बीकानेर में खेजड़ी पर फिर चली आरी: 67 पेड़ काटे गए, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप

Khejri trees

बीकानेर के छतरगढ़ थाना क्षेत्र के केला गांव में रविवार देर रात एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां 67 खेजड़ी पेड़ों को काट दिया गया। यह राजस्थान का राजकीय वृक्ष है, जिसे सोलर प्लांट के लिए बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है। ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों ने प्रशासन और पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है, क्योंकि सूचना देने के बावजूद कोई तुरंत कार्रवाई नहीं हुई।

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के अनुसार, रविवार देर रात कुछ लोग वाहनों में सवार होकर केला गांव की रोही में पहुंचे और खेजड़ी के 67 पेड़ों को आरी से काट दिया। सुबह जब ग्रामीण बकरियां चराने गए, तो उन्हें इस घटना का पता चला। गुस्साए ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस और वन विभाग को सूचना दी, लेकिन पुलिस सुबह तक मौके पर नहीं पहुंची। दोपहर बाद वन विभाग और पटवारी ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा तैयार किया और कटी हुई खेजड़ियों को पटवारी के सुपुर्द कर दिया।

ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों का गुस्सा

ग्रामीणों का आरोप है कि सोलर प्लांट लगाने वाली कंपनियां खेजड़ी पेड़ों को काट रही हैं, और प्रशासन उनकी मदद कर रहा है। पर्यावरण प्रेमी लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। उनका कहना है कि खेजड़ी, जो पश्चिमी राजस्थान की पहचान और पर्यावरण संतुलन का आधार है, को बचाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।

सोलर प्लांट और पर्यावरण का टकराव

पश्चिमी राजस्थान में सोलर प्लांट के लिए बड़े पैमाने पर जमीन अधिग्रहण और पेड़ों की कटाई की खबरें पहले भी सामने आ चुकी हैं। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देना जरूरी है, लेकिन इसके लिए खेजड़ी जैसे महत्वपूर्ण वृक्षों का नुकसान गलत है। यह पेड़ न केवल रेगिस्तान में छाया और जल संरक्षण में मदद करते हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति का भी हिस्सा हैं।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस और प्रशासन को तत्काल सूचना दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पर्यावरण प्रेमियों ने जिला प्रशासन के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह लापरवाही पर्यावरण के प्रति उनकी उदासीनता को दर्शाती है।

क्या है मांग?

  • सोलर कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई।
  • खेजड़ी पेड़ों की कटाई पर पूर्ण रोक।
  • प्रशासन और वन विभाग की जवाबदेही तय करने की मांग।