जयपुर: राजस्थान में भारी बारिश और बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है, जिसमें 193 लोगों की जान चली गई। इस मुद्दे को लेकर गुरुवार को विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक और नारेबाजी के कारण सदन की कार्यवाही पूरे दिन में मात्र 127 मिनट ही चल सकी। विपक्ष ने किसानों और प्रभावितों के लिए विशेष राहत पैकेज की मांग को लेकर वेल में आकर प्रदर्शन किया, जबकि सत्ता पक्ष ने भी पलटवार में नारेबाजी की। इस हंगामे के बीच तीन विधेयक पारित किए गए, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को अंततः कार्यवाही सोमवार सुबह तक स्थगित करनी पड़ी।
विपक्ष का हंगामा और राहत पैकेज की मांग
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने बारिश से प्रभावित किसानों और अन्य लोगों के लिए विशेष राहत पैकेज की मांग उठाई। विपक्षी सदस्य वेल में उतर आए और स्लोगन लिखे कागज लहराते हुए सरकार पर प्रभावितों की अनदेखी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बाढ़ और अतिवृष्टि ने लाखों एकड़ फसल बर्बाद कर दी, कई घर तबाह हुए, और सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक कोई ठोस राहत योजना लागू नहीं की है।
कांग्रेस विधायक अमित चाचान ने कहा, “सरकार की लापरवाही के कारण प्रभावित परिवार आज भी राहत के इंतजार में हैं। तत्काल विशेष राहत पैकेज की जरूरत है, लेकिन सरकार केवल आश्वासन दे रही है।” विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड (एसडीआरएफ) का उपयोग प्रभावी ढंग से नहीं हो रहा है।
सत्ता पक्ष का पलटवार
सत्ता पक्ष के विधायकों ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए नारेबाजी की और कहा कि सरकार प्रभावितों की मदद के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। आपदा प्रबंधन मंत्री किरोड़ीलाल मीना ने सदन में बताया कि सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देना शुरू कर दिया है और गिरदावरी के जरिए नुकसान का आकलन तेजी से किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “विपक्ष केवल राजनीति कर रहा है, जबकि सरकार जमीनी स्तर पर राहत कार्य में जुटी है।”
हालांकि, सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस कई बार व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तक पहुंच गई। दोनों पक्षों के सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आमने-सामने आ गए, जिससे सदन में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
विधानसभा अध्यक्ष की चेतावनी बेअसर
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बार-बार सदस्यों से सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील की और हंगामा करने वालों को चेतावनी दी। लेकिन कुछ विधायकों ने आसन को भी चुनौती देने की कोशिश की, जिसके बाद कार्यवाही को पहली बार 86 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा। दोबारा शुरू होने पर भी हंगामा जारी रहा, और सदन केवल 33 मिनट और चल सका। पूरे दिन में कार्यवाही सिर्फ 127 मिनट तक सीमित रही।
तीन विधेयकों का पारित होना
हंगामे के बीच भी सदन में तीन विधेयक पारित किए गए, जिनमें से एक कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक 2025 भी शामिल है। हालांकि, विपक्ष ने इन विधेयकों पर चर्चा के दौरान भी अपनी आपत्तियां दर्ज कीं। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार जल्दबाजी में बिल पास कर रही है और महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस को दबाया जा रहा है।
बारिश से हुए नुकसान का आलम
राज्य में इस साल मॉनसून ने सामान्य से कहीं अधिक बारिश की, जिसके कारण 13 जिलों में बाढ़, भूस्खलन और बिजली गिरने जैसी घटनाओं में 193 लोगों की मौत हो चुकी है। लाखों एकड़ फसल बर्बाद हुई, हजारों मवेशी मरे, और कई गांवों में बुनियादी ढांचा तबाह हो गया। कोटा, बारां, झालावाड़ और बूंदी जैसे जिलों में स्थिति विशेष रूप से गंभीर रही, जहां कई इलाकों में बाढ़ का पानी अभी भी भरा हुआ है।
