बीकानेर के सेटेलाइट सिटी हॉस्पिटल में हड़कंप: एंटीबायोटिक इंजेक्शन से 6 बच्चों की तबीयत बिगड़ी, एक की हालत गंभीर

बीकानेर: राजस्थान के बीकानेर शहर में शुक्रवार शाम सेटेलाइट सिटी हॉस्पिटल में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब छह बच्चों को एक विशेष एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाने के बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। इनमें से एक बच्चे की हालत बेहद गंभीर होने के कारण उसे तत्काल पीबीएम अस्पताल रेफर किया गया। घटना के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी गई है और पुलिस भी मौके पर पहुंचकर तफ्तीश में जुट गई है।

क्या हुआ सेटेलाइट हॉस्पिटल में?

जानकारी के अनुसार, शुक्रवार शाम को बुखार और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए छह बच्चों को सेटेलाइट सिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान इन बच्चों को एक विशेष एंटीबायोटिक इंजेक्शन दिया गया। परिजनों का कहना है कि इंजेक्शन लगते ही बच्चों को ठंड लगने और कंपकंपी शुरू हो गई। कुछ बच्चों को दौरे (Fits) भी पड़ने लगे। स्थिति बिगड़ती देख परिजनों ने तुरंत अस्पताल स्टाफ को सूचित किया।

अस्पताल के पीएमओ डॉ. सुनील हर्ष और उनकी मेडिकल टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बच्चों का उपचार शुरू किया। एक बच्चे की हालत अत्यंत गंभीर होने के कारण उसे बीकानेर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, प्रिंस बिजय सिंह मेमोरियल (पीबीएम) अस्पताल में रेफर किया गया। शेष पांच बच्चों का इलाज सेटेलाइट हॉस्पिटल में ही जारी है, और उनकी स्थिति अब स्थिर बताई जा रही है।

परिजनों का गुस्सा, अस्पताल में हंगामा

घटना के बाद बच्चों के परिजनों में भारी आक्रोश देखा गया। उनका आरोप है कि नर्सिंग कर्मचारी ने बिना किसी जांच के बच्चों को इंजेक्शन लगा दिया, जिसके कारण यह हादसा हुआ। परिजनों ने रातभर अस्पताल में जानकारी मांगने की कोशिश की कि आखिर इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन है। गुस्साए परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा किया, जिसके बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नयाशहर पुलिस को बुलाना पड़ा।

तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित

सेटेलाइट हॉस्पिटल के पीएमओ डॉ. सुनील हर्ष ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की। उन्होंने उस इंजेक्शन की आपूर्ति करने वाली फर्म के सभी इंजेक्शनों का उपयोग तत्काल प्रभाव से रोक दिया। साथ ही, इस घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जिसमें डॉ. प्रवीण चतुर्वेदी, डॉ. अनीता सिंह और एक नर्सिंग अधीक्षक शामिल हैं। यह कमेटी यह जांच करेगी कि क्या इंजेक्शन में कोई खराबी थी या नर्सिंग कर्मचारी की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ। इसके अतिरिक्त, लापरवाही बरतने वाले नर्सिंग कर्मचारी को हटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

पुलिस ने शुरू की जांच

घटना की सूचना मिलते ही नयाशहर पुलिस मौके पर पहुंची और अस्पताल प्रशासन व परिजनों से पूछताछ की। पुलिस इस बात की तहकीकात कर रही है कि क्या यह मामला नर्सिंग कर्मचारी की लापरवाही से जुड़ा है या दवा की गुणवत्ता में कोई कमी थी। पुलिस ने परिजनों को आश्वासन दिया है कि मामले की गहन जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

जनता में आक्रोश, अस्पताल प्रशासन पर सवाल

इस घटना ने बीकानेर में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और अस्पतालों में सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों का कहना है कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और वे दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं। यह घटना एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत को रेखांकित करती है।

जांच कमेटी की रिपोर्ट और पुलिस की तफ्तीश के नतीजे जल्द ही सामने आने की उम्मीद है। तब तक सेटेलाइट हॉस्पिटल में इलाज करा रहे मरीजों और उनके परिजनों में दहशत का माहौल बना हुआ है।