राजस्थान में आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश: 13 सूत्री गाइडलाइन जारी, 30 दिन में पालन अनिवार्य

राजस्थान में आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद स्वायत्त शासन विभाग ने 13 सूत्री गाइडलाइन जारी की है। सभी नगरीय निकायों को 30 दिनों के भीतर इन दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है, अन्यथा सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। यह कदम जन सुरक्षा और पशु कल्याण दोनों को संतुलित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

प्रमुख दिशानिर्देश: मानवीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

नई गाइडलाइन में आवारा कुत्तों के प्रति मानवीय व्यवहार पर जोर दिया गया है। इसके मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

  1. नसबंदी पर नियम: छह महीने से कम उम्र के पिल्लों और पिल्लों वाली मादा कुत्तों की नसबंदी नहीं की जाएगी। इससे पशुओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई है।
  2. फीडिंग पॉइंट्स: प्रत्येक वार्ड और क्षेत्र में कुत्तों की संख्या का आकलन कर उनके लिए निर्धारित खाना खाने की जगह (फीडिंग पॉइंट्स) बनाए जाएंगे। इन स्थानों को बोर्ड लगाकर चिह्नित किया जाएगा ताकि व्यवस्था पारदर्शी रहे।
  3. प्रशिक्षित कर्मचारी: कुत्तों को पकड़ने के लिए केवल प्रशिक्षित कर्मचारियों को नियुक्त किया जाएगा। जाल या हाथ से पकड़ने की अनुमति होगी, लेकिन टॉक्स, तार, फंदे या अन्य हानिकारक उपकरणों का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित है।
  4. खर्च का निर्धारण: कुत्तों को पकड़ने के लिए 200 रुपये और नसबंदी, भोजन व देखभाल के लिए 1450 रुपये तक का खर्च निर्धारित किया गया है।
  5. नसबंदी और टीकाकरण केंद्र: प्रत्येक नगरीय निकाय में नसबंदी और टीकाकरण के लिए समर्पित केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जहां सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
  6. निगरानी समिति: हर नगरीय निकाय में एक निगरानी समिति गठित होगी, जिसमें पशु कल्याण कार्यकर्ताओं और अधिकारियों को शामिल करना अनिवार्य होगा। यह समिति नियमित रूप से नसबंदी, टीकाकरण और रिहाई की प्रक्रिया की समीक्षा करेगी।
  7. रिकॉर्ड रखरखाव: कुत्तों को पकड़ने, नसबंदी, टीकाकरण और रिहाई की प्रक्रिया का फोटो और वीडियो के साथ रिकॉर्ड रखा जाएगा।

क्रूरता पर सख्ती: भीलवाड़ा में निलंबन का उदाहरण

शासन सचिव रवि जैन ने बताया कि ये दिशानिर्देश पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के अनुरूप हैं और इनका उद्देश्य जन सुरक्षा के साथ-साथ पशु कल्याण सुनिश्चित करना है। हाल ही में भीलवाड़ा में कुत्तों के साथ क्रूरता के मामले में छह कर्मचारियों को निलंबित किया गया था, जिसके बाद सरकार ने स्पष्ट किया कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2003 के तहत कार्रवाई होगी।

पारदर्शिता और सामुदायिक भागीदारी

गाइडलाइन में सामुदायिक भागीदारी पर विशेष जोर दिया गया है। फीडिंग पॉइंट्स के लिए स्थानीय निवासी कल्याण समितियों और पशु कल्याण संगठनों के साथ सहयोग किया जाएगा। साथ ही, नसबंदी और टीकाकरण के लिए केवल पशु कल्याण बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) से मान्यता प्राप्त एजेंसियों को ही ठेके दिए जाएंगे। काली सूची में शामिल एजेंसियों पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन

यह गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद आई है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर सहित अन्य क्षेत्रों में आवारा कुत्तों को शेल्टर में स्थानांतरित करने और उनकी नसबंदी व टीकाकरण पर जोर दिया गया था। राजस्थान सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की है, ताकि मानवीय और वैज्ञानिक तरीके से कुत्तों की आबादी को नियंत्रित किया जा सके।