राज्य सरकार ने पंचायत राज ढांचे के बड़े पुनर्गठन की दिशा में अहम कदम उठाते हुए ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के नवसृजन, पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन को हरी झंडी दे दी है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की ओर से जारी दिशा–निर्देशों में जिला कलक्टरों को तय समय सीमा के भीतर नए प्रस्ताव तैयार कर अधिसूचनाएं जारी करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
राजस्थान में इस साल होने वाले पंचायत चुनाव से पहले ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन की कवायद तेज हो गई है। भजनलाल शर्मा सरकार ने 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन और नवसृजन के मानक तय करते हुए विस्तृत गाइडलाइन जारी कर दी है। इनमें आबादी, भौगोलिक दूरी और ग्राम पंचायतों की संख्या को प्रमुख आधार बनाया गया है, ताकि प्रशासनिक सुविधा के साथ लोगों को स्थानीय स्तर पर बेहतर प्रतिनिधित्व मिल सके।
जारी दिशा–निर्देशों के अनुसार जिला कलक्टरों को 20 जनवरी से 18 फरवरी 2025 तक नई ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों के प्रस्ताव तैयार करने का समय दिया गया है। इसके बाद राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 101 के तहत तैयार इन प्रस्तावों को 20 फरवरी से 21 मार्च 2025 तक सार्वजनिक कर आमजन से आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। 23 मार्च से 1 अप्रैल तक आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा और 3 से 15 अप्रैल 2025 के बीच अंतिम प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे जाएंगे, जिनके आधार पर नवगठित एवं पुनर्गठित पंचायत समितियों की अधिसूचनाएं जारी होंगी।
पंचायत समितियों के लिए तय मानकों के मुताबिक जहां किसी क्षेत्र में 40 या इससे अधिक ग्राम पंचायतें या लगभग 2 लाख या उससे अधिक आबादी होगी, वहां पंचायत समिति के पुनर्गठन या नई समिति के गठन का प्रावधान रखा गया है। नवसृजित पंचायत समिति में सामान्यतः न्यूनतम 25 ग्राम पंचायतें शामिल होंगी, जबकि मरुस्थलीय और जनजातीय विशेष क्षेत्रों के लिए यह सीमा 20 ग्राम पंचायतें निर्धारित की गई है। किसी भी राजस्व ग्राम को दो पंचायतों या दो पंचायत समितियों में बांटने की अनुमति नहीं होगी, यानी पूरा राजस्व ग्राम एक ही इकाई में रहेगा।
इसी के समानांतर राज्य सरकार ने आठ नए जिलों में जिला परिषदों के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिससे संबंधित जिलों में पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन का रास्ता भी साफ हो गया है। प्रस्ताव के अनुसार संबंधित जिलों के जिला कलक्टर, अपने–अपने जिलों में आने वाली पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों की संख्या के आधार पर नई जिला परिषदों और प्रभावित इकाइयों के पुनर्गठन के प्रस्ताव तैयार करेंगे और उन्हें आपत्तियों के लिए सार्वजनिक करेंगे। आपत्तियों के निस्तारण और राज्य सरकार से मंजूरी के बाद नवगठित और पुनर्गठित जिला परिषदों, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों की अधिसूचनाएं जारी की जाएंगी।
उधर, राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में बड़ा आदेश देते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पंचायत और नगर निकाय चुनाव 15 अप्रैल 2026 तक हर हाल में कराए जाएं और 31 दिसंबर 2025 तक परिसीमन की प्रक्रिया पूरी की जाए। अदालत ने साफ किया है कि पंचायत और निकाय चुनाव एक दिन के लिए भी टाले नहीं जा सकते और दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएं। ऐसे में पंचायत समितियों के नवगठन और नई अधिसूचनाओं की मौजूदा कवायद को पंचायत चुनाव की तैयारियों से सीधा जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि परिसीमन और नवगठन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही नई सीमाओं के आधार पर चुनाव कराए जा सकेंगे।
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