हनुमान बेनीवाल पर रेवंतराम डांगा का तीखा हमला: खींवसर में प्रभाव को लेकर छिड़ी जंग

जयपुर | राजस्थान की सियासत में एक बार फिर नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) प्रमुख हनुमान बेनीवाल और खींवसर से बीजेपी विधायक रेवंतराम डांगा के बीच तल्खी सुर्खियों में है। डांगा ने बेनीवाल पर राजनीतिक सांठ-गांठ और खींवसर में उनके प्रभाव को लेकर तीखा हमला बोला है, जिसने राजस्थान की जाट-राजपूत सियासत को फिर गरमा दिया है।

क्या है विवाद का कारण?

रेवंतराम डांगा, जो कभी बेनीवाल के करीबी सहयोगी थे, ने हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को लिखे पत्र में गंभीर आरोप लगाए। डांगा ने दावा किया कि बेनीवाल बीजेपी और कांग्रेस दोनों के साथ मिलकर खींवसर और नागौर में अपनी सियासी जमीन मजबूत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खींवसर में उनकी सिफारिशों को दरकिनार किया जा रहा है, जबकि बेनीवाल के इशारे पर RLP समर्थकों को प्रशासनिक कार्यों में तरजीह दी जा रही है।

डांगा ने विशेष रूप से अपनी पत्नी गीता देवी (मूंडवा पंचायत समिति की प्रधान) की अनुशंसा पर एक सहायक लेखाधिकारी के तबादले का मामला उठाया, जो नहीं हुआ। उन्होंने इसे बेनीवाल की ओर से उनके खिलाफ “सियासी साजिश” करार दिया, जिसका मकसद उन्हें क्षेत्र में कमजोर करना है। डांगा ने चेतावनी दी कि यदि यह स्थिति नहीं सुधरी, तो आगामी पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में बीजेपी को नुकसान हो सकता है।

जातीय समीकरण और पुरानी रंजिश

खींवसर विधानसभा उपचुनाव 2024 में डांगा ने बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को 13,901 वोटों से हराकर सनसनी मचा दी थी। खींवसर, जो लंबे समय से बेनीवाल का गढ़ रहा, में यह हार RLP प्रमुख के लिए बड़ा झटका थी। डांगा, जो पहले बेनीवाल के शिष्य माने जाते थे, 2023 में बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसके बाद से दोनों के बीच तल्खी बढ़ती गई।

जातीय समीकरण भी इस विवाद में अहम भूमिका निभा रहे हैं। दोनों नेता जाट समुदाय से हैं, और खींवसर में जाट वोटबैंक निर्णायक है। बेनीवाल के राजपूतों के खिलाफ कुछ बयानों, जैसे जाटों को “सबसे बड़ा क्षत्रिय” बताने, ने क्षेत्र में तनाव बढ़ाया है। डांगा और बीजेपी ने इसे भुनाने की कोशिश की, जिससे राजपूत समाज में भी बेनीवाल के खिलाफ नाराजगी देखी गई।

डांगा के बयानों का तीखापन

डांगा ने बेनीवाल को “बड़बोला” और “असभ्य” बताते हुए उनकी बयानबाजी को सस्ती लोकप्रियता का हथकंडा करार दिया। उन्होंने कहा कि RLP का राजस्थान में जनाधार खत्म हो चुका है, और बेनीवाल की बौखलाहट इसी का नतीजा है। डांगा ने बेनीवाल के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर दिए गए बयानों को “निंदनीय” बताया और कहा कि पीएम मोदी और सीएम भजनलाल के नेतृत्व में हो रहे विकास कार्यों से विपक्ष हताश है।

बेनीवाल का पलटवार

हनुमान बेनीवाल ने डांगा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि डांगा उनकी ही देन हैं, जिन्हें उन्होंने सियासी ऊंचाइयों तक पहुंचाया। बेनीवाल ने डांगा को “अवसरवादी” करार दिया और कहा कि उनकी “पुरानी आदत” हर जगह साजिश रचने की है। बेनीवाल ने डांगा के पत्र को उनकी कमजोरी का सबूत बताया और कहा कि जनता उनके साथ है।

बीजेपी का रुख

बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने भी इस विवाद में बेनीवाल पर निशाना साधा। प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने बेनीवाल को “हठधर्मी” और “अज्ञानी” कहा, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने डांगा की तारीफ करते हुए बेनीवाल पर अप्रत्यक्ष रूप से कटाक्ष किया।

क्या है आगे की राह?

यह टकराव न केवल व्यक्तिगत रंजिश, बल्कि खींवसर और नागौर की सियासत में वर्चस्व की जंग को दर्शाता है। बेनीवाल की ओर से क्षेत्र में सक्रियता, जैसे एसआई भर्ती रद्द करने के लिए धरने, उनके जनाधार को मजबूत करने की कोशिश का हिस्सा है। वहीं, डांगा बीजेपी विधायक के रूप में अपनी पकड़ बनाना चाहते हैं, लेकिन बेनीवाल का प्रभाव उनकी राह में रोड़ा बना हुआ है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में और तूल पकड़ सकता है। खींवसर में जाट-राजपूत समीकरण और बेनीवाल-डांगा की यह जंग राजस्थान की सियासत में नए समीकरण बना सकती है।

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