टोंक | राजस्थान के टोंक जिले के बहुचर्चित समरावता हिंसा और एसडीएम थप्पड़ कांड में पिछले आठ महीनों से टोंक जेल में बंद नरेश मीणा को राजस्थान हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। नगरफोर्ट थाने में दर्ज FIR नंबर 167/24 (आगजनी और उपद्रव) के मामले में शुक्रवार, 11 जुलाई को हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका स्वीकार की। आज टोंक की SC/ST कोर्ट में बेल बॉन्ड की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नरेश मीणा की दोपहर तक जेल से रिहाई होने की संभावना है। रिहाई के बाद वे समरावता गांव का दौरा कर सकते हैं, जहां भारी भीड़ जुटने की आशंका के चलते जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।
नरेश मीणा, जो राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ महासचिव और कांग्रेस के बागी नेता हैं, ने 13 नवंबर 2024 को देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान समरावता गांव में मतदान के दिन उपखंड अधिकारी (एसडीएम) अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। यह घटना तब हुई जब समरावता के ग्रामीणों ने अपने गांव को देवली के बजाय उनियारा उप-मंडल में शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। नरेश मीणा ने ग्रामीणों का समर्थन करते हुए प्रशासन पर जबरन मतदान करवाने का आरोप लगाया था। इसके बाद, उनके समर्थकों ने पोलिंग बूथ पर हंगामा किया, पुलिस पर पथराव किया और वाहनों में आग लगा दी। नरेश को पुलिस हिरासत से छुड़ाने की कोशिश भी की गई, लेकिन अगले दिन 14 नवंबर 2024 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस ने इस मामले में चार FIR दर्ज कीं, जिनमें एसडीएम को थप्पड़ मारने, हिंसा और आगजनी, हाईवे जाम करने, और ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप शामिल थे। कुल 59 लोग नामजद किए गए, जिनमें से 52 को कोर्ट में पेश किया गया।
नरेश मीणा की जमानत याचिका पर कई बार सुनवाई हुई। जनवरी 2025 में हाईकोर्ट ने समरावता हिंसा मामले में उनकी जमानत खारिज कर दी थी। मई 2025 में एसडीएम थप्पड़ कांड (FIR नंबर 166/24) में उन्हें जमानत मिली, लेकिन हिंसा मामले में जमानत लंबित होने के कारण वे जेल में रहे। 11 जुलाई 2025 को जस्टिस प्रवीर भटनागर की एकलपीठ ने उनके वकील फतेहराम मीणा के तर्कों को स्वीकार करते हुए जमानत दे दी। वकील ने तर्क दिया कि इस मामले में पर्याप्त सबूत नहीं हैं और 61 अन्य आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है।
सूत्रों के अनुसार, जेल से रिहा होने के बाद नरेश मीणा समरावता गांव जा सकते हैं, जहां उनके समर्थकों की भारी भीड़ जुटने की संभावना है। टोंक जिला प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है। मीणा समाज और नरेश के समर्थकों ने उनकी रिहाई की मांग को लेकर कई आंदोलन किए थे। समरावता सहित 28 गांवों को उनियारा उप-मंडल में शामिल करने की मांग पूरी हो चुकी है, जिसे नरेश की इस घटना का परिणाम माना जा रहा है।
देवली-उनियारा उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नरेश मीणा ने 59,345 वोट हासिल किए थे, जिससे कांग्रेस की उम्मीदवार कस्तूर चंद मीणा की जमानत जब्त हो गई थी। इस सीट पर बीजेपी के राजेंद्र गुर्जर ने जीत दर्ज की थी। नरेश मीणा, जो पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के करीबी माने जाते हैं, की रिहाई से टोंक और राजस्थान की सियासत में नई हलचल की उम्मीद है।
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