राजस्थान के उदयपुर और बूंदी में स्कूलों में हुए दुखद हादसों ने शिक्षा संस्थानों की जर्जर स्थिति और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उदयपुर में एक स्कूल की छज्जा गिरने से एक मासूम बच्ची की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि बूंदी में फॉल्स सीलिंग गिरने से पांच बच्चे घायल हो गए। इन हादसों ने न केवल परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया, बल्कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन की उदासीनता को भी उजागर किया है।
उदयपुर के एक सरकारी स्कूल में छज्जा गिरने की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में एक मासूम बच्ची की जान चली गई। यह घटना उस समय हुई जब बच्ची स्कूल परिसर में थी, और अचानक जर्जर छज्जा ढह गया। इस दुखद हादसे ने स्कूल भवनों की खस्ता हालत और रखरखाव की कमी को सामने ला दिया। स्थानीय लोगों और अभिभावकों में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है।
दूसरी ओर, बूंदी के एक स्कूल में फॉल्स सीलिंग गिरने से पांच बच्चे घायल हो गए। यह हादसा उस समय हुआ जब बच्चे कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे। अचानक सीलिंग का हिस्सा ढह गया, जिससे बच्चों में दहशत फैल गई। घायल बच्चों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। इस घटना ने स्कूलों में बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता और नियमित जांच की कमी को उजागर किया है।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इन हादसों पर गहरा दुख जताते हुए सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, “ये हादसे अत्यंत दुखद और हृदयविदारक हैं। सरकारी स्कूलों की जर्जर इमारतें और बच्चों की सुरक्षा के प्रति प्रशासन की लापरवाही इन त्रासदियों का कारण बन रही है। बच्चों की सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सरकार का ध्यान न देना निंदनीय है।” उन्होंने तत्काल कार्रवाई की मांग की और स्कूलों में सुरक्षा मानकों की जांच के लिए कड़े कदम उठाने की अपील की।
इन हादसों ने पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया है। उदयपुर में मासूम बच्ची की असमय मृत्यु ने परिवार को असहनीय दुख में डुबो दिया है। नेता प्रतिपक्ष ने ईश्वर से प्रार्थना की कि दिवंगत बच्ची की आत्मा को शांति मिले और शोक-संतप्त परिवार को यह दुख सहने की शक्ति प्राप्त हो। साथ ही, बूंदी में घायल हुए बच्चों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की गई।
इन हादसों ने एक बार फिर सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति को उजागर किया है। अभिभावक और स्थानीय लोग सरकार से सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब तक बच्चे असुरक्षित इमारतों में पढ़ने को मजबूर होंगे? स्कूलों में नियमित रखरखाव और सुरक्षा जांच की कमी अब और बर्दाश्त नहीं की जा सकती। इन घटनाओं ने प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करने और सभी स्कूलों की इमारतों की स्थिति की जांच करने के लिए मजबूर कर दिया है।
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