बयान को अपर्याप्त करार देते हुए छात्रों की मांगों पर ध्यान देने की अपील की। सरकार ने SSC की ओर से निजी वेंडरों के साथ साझेदारी को तकनीकी उन्नयन का हिस्सा बताया, हालांकि छात्र इसे असफलता का कारण मान रहे हैं।
आंदोलन की गूंज
सोशल मीडिया पर #SSCMisManagement और #JusticeForAspirants जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां छात्र अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। कई लोगों ने वित्तीय नुकसान और भावनात्मक तनाव की बात कही है, जो दूर-दराज के केंद्रों पर परीक्षा रद्द होने से हुआ। शिक्षक भी इस लड़ाई में छात्रों के साथ हैं, यह कहते हुए कि शिक्षा प्रणाली को मजबूत करना सरकार की जिम्मेदारी है।