जयपुर: राजस्थान के सरकारी स्कूलों में इस वर्ष नामांकन में 1.42 लाख की चिंताजनक गिरावट देखी गई है, जो राज्य की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है। पिछले वर्ष 68,000 सरकारी स्कूलों में 75.47 लाख विद्यार्थी नामांकित थे, जो अब घटकर 74.05 लाख रह गए हैं। इस गिरावट का मुख्य कारण शिक्षकों के हजारों रिक्त पदों को माना जा रहा है, जिसके चलते सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर प्रभावित हो रहा है।
इसके विपरीत, निजी स्कूलों में नामांकन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। पिछले वर्ष 89.50 लाख से अधिक विद्यार्थी निजी स्कूलों में पढ़ रहे थे, और इस वर्ष यह आंकड़ा बढ़कर 91.43 लाख तक पहुंच गया है। यह स्पष्ट संकेत है कि अभिभावक बेहतर शिक्षा और सुविधाओं के लिए निजी स्कूलों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
शिक्षा विभाग ने नामांकन की अंतिम तिथि 30 अगस्त तय की है, लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव अभिभावकों को निजी स्कूलों की ओर आकर्षित कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी स्कूलों को फिर से आकर्षक बनाने के लिए शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को तेज करना और स्कूलों में संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी है।
शिक्षा विभाग और राज्य सरकार से मांग की जा रही है कि इस समस्या के समाधान के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाए जाएं। यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो सरकारी स्कूलों में नामांकन और कम हो सकता है, जो राज्य की शिक्षा व्यवस्था के लिए दीर्घकालिक चुनौती बन सकता है।
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