नई दिल्ली | भारतीय राजनीति में मंगलवार को उस समय एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को मंजूर कर लिया। गृह मंत्रालय को इसकी औपचारिक स्वीकृति भेज दी गई है और अब केवल गजट नोटिफिकेशन जारी होने की प्रक्रिया बाकी है। धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन इस कदम ने राजनीतिक गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
मानसून सत्र के पहले दिन हलचल
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की खबर संसद के मानसून सत्र के पहले दिन सामने आई, जिसने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया। गृह मंत्रालय ने राज्यसभा को इस इस्तीफे की जानकारी अधिसूचना के माध्यम से दी। धनखड़ ने राष्ट्रपति को सौंपे अपने त्यागपत्र में लिखा, “स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सीय सलाह के पालन के लिए मैं तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं।” इस खबर ने सियासी हलकों में तीव्र चर्चा को जन्म दिया है।
स्वास्थ्य रहा चिंता का कारण
74 वर्षीय जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति का पदभार संभाला था। उनका कार्यकाल 2027 तक था, लेकिन हाल के महीनों में उनकी सेहत चिंता का विषय बनी रही। मार्च 2025 में उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती होना पड़ा था और हाल ही में उनकी एंजियोप्लास्टी भी हुई थी। इन स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया।
पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धनखड़ के योगदान की सराहना करते हुए सोशल मीडिया मंच X पर एक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा, “जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति और अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाओं में देश की सेवा की है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। मैं उनके स्वस्थ और सुखमय भविष्य की कामना करता हूं।” पीएम की इस पोस्ट ने धनखड़ के कार्यकाल की गरिमा को रेखांकित किया।
नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू
राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा इस्तीफे की मंजूरी के साथ ही नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। अगले कुछ दिनों में इस पद के लिए संभावित उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा तेज होने की संभावना है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह नियुक्ति सत्ताधारी गठबंधन और विपक्ष के बीच एक नया सियासी समीकरण बना सकती है।
धनखड़ का राजस्थान से गहरा नाता
राजस्थान के मूल निवासी धनखड़ का इस राज्य से गहरा जुड़ाव रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई मौकों पर किसानों और सामाजिक मुद्दों को मजबूती से उठाया। उनके इस अचानक इस्तीफे ने न केवल राष्ट्रीय राजनीति में, बल्कि राजस्थान में भी कई सवाल खड़े किए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इस इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य के अलावा अन्य सियासी कारण भी हो सकते हैं।
क्या है अगला कदम?
धनखड़ के इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय शुरू कर दिया है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और यह नियुक्ति कब तक पूरी होगी। साथ ही, संसद के मानसून सत्र में इस मुद्दे पर विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच क्या रुख सामने आता है, यह भी देखना महत्वपूर्ण होगा। इस बीच, धनखड़ के स्वास्थ्य लाभ की कामना पूरे देश में की जा रही है।