जयपुर | राजस्थान की राजधानी जयपुर में बुधवार को एक सियासी विवाद ने जोर पकड़ लिया, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सांसद राधामोहन दास अग्रवाल ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर विवादास्पद टिप्पणी की। अग्रवाल ने मनमोहन सिंह को ‘रोबोट’ करार देते हुए तंज कसा कि कांग्रेस ने उस दौर में देश को ‘रोबोट प्रधानमंत्री’ दिया, जब दुनिया में रोबोट का चलन नहीं था। इस बयान पर कांग्रेस ने तीखा पलटवार करते हुए कहा, “हमने न कभी सरेंडर किया, न ही पाकिस्तान में बिरयानी खाई।” इस बयानबाजी ने राजस्थान की सियासत में नया तनाव पैदा कर दिया है।
जयपुर एयरपोर्ट पर शुरू हुआ विवाद
यह घटना 16 जुलाई 2025 की शाम को जयपुर हवाई अड्डे पर हुई, जब राधामोहन दास अग्रवाल जयपुर पहुंचे। उस समय पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत वहां मीडिया से बातचीत कर रहे थे। गहलोत के जाने के बाद, अग्रवाल ने पत्रकारों से बातचीत शुरू की। एक पत्रकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कंप्यूटर क्रांति में योगदान को लेकर सवाल पूछा। इस पर अग्रवाल ने तंज भरे अंदाज में कहा, “मैं मानता हूं कि कांग्रेस और राजीव गांधी ने कंप्यूटर के क्षेत्र में बहुत काम किया। इतना काम किया कि जब दुनिया में कहीं रोबोट नहीं था, तब भारत में उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में रोबोट दे दिया। मनमोहन सिंह उनकी ही खोज थे।”
अग्रवाल की इस टिप्पणी को मनमोहन सिंह के नेतृत्व और उनके कार्यकाल पर एक तीखा कटाक्ष माना गया, जिसने तुरंत ही सियासी हलकों में हलचल मचा दी।
कांग्रेस का तीखा पलटवार
अग्रवाल के इस बयान पर कांग्रेस ने तुरंत पलटवार किया। पार्टी ने इसे मनमोहन सिंह का अपमान बताते हुए BJP पर निशाना साधा। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने जवाब में कहा, “BJP के नेता पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अपमान कर रहे हैं, जिन्होंने देश को आर्थिक सुधारों और वैश्विक मंच पर मजबूती दी। हमने न कभी सरेंडर किया, न ही कभी पाकिस्तान में जाकर बिरयानी खाई।” यह बयान BJP के कुछ नेताओं पर पहले लगे आरोपों की ओर इशारा करता है, जिनमें विदेश नीति और सीमा सुरक्षा को लेकर विवादास्पद दावे किए गए थे।
कांग्रेस ने यह भी कहा कि मनमोहन सिंह का कार्यकाल भारत के आर्थिक विकास और वैश्विक कूटनीति का स्वर्णिम दौर था, और BJP का यह बयान उनकी विरासत को कम करने की कोशिश है। अशोक गहलोत ने X पर एक पोस्ट में लिखा, “मनमोहन सिंह जी ने देश को नई दिशा दी। BJP के नेताओं को उनकी उपलब्धियों का सम्मान करना चाहिए, न कि सस्ती बयानबाजी करनी चाहिए।”
बयान का संदर्भ और सियासी मायने
राधामोहन दास अग्रवाल की टिप्पणी का संदर्भ पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कंप्यूटर क्रांति में योगदान से जुड़ा था। 1980 के दशक में राजीव गांधी ने भारत में सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए थे, जिन्हें देश की डिजिटल प्रगति की नींव माना जाता है। अग्रवाल ने इस योगदान को स्वीकार करते हुए मनमोहन सिंह पर तंज कसा, जिन्हें विपक्षी दल अक्सर सोनिया गांधी के प्रभाव में काम करने वाला बताते रहे हैं।
यह विवाद ऐसे समय में हुआ है, जब राजस्थान में BJP और कांग्रेस के बीच सियासी तनातनी पहले से ही चरम पर है। हाल के विधानसभा सत्रों और स्थानीय मुद्दों पर दोनों दलों के बीच तीखी बयानबाजी देखी गई है। अग्रवाल की टिप्पणी ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है, खासकर इसलिए क्योंकि मनमोहन सिंह एक सम्मानित अर्थशास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री रहे हैं, जिनका कार्यकाल 2004-2014 तक भारत की आर्थिक नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण रहा।
सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं
इस विवाद ने सोशल मीडिया, खासकर X पर, तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। कुछ यूजर्स ने अग्रवाल की टिप्पणी को ‘अनुचित’ और ‘अपमानजनक’ करार दिया, जबकि BJP समर्थकों ने इसे एक ‘हल्का-फुल्का तंज’ बताया। एक X यूजर ने लिखा, “मनमोहन सिंह ने भारत को वैश्विक मंच पर स्थापित किया। BJP को ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिए।” वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, “अग्रवाल ने सच कहा। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में फैसले 10 जनपथ से लिए जाते थे।” ये प्रतिक्रियाएं राजस्थान की सियासत में गहरे ध्रुवीकरण को दर्शाती हैं।
मनमोहन सिंह की विरासत
मनमोहन सिंह, जो 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे, को 1991 के आर्थिक सुधारों का प्रमुख वास्तुकार माना जाता है। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक आर्थिक मंच पर मजबूत पहचान बनाई, और परमाणु समझौते जैसे कदमों ने देश की कूटनीति को नई दिशा दी। हालांकि, उनके कार्यकाल पर विपक्ष ने यह आरोप लगाया कि वे कांग्रेस नेतृत्व के प्रभाव में काम करते थे। अग्रवाल की टिप्पणी इसी पुराने नैरेटिव को दोहराती है, जिसे कांग्रेस ने सिरे से खारिज किया है।
सियासी रणनीति या अनावश्यक विवाद?
विश्लेषकों का मानना है कि अग्रवाल की टिप्पणी BJP की रणनीति का हिस्सा हो सकती है, जिसका मकसद कांग्रेस को रक्षात्मक रुख अपनाने के लिए मजबूर करना है। राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनावों में BJP की जीत के बाद, पार्टी संगठन को मजबूत करने और 2028 के चुनावों की तैयारी में जुटी है। राधामोहन दास अग्रवाल, जो BJP के प्रदेश प्रभारी हैं, संगठनात्मक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उनकी यह टिप्पणी कांग्रेस को बैकफुट पर लाने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी बयानबाजी अनावश्यक विवाद पैदा करती है और दोनों दलों को विकास के मुद्दों से भटका सकती है। एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “मनमोहन सिंह जैसे सम्मानित व्यक्ति पर इस तरह की टिप्पणी सियासत को निचले स्तर पर ले जाती है। BJP और कांग्रेस को राजस्थान के विकास पर ध्यान देना चाहिए।”