जोधपुर | राजस्थान के जोधपुर शहर के रामदेव नगर, बनाड रोड निवासी दिलीप गौड़ ने स्थानीय पुलिसकर्मियों पर अपहरण, लूटपाट, और धमकी देने के गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ित ने महामंदिर थाने में पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि पुलिसकर्मियों ने न केवल उनका अपहरण किया, बल्कि उनसे जबरन नकदी और क्रिप्टोकरेंसी ट्रांसफर करवाई, साथ ही झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी। मामले की गंभीरता को देखते हुए ट्रेनी IPS अधिकारी हेमंत कलाल ने जांच शुरू कर दी है, और आरोपी पुलिसकर्मियों से पूछताछ की जा रही है। इस घटना ने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
घटना का विवरण: शॉपिंग के दौरान अपहरण
दिलीप गौड़ ने अपनी तहरीर में बताया कि 14 जुलाई 2025 को वह अपने मित्र रमेश शर्मा के साथ शॉपिंग के लिए मानजी का हत्था, पावटा स्थित रिलायंस ट्रेंड्स गए थे। वहां वाहन पार्किंग के दौरान एक सफेद ब्रेजा कार में सवार कुछ लोग, जो बाद में पुलिसकर्मी होने का दावा करते थे, उनके पास आए। इनमें से एक पुलिसकर्मी का नाम जगमाल बताया गया है। दिलीप के अनुसार, इन लोगों ने पूछताछ के बहाने उन्हें जबरन उनकी कार से उतारा और उनकी कार को अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद, उन्हें माता का थान थाने ले जाया गया।
थाने में लूटपाट और धमकी
तहरीर के अनुसार, माता का थान थाने में पुलिसकर्मियों ने दिलीप गौड़ के साथ अमानवीय व्यवहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उनसे 1 लाख रुपये नकद और उनकी पत्नी के एटीएम से 1 लाख रुपये जबरन ट्रांसफर करवाए। इतना ही नहीं, पुलिसकर्मियों ने क्रिप्टोकरेंसी में भी राशि ट्रांसफर करवाई। इस दौरान उनका आईफोन भी कुछ समय के लिए जब्त कर लिया गया। दिलीप ने बताया कि एक पुलिसकर्मी, जिसका नाम राकेश बताया गया है, ने उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी और किसी को इस घटना के बारे में बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी।
पुलिसकर्मी जगमाल का व्यवहार
दिलीप गौड़ ने अपनी शिकायत में विशेष रूप से पुलिसकर्मी जगमाल का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जगमाल ने उन्हें ड्राइविंग सीट से जबरन उतारकर पीछे वाली सीट पर बैठाया। इस दौरान तीन अन्य पुलिसकर्मी, जो सादे कपड़ों में थे, भी कार में मौजूद थे। इन लोगों ने दिलीप को डराते हुए कहा, “आपका अपहरण हो गया है।” थाने ले जाकर उन्हें और डराया-धमकाया गया। अंत में, उनका आईफोन वापस करके उन्हें छोड़ दिया गया, लेकिन इस दौरान उनकी नकदी, क्रिप्टोकरेंसी, और मानसिक शांति छीन ली गई।
पीड़ित की मांग: सख्त कार्रवाई और राशि की वसूली
दिलीप गौड़ ने अपनी तहरीर में मांग की है कि आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने पुलिस से यह भी अनुरोध किया है कि जबरन वसूली गई 2 लाख रुपये की राशि और क्रिप्टोकरेंसी को बरामद कर उन्हें वापस दिलवाया जाए। पीड़ित ने इस घटना से अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इस तरह का व्यवहार न केवल उनके साथ अन्याय है, बल्कि यह पुलिस की वर्दी और कर्तव्य की गरिमा को भी धूमिल करता है।
पुलिस की प्रतिक्रिया और जांच
मामले की गंभीरता को देखते हुए जोधपुर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई शुरू की है। ट्रेनी IPS अधिकारी हेमंत कलाल को इस मामले की जांच सौंपी गई है। कलाल ने आरोपी पुलिसकर्मियों को महामंदिर थाने बुलाकर पूछताछ शुरू की है। पुलिस आयुक्तालय के उच्च अधिकारियों ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और कहा है कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जोधपुर पुलिस आयुक्त ने एक बयान में कहा, “हम इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच कर रहे हैं। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह पुलिसकर्मी ही क्यों न हो।”
सोशल मीडिया पर हंगामा
इस घटना ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। कई यूजर्स ने पुलिसकर्मियों के इस कथित व्यवहार की निंदा की है और इसे वर्दी के दुरुपयोग का एक गंभीर उदाहरण बताया है। X पर पोस्ट्स में लोगों ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई और पारदर्शी जांच की मांग की है। एक यूजर ने लिखा, “पुलिस का काम जनता की रक्षा करना है, न कि उन्हें लूटना और डराना। जोधपुर पुलिस को इस मामले में सख्ती दिखानी होगी।”
पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
यह घटना जोधपुर में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाती है। हाल के वर्षों में, पुलिसकर्मियों पर इस तरह के गंभीर आरोप लगने की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें जबरन वसूली, मारपीट, और अपहरण जैसे मामले शामिल हैं। यह मामला विशेष रूप से इसलिए गंभीर है, क्योंकि इसमें पुलिसकर्मियों पर न केवल अपहरण और लूट का आरोप है, बल्कि क्रिप्टोकरेंसी जैसी आधुनिक तकनीक का दुरुपयोग भी सामने आया है। यह घटना पुलिस प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि आंतरिक सुधार और जवाबदेही को और मजबूत करने की जरूरत है।
सामाजिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य
यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत शिकायत है, बल्कि यह समाज में पुलिस के प्रति विश्वास को प्रभावित करने वाला है। जब पुलिसकर्मी ही अपराधी की तरह व्यवहार करने लगें, तो आम जनता का कानून पर भरोसा कमजोर होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग, निगरानी, और जवाबदेही तंत्र को और सख्त करना होगा। साथ ही, क्रिप्टोकरेंसी जैसे नए वित्तीय साधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए पुलिस को तकनीकी रूप से और सक्षम करने की जरूरत है।