श्रीडूंगरगढ़ (बीकानेर) | बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ़ तहसील के दुलचासर और सूडसर गांव की रोही क्षेत्र में तेंदुए जैसे जंगली जानवर के देखे जाने की सूचना से ग्रामीणों में भय का माहौल बन गया था। इस खबर को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया कि यह कोई तेंदुआ नहीं, बल्कि एक दुर्लभ मरू बिल्ली (Desert Cat) थी, जिससे ग्रामीणों को राहत मिली है।
सूचना मिलते ही सहायक वन संरक्षक सत्यपाल सिंह के नेतृत्व में वन विभाग की एक विशेष टीम दुलचासर और सूडसर गांव की रोही क्षेत्र में पहुंची। टीम ने स्थानीय ग्रामीणों और किसानों के साथ संवाद स्थापित कर घटना की जानकारी जुटाई और क्षेत्र का गहन निरीक्षण किया। इस दौरान पगमार्क, पंजों के निशान और ग्रामीणों द्वारा साझा किए गए वीडियो फुटेज का बारीकी से विश्लेषण किया गया। प्रारंभिक आशंका के विपरीत, यह पाया गया कि जो जानवर को तेंदुआ समझा जा रहा था, वह वास्तव में मरू बिल्ली थी।
सहायक वन संरक्षक सत्यपाल सिंह ने बताया कि मरू बिल्ली राजस्थान के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाने वाली एक दुर्लभ और संरक्षित प्रजाति है। यह प्राणी मुख्य रूप से रात में सक्रिय रहता है और मनुष्यों के प्रति आक्रामक व्यवहार नहीं करता। उनका कहना है कि मरू बिल्ली का प्रमुख आहार चूहे, छिपकलियां, छोटे पक्षी और कीट होते हैं, जिससे यह क्षेत्र की पारिस्थितिकी में संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। इस प्रजाति को संरक्षित करने की जरूरत है, क्योंकि यह जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण योगदान देती है।
वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि उन्हें घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मरू बिल्ली मानव जीवन के लिए कोई खतरा नहीं है। सत्यपाल सिंह ने कहा, “यह जानवर शांत स्वभाव का है और आमतौर पर इंसानों से दूर रहता है। हमारा लक्ष्य इस प्रजाति के संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीणों में जागरूकता फैलाना है।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वन विभाग क्षेत्र में सतत निगरानी बनाए हुए है और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता के लिए तैयार है।
इस घटना ने ग्रामीणों को भयभीत किया था, लेकिन वन विभाग की जांच और स्पष्टीकरण से अब स्थिति सामान्य हो गई है। दुलचासर और सूडसर के ग्रामीण अब इस दुर्लभ प्रजाति के महत्व को समझ रहे हैं और वन्यजीव संरक्षण में सहयोग की बात कर रहे हैं। वन विभाग की टीम ने क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई है, ताकि भविष्य में ऐसी अफवाहों से बचा जा सके और वन्यजीवों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सके।
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