टोंक: राजस्थान के टोंक जिले के जनाना अस्पताल (MCH) में एक मुस्लिम इंटर्न छात्रा के हिजाब पहनने को लेकर हुए विवाद ने तूल पकड़ लिया है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर बिंदु गुप्ता और इंटर्न छात्रा के बीच ड्यूटी के दौरान हिजाब पहनने को लेकर हुई बहस का वीडियो वायरल होने के बाद यह मामला राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बन गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने डॉक्टर के समर्थन में उतरते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, जबकि मुस्लिम संगठन और कांग्रेस पार्टी इंटर्न छात्रा के पक्ष में खड़े हैं।
16 अगस्त 2025 को टोंक के जनाना अस्पताल में इंटर्न छात्रा उमेमा ने हिजाब पहनकर ड्यूटी शुरू की। इस पर डॉक्टर बिंदु गुप्ता ने आपत्ति जताते हुए कहा कि अस्पताल में ड्यूटी के दौरान चेहरा साफ दिखना चाहिए, ताकि मरीज कर्मचारी की पहचान कर सकें। डॉक्टर ने हिजाब हटाने की सलाह दी, जिसका छात्रा ने विरोध किया और इस घटना का वीडियो रिकॉर्ड कर लिया। वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद बढ़ गया।
बीजेपी जिलाध्यक्ष चन्द्रवीर सिंह चौहान के नेतृत्व में पार्टी नेताओं ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर डॉक्टर बिंदु गुप्ता का समर्थन किया। उन्होंने मांग की कि अस्पताल जैसे सरकारी संस्थानों में धर्म और आस्था के नाम पर राजनीति न हो और सरकारी नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए। चौहान ने मीडिया से बातचीत में कहा, “कुछ कांग्रेसी नेता और इंटर्न छात्रा इस मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहते हैं, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अस्पताल में सेवा और पेशेवर आचरण सर्वोपरि होना चाहिए।”
वीडियो वायरल होने के बाद मुस्लिम संगठनों ने डॉक्टर बिंदु गुप्ता के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए जनाना अस्पताल प्रभारी से मुलाकात की और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। संगठनों का कहना है कि हिजाब मुस्लिम महिलाओं की आस्था और पहचान का हिस्सा है, और इसे ड्यूटी के दौरान पहनने से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी भी इंटर्न छात्रा के समर्थन में उतर आई है। पार्टी का कहना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का मामला है, और डॉक्टर का हिजाब पर आपत्ति जताना अनुचित है।
पुलिस ने इस मामले में कहा कि अभी तक कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई है। हालांकि, वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस सतर्क है और स्थिति पर नजर रखे हुए है।
यह विवाद अब सरकारी संस्थानों में धार्मिक प्रतीकों के उपयोग के सवाल को लेकर व्यापक बहस का विषय बन गया है। बीजेपी इसे नियम और अनुशासन का मामला बता रही है, जबकि कांग्रेस और मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्वतंत्रता से जोड़ रहे हैं। स्थानीय स्तर पर भी समाज दो हिस्सों में बंट गया है। एक तबका मानता है कि अस्पताल में मरीजों की सेवा सर्वोपरि होनी चाहिए और धार्मिक प्रतीकों को बीच में नहीं लाना चाहिए, जबकि दूसरा तबका हिजाब को व्यक्तिगत अधिकार और आस्था का हिस्सा मानता है।
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