राजनीति

राजस्थान: विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में हाईकोर्ट ने दी राहत, एसीबी की रिपोर्ट पर केस बंद

राजस्थान हाईकोर्ट ने 5 साल पुराने एक सनसनीखेज मामले को बंद कर दिया है, जिसमें विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगे थे। एसीबी ने एफआर (फाइनल रिपोर्ट) दाखिल करने पर कोर्ट ने अशोक सिंह और भरत मलानी को राहत देते हुए कहा कि जब जांच एजेंसी ने अपराध न मानने की बात कही है, तो एफआईआर को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं। यह फैसला अशोक गहलोत सरकार के समय दर्ज मामले से जुड़ा है, जिस पर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी प्रतिक्रिया दी है।

कोर्ट का फैसला: एसीबी की रिपोर्ट पर मुहर

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि एसीबी की जांच में कोई ठोस सबूत न मिलने के कारण मामला आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। अशोक सिंह और भरत मलानी ने एफआईआर को चुनौती दी थी, और कोर्ट ने एसीबी की फाइनल रिपोर्ट को आधार मानते हुए केस को खारिज कर दिया। यह मामला 2020 के राजनीतिक संकट से जुड़ा था, जब सचिन पायलट गुट ने गहलोत सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की थी।

सचिन पायलट की प्रतिक्रिया: न्यायपालिका पर भरोसा

पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कोर्ट के फैसले पर कहा, “मैंने रिपोर्ट तो नहीं देखी, लेकिन कोर्ट का निर्णय आ चुका है तो अब क्या कहने को बाकी। न्यायपालिका में सबका भरोसा है। कभी-कभी इसमें देरी हो जाती है, लेकिन देश की न्याय व्यवस्था मजबूत और सुदृढ़ है।” जब उनसे पूछा गया कि क्या लगता है कि पुरानी सरकार ने फर्जी केस दर्ज कराया था, तो पायलट मुस्कुराते हुए बोले, “जब कोर्ट ने फैसला सुना दिया है, तो मुझसे क्या कहलवाना चाहते हो।”

मामला कैसे शुरू हुआ?

यह मामला 2020 में दर्ज हुआ था, जब पायलट गुट के विधायकों ने गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत की थी। एसीबी ने आरोप लगाया था कि अशोक सिंह और भरत मलानी ने निर्दलीय विधायक रमीला खड़िया और अन्य को खरीदने की कोशिश की, साथ ही राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के लिए प्रेरित किया। पहले एसओजी (स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप) ने राजद्रोह का केस दर्ज किया था, लेकिन बाद में उसे एफआर लगाकर एसीबी को सौंप दिया गया।

फोन रिकॉर्डिंग पर टिका था पूरा केस

मामला मुख्य रूप से फोन रिकॉर्डिंग पर आधारित था। दावा था कि अशोक सिंह, भरत मलानी, करण सिंह और अनिल मिश्रा ने मिलकर विधायकों को लुभाने की कोशिश की। लेकिन एसीबी की जांच में कॉल रिकॉर्डिंग से कोई आपराधिक साक्ष्य नहीं मिले। रिपोर्ट में कहा गया कि रिकॉर्डिंग्स में कोरोना महामारी, पायलट-गहलोत के बीच राजनीतिक चर्चा, आईपीएल मैच और सामान्य बातचीत ही थी। बैंक ट्रांजेक्शन से भी कोई संदिग्ध लेन-देन सामने नहीं आया।

राजनीतिक संदर्भ और प्रभाव

यह फैसला राजस्थान की सियासत में नया मोड़ ला सकता है। गहलोत सरकार के समय दर्ज यह केस अब बंद हो गया है, जिससे विपक्ष के नेताओं को राहत मिली। पायलट की प्रतिक्रिया से साफ है कि वे कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन यह मामला राजस्थान की राजनीतिक अस्थिरता को याद दिलाता है, जब विधायकों की बगावत ने सरकार को हिलाकर रख दिया था।

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