झालावाड़ | राजस्थान के झालावाड़ जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां गृह क्लेश से परेशान एक परिवार ने अपनी तीन मासूम संतानों सहित काली सिंध नदी की पुलिया पर आत्महत्या करने की कोशिश की। यदि समय रहते हाईवे पेट्रोलिंग टीम ने हस्तक्षेप न किया होता, तो यह मामला एक बड़ी त्रासदी में बदल सकता था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने लोगों के बीच गहन चर्चा और चिंता को जन्म दिया है।
काली सिंध नदी पर मंडराया मौत का साया
घटना झालावाड़ के तीनधार क्षेत्र में काली सिंध नदी की पुलिया की है। परिवार के मुखिया गोपाल गुर्जर अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ बाइक पर सवार होकर इस पुलिया पर पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि वे सभी नदी में छलांग लगाने की तैयारी में थे। इसी दौरान हाईवे पेट्रोलिंग टीम की गाड़ी वहां से गुजरी और सतर्क पुलिसकर्मियों ने परिवार को देख लिया। तुरंत कार्रवाई करते हुए पेट्रोलिंग टीम ने परिवार को रोका और उनकी काउंसलिंग शुरू की।
पेट्रोलिंग टीम की सूझबूझ ने बचाई जान
हाईवे पेट्रोलिंग टीम ने संवेदनशीलता और धैर्य के साथ परिवार से बात की। समझाइश के बाद परिवार ने आत्मघाती कदम उठाने का इरादा छोड़ दिया। इसके बाद, परिवार अपनी बाइक मौके पर छोड़कर एक बस में सवार होकर वहां से रवाना हो गया। पुलिस ने तत्काल खानपुर थाने से एक अधिकारी को जिला अस्पताल भेजा, ताकि परिवार की स्थिति का आकलन किया जा सके और आवश्यक कदम उठाए जाएं। पोस्टमार्टम की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन पुलिस ने परिजनों से रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद आगे की कार्रवाई शुरू करने की बात कही है।
गृह क्लेश और रिश्तेदारों पर आरोप
वायरल वीडियो में गोपाल गुर्जर ने अपनी पीड़ा बयां की है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में पिछले कई दिनों से गृह क्लेश चल रहा था, जिसके लिए वह अपने रिश्तेदारों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। गोपाल का कहना है कि रिश्तेदारों की ओर से मिल रही मानसिक प्रताड़ना ने उन्हें और उनके परिवार को इस हद तक परेशान कर दिया कि उन्होंने सामूहिक आत्महत्या का रास्ता चुन लिया। इस वीडियो ने न केवल सोशल मीडिया पर हलचल मचाई है, बल्कि समाज में गृह क्लेश और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर गंभीर सवाल भी खड़े किए हैं।
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू
गृह क्लेश से प्रेरित आत्महत्या की घटनाएं देशभर में बढ़ रही हैं, और यह मामला उसका एक और उदाहरण है। विशेषज्ञों का मानना है कि पारिवारिक विवाद, सामाजिक दबाव, और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी ऐसी घटनाओं को बढ़ावा दे रही है। झालावाड़ की इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि परिवारों को ऐसी परिस्थितियों से उबारने के लिए समाज और प्रशासन को क्या कदम उठाने चाहिए। हाईवे पेट्रोलिंग टीम की त्वरित कार्रवाई ने इस बार तो एक परिवार को बचा लिया, लेकिन यह घटना दीर्घकालिक समाधानों की जरूरत को रेखांकित करती है।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका
झालावाड़ पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। खानपुर थाना प्रभारी ने बताया कि परिवार के साथ प्रारंभिक बातचीत की गई है और उनकी मानसिक स्थिति को स्थिर करने के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था की जा रही है। पुलिस ने यह भी कहा कि गोपाल गुर्जर द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की जाएगी, और यदि रिश्तेदारों की ओर से कोई गलत व्यवहार पाया गया, तो उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सोशल मीडिया पर चर्चा और जनता की प्रतिक्रिया
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों ने इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ लोग हाईवे पेट्रोलिंग टीम की तारीफ कर रहे हैं, जिन्हें “तीन देवदूत” करार दिया जा रहा है। वहीं, कुछ लोग गृह क्लेश और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी पर चिंता जता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “यह बहुत दुखद है कि लोग इतने हताश हो जाते हैं कि अपने बच्चों के साथ जान देने को तैयार हो जाते हैं। समाज को इन मुद्दों पर खुलकर बात करने की जरूरत है।”