जयपुर | राजस्थान में 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए कई दिग्गज नेताओं को समायोजित करना भजनलाल शर्मा सरकार के लिए चुनौती बन गया है। इनमें से कुछ को टिकट मिला, लेकिन कई को हार का सामना करना पड़ा। अब ये नेता आयोगों या बोर्डों में राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं, जिससे जयपुर से दिल्ली तक बीजेपी संगठन में सुगबुगाहट है।
17 महीनों से सत्तारूढ़ बीजेपी में ये नेता न तो संगठन में सक्रिय हैं और न ही पार्टी अभियानों में दिखाई दे रहे हैं। कुछ नेता नियमित रूप से बीजेपी मुख्यालय आते हैं, लेकिन कई ऐसे हैं जो सदस्यता लेने के बाद कभी कार्यालय नहीं पहुंचे।
कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योति मिर्धा ने 2023 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन दोनों में हार मिली। पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया ने बांसवाड़ा-डूंगरपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन राजकुमार रोत से हार गए और विधायकी भी छोड़नी पड़ी। वहीं, गिर्राज सिंह मलिंगा, दर्शन सिंह गुर्जर (करौली), सुभाष मील (खंडेला), और रमेश खींची (कठूमर) बीजेपी टिकट पर विधायक बने।
सूची में करण सिंह यादव, लालचंद कटारिया, राजेंद्र यादव, रिछपाल मिर्धा, आलोक बेनीवाल, खिलाड़ी लाल बैरवा, और जेपी चंदेलिया जैसे नाम भी हैं, जो नियुक्तियों की प्रतीक्षा में हैं। बीजेपी के सामने इन नेताओं को संगठन और सरकार में समायोजित करने की जटिल चुनौती है, ताकि पार्टी की एकजुटता बनी रहे।
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