राजस्थान में आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद स्वायत्त शासन विभाग ने 13 सूत्री गाइडलाइन जारी की है। सभी नगरीय निकायों को 30 दिनों के भीतर इन दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है, अन्यथा सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। यह कदम जन सुरक्षा और पशु कल्याण दोनों को संतुलित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
नई गाइडलाइन में आवारा कुत्तों के प्रति मानवीय व्यवहार पर जोर दिया गया है। इसके मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
शासन सचिव रवि जैन ने बताया कि ये दिशानिर्देश पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के अनुरूप हैं और इनका उद्देश्य जन सुरक्षा के साथ-साथ पशु कल्याण सुनिश्चित करना है। हाल ही में भीलवाड़ा में कुत्तों के साथ क्रूरता के मामले में छह कर्मचारियों को निलंबित किया गया था, जिसके बाद सरकार ने स्पष्ट किया कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2003 के तहत कार्रवाई होगी।
गाइडलाइन में सामुदायिक भागीदारी पर विशेष जोर दिया गया है। फीडिंग पॉइंट्स के लिए स्थानीय निवासी कल्याण समितियों और पशु कल्याण संगठनों के साथ सहयोग किया जाएगा। साथ ही, नसबंदी और टीकाकरण के लिए केवल पशु कल्याण बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) से मान्यता प्राप्त एजेंसियों को ही ठेके दिए जाएंगे। काली सूची में शामिल एजेंसियों पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
यह गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद आई है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर सहित अन्य क्षेत्रों में आवारा कुत्तों को शेल्टर में स्थानांतरित करने और उनकी नसबंदी व टीकाकरण पर जोर दिया गया था। राजस्थान सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की है, ताकि मानवीय और वैज्ञानिक तरीके से कुत्तों की आबादी को नियंत्रित किया जा सके।
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