राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में एक राजनीतिक विवाद तेज हो गया है, जहां बीजेपी विधायक जयदीप बिहाणी और जिला प्रशासन के बीच प्रोटोकॉल मामले को लेकर तनाव बढ़ गया है। हाल ही में एक प्रशासनिक कार्यक्रम में जब विधायक का प्रोटोकॉल उल्लंघन किया गया, तो इससे नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्होंने सार्वजनिक रूप से अधिकारियों को फटकार लगाई थी।
विवाद की शुरुआत:
श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर हाल ही में ‘रन फॉर यूनिटी’ नामक एक सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में जिले के प्रशासनिक अधिकारी और राजनीतिक नेता शामिल थे। लेकिन स्थानीय बीजेपी विधायक जयदीप बिहाणी को इस कार्यक्रम में प्रोटोकॉल की उचित अनदेखी महसूस हुई।
सार्वजनिक वारदात:
विधायक बिहाणी इस बात से खुश नहीं हुए और उन्होंने सीधे मंच से मौजूद जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को कठोर शब्दों में फटकार लगाई।] जिला कलक्टर डॉक्टर मंजू और एडीएम प्रशासन सुभाष चंद्र को उन्होंने कार्यक्रम से सीधे बाहर निकाल दिया। यह सार्वजनिक रूप से की गई कार्रवाई जहाँ एक ओर विधायक के गुस्से को दर्शाती है, वहीं प्रशासन के बीच तनाव का संकेत भी देती है।
प्रशासन के खिलाफ पोस्टर:
इस घटना के बाद श्रीगंगानगर शहर में सड़कों के किनारे होर्डिंग और पोस्टर दिखाई देने लगे। इन पोस्टरों में लिखा था कि ‘जिला प्रशासन द्वारा सरदार वल्लभ भाई पटेल और भगवान बिरसा मुंडा का अपमान, नहीं सहेंगे श्रीगंगानगर।’] पोस्टर के नीचे “समस्त भाजपा कार्यकर्ता” लिखा हुआ था।
विधायक की ऐतराजी:
हालांकि, जब पोस्टरों के लगाए जाने का मामला सामने आया, तो बीजेपी विधायक जयदीप बिहाणी ने इससे अपना संबंध नकारते हुए कहा कि ये पोस्टर न तो उनके कहने से लगवाए गए हैं और न ही पार्टी के जिलाध्यक्ष के निर्देश पर लगाए गए हैं।] उन्होंने इस संबंध में कोई भी जानकारी नहीं होने की बात कही।
पार्टी की प्रतिक्रिया:
दूसरी ओर, बीजेपी के जिलाध्यक्ष ने कहा कि जो भी विवादास्पद पोस्टर लगाए गए थे, उन्हें तुरंत हटा दिया गया है।] लेकिन विधायक और स्थानीय पार्टी संगठन दोनों ने ही पोस्टरों की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है।
सवाल उठते हैं:
जब विधायक और पार्टी संगठन दोनों ही पोस्टरों की जिम्मेदारी से इनकार कर रहे हैं, तो सवाल उठता है कि आखिर ये पोस्टर किसने लगवाए और किस उद्देश्य से लगाए गए।] क्या ये पोस्टर किसी अन्य संगठन द्वारा लगवाए गए हैं, या फिर ये किसी अलग अजेंडे का हिस्सा हैं।
स्थानीय प्रतिक्रिया:
श्रीगंगानगर के ग्रामीण और स्थानीय नागरिक इस पूरे प्रकरण से असमंजस में हैं। प्रशासन और राजनेताओं के बीच इस तरह की नाराजगी और विवाद से स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों में बाधा आ सकती है।]
प्रशासन की चुप्पी:
अब तक जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। प्रशासन भी इस पूरे विवाद पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं किया है।
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