सीकर: 9 साल की स्कूली छात्रा प्राची कुमावत की हार्ट अटैक से दुखद मृत्यु, बच्चों में दिल की बीमारी पर उठे सवाल

सीकर | राजस्थान के सीकर जिले के दांतारामगढ़ में एक हृदय विदारक घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। मंगलवार, 15 जुलाई 2025 को एक स्थानीय स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ने वाली 9 वर्षीय छात्रा प्राची कुमावत की क्लास में टिफिन खोलते समय अचानक बेहोश होने के बाद मृत्यु हो गई। प्रारंभिक जांच में डॉक्टरों ने इसे हार्ट अटैक की आशंका बताया है, जिसने न केवल परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया, बल्कि बच्चों में दिल की बीमारी को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। इस घटना ने यह बहस छेड़ दी है कि क्या इतनी कम उम्र में भी बच्चों को हार्ट अटैक हो सकता है?

घटना का विवरण

जानकारी के अनुसार, 15 जुलाई की सुबह दांतारामगढ़ के एक स्कूल में प्राची कुमावत अपनी कक्षा में टिफिन खोल रही थीं, तभी वह अचानक बेहोश होकर गिर पड़ीं। स्कूल कर्मचारियों और शिक्षकों ने तुरंत उसे स्थानीय दांता अस्पताल पहुंचाया। वहां के डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि बच्ची के दिल में धड़कन नहीं थी। इसके बाद प्राची को तुरंत एंबुलेंस से सीकर के एक सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का सटीक कारण हार्ट अटैक बताया गया है, हालांकि अंतिम निष्कर्ष की पुष्टि अभी बाकी है।

प्राची के परिवार और स्कूल समुदाय में इस घटना से गहरा शोक व्याप्त है। परिजनों ने बताया कि प्राची स्वस्थ थी और उसे पहले से कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं थी। इस अचानक हुई त्रासदी ने स्थानीय समुदाय को हिलाकर रख दिया है।

बच्चों में हार्ट अटैक: कितना आम, कितना खतरनाक?

इस घटना ने बच्चों में हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों को लेकर कई सवाल उठाए हैं। आमतौर पर हार्ट अटैक को वयस्कों की बीमारी माना जाता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में भी जन्मजात हृदय रोग (congenital heart disease) या अन्य कार्डियक समस्याएं हो सकती हैं, जो दुर्लभ मामलों में अचानक कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती हैं।

ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) के अनुसार, जन्मजात हृदय रोग एक आम समस्या है, जो हर 100 में से 1 बच्चे को प्रभावित करती है। इनमें से कुछ मामले गंभीर नहीं होते, जैसे कि दिल में छोटे छेद, जो कई बार अपने आप ठीक हो जाते हैं और विशेष उपचार की जरूरत नहीं पड़ती। हालांकि, कुछ मामलों में ये समस्याएं गंभीर हो सकती हैं और अचानक कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती हैं।

भारत में भी इस तरह की घटनाएं असामान्य नहीं हैं। इसी वर्ष मार्च 2025 में राजस्थान के कोटपुतली में 13 वर्षीय एक बच्चे की दोस्तों के साथ खेलने के बाद अचानक मृत्यु हो गई थी, जिसमें हार्ट अटैक की आशंका जताई गई थी। चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों में हार्ट अटैक के मामले दुर्लभ हैं, लेकिन जन्मजात हृदय रोग, अनुवांशिक समस्याएं, या असामान्य हृदय गति (arrhythmia) इसके कारण हो सकते हैं। कई बार ये समस्याएं गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान पकड़ में आ सकती हैं, लेकिन कुछ मामलों में लक्षण तब तक नहीं दिखते, जब तक कोई गंभीर घटना न हो जाए।

चिकित्सकीय दृष्टिकोण और कारण

हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में हार्ट अटैक या अचानक कार्डियक अरेस्ट के कई संभावित कारण हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • जन्मजात हृदय रोग: दिल की संरचना में असामान्यताएं, जैसे छेद या वाल्व की खराबी, जो जन्म से मौजूद होती हैं।
  • हृदय की मांसपेशियों की बीमारी (Cardiomyopathy): यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
  • अनुवांशिक समस्याएं: कुछ बच्चों में हृदय गति को प्रभावित करने वाली अनुवांशिक बीमारियां होती हैं, जैसे लॉन्ग QT सिंड्रोम।
  • अन्य कारक: इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, गंभीर तनाव, या अज्ञात कारण भी कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकते हैं।

सीकर के डॉक्टरों ने बताया कि प्राची की मृत्यु संभवतः अचानक कार्डियक अरेस्ट के कारण हुई, जो जन्मजात हृदय रोग या किसी अन्य अज्ञात कारक से संबंधित हो सकता है। हालांकि, इसका सटीक कारण जानने के लिए विस्तृत चिकित्सकीय जांच की आवश्यकता है।

सामाजिक और पारिवारिक प्रभाव

प्राची कुमावत की असामयिक मृत्यु ने उनके परिवार, स्कूल, और दांतारामगढ़ समुदाय को गहरे दुख में डुबो दिया है। स्कूल के शिक्षकों और सहपाठियों ने प्राची को एक होनहार और हंसमुख छात्रा बताया। स्थानीय समुदाय ने परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है और प्रशासन से इस मामले की गहन जांच की मांग की है।

यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह बच्चों में स्वास्थ्य जांच और जागरूकता की कमी को भी उजागर करती है। कई अभिभावकों ने स्कूलों में नियमित स्वास्थ्य जांच और आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं की मांग उठाई है।

बच्चों में हृदय रोगों की रोकथाम और उपचार

चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में हृदय रोगों की समय पर पहचान और उपचार से कई मामलों में जान बचाई जा सकती है। कुछ सुझावों में शामिल हैं:

  • नियमित स्वास्थ्य जांच: स्कूलों और समुदायों में बच्चों की नियमित कार्डियक स्क्रीनिंग, खासकर उन परिवारों में जहां हृदय रोगों का इतिहास हो।
  • जागरूकता अभियान: अभिभावकों और शिक्षकों को हृदय रोगों के लक्षणों, जैसे सांस लेने में तकलीफ, थकान, या बेहोशी, के बारे में जागरूक करना।
  • आपातकालीन प्रशिक्षण: स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों को CPR (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) और प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण देना।
  • उन्नत चिकित्सा सुविधाएं: ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों में कार्डियक आपातकाल के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना।

प्रशासन और स्कूल की भूमिका

इस घटना के बाद सीकर जिला प्रशासन और स्कूल प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि स्कूलों में आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं और प्रशिक्षित कर्मचारी उपलब्ध हों। जिला प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और स्कूल प्रबंधन से घटना के समय की परिस्थितियों के बारे में जानकारी मांगी है।

दांता अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि अगर बच्ची को तुरंत कार्डियक सपोर्ट मिल जाता, तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी। यह ग्रामीण क्षेत्रों में आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की कमी को दर्शाता है।