बीकानेर | बीकानेर का प्रिंस बिजय सिंह मेमोरियल (पीबीएम) अस्पताल, जो पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा सरकारी स्वास्थ्य केंद्र है, हाल ही में अपनी नई सुपर स्पेशियलिटी बिल्डिंग के कारण सुर्खियों में है। यह बिल्डिंग राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। चार मंजिला यह इमारत, जो 289,000 वर्ग फीट क्षेत्र में फैली है, श्रीमती सीएम मुंधड़ा चैरिटेबल ट्रस्ट, मुंबई द्वारा कन्हैयालाल मुंधड़ा के सहयोग से बनाई गई है। इसकी लागत लगभग 105 करोड़ रुपये थी, और इसका शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 23 जून 2021 को किया था। यह बिल्डिंग सरकारी अस्पतालों में पांच सितारा होटल जैसी सुविधाओं के साथ डिज़ाइन की गई है। नीचे इस नई बिल्डिंग की विस्तृत जानकारी दी गई है।
1. सुपर स्पेशियलिटी बिल्डिंग का अवलोकन
- उद्देश्य: इस बिल्डिंग का निर्माण बीकानेर और आसपास के जिलों (लगभग 30 लाख की आबादी) के मरीजों को स्थानीय स्तर पर उन्नत चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया गया है। यह सुपर स्पेशियलिटी सेंटर न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, और अन्य विशेषज्ञ सेवाएं प्रदान करने के लिए बनाया गया है।
- निर्माण और डिज़ाइन:
- चार मंजिला यह इमारत अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है।
- इसमें मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर, आईसीयू, डायग्नोस्टिक सेंटर, और विशेषज्ञ चिकित्सा विभाग शामिल हैं।
- डिज़ाइन में मरीजों की सुविधा और स्वच्छता को प्राथमिकता दी गई है, जिसमें वातानुकूलन, फायर फाइटिंग सिस्टम, और निर्बाध बिजली आपूर्ति की सुविधाएं हैं।
- विशेषताएं:
- न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी जैसे विशेषज्ञ विभाग।
- कैंसर, हृदय रोग, और अन्य जटिल बीमारियों के लिए उन्नत उपचार।
- यह बिल्डिंग सरकारी अस्पतालों में पांच सितारा सुविधाओं का प्रतीक है।
2. हालिया समस्याएं
हालांकि यह बिल्डिंग अत्याधुनिक है, लेकिन हाल ही में कुछ समस्याएं सामने आई हैं:
- जलभराव की समस्या: जुलाई 2025 में सुपर स्पेशियलिटी सेंटर के मुख्य गेट पर बारिश का पानी जमा हो गया, जिससे मरीजों और परिजनों को कीचड़ और पानी से होकर गुजरना पड़ रहा है। यह जलभराव 24 घंटे से अधिक समय तक बना रहा, जिससे आवागमन में परेशानी हुई। प्रशासन की ओर से इस समस्या का तत्काल समाधान नहीं किया गया।
- संचालन में देरी: बिल्डिंग पूरी तरह तैयार होने के बावजूद, कुछ विभागों, जैसे किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर, को शुरू करने में देरी हो रही है। यह देरी मरीजों के लिए निराशाजनक साबित हो रही है।
3. किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर का मुद्दा
सुपर स्पेशियलिटी बिल्डिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा किडनी ट्रांसप्लांट और ऑर्गन रिट्रीवल सेंटर है:
- विवरण:
- यह सेंटर मॉड्यूलर ऑपरेटिंग थिएटर, 3D-4K लेप्रोस्कोपिक सिस्टम, और उन्नत आईसीयू से लैस है।
- इसका उद्देश्य पश्चिमी राजस्थान के क्रॉनिक किडनी रोग (CKD) मरीजों को स्थानीय स्तर पर ट्रांसप्लांट सुविधा प्रदान करना है।
- वर्तमान स्थिति:
- सेंटर की बिल्डिंग और उपकरण तैयार हैं, लेकिन सरकारी मंजूरी के अभाव में यह अभी तक शुरू नहीं हुआ है।
- इस देरी के कारण मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए गुजरात, दिल्ली, या अन्य राज्यों में जाना पड़ रहा है, जिससे भारी आर्थिक और भावनात्मक बोझ पड़ रहा है। उदाहरण के तौर पर, बीकानेर के मरीज अरिफ रार को अहमदाबाद में ट्रांसप्लांट के लिए भारी खर्च करना पड़ा।
- मांग: किडनी डायलिसिस एंड ट्रांसप्लांट फाउंडेशन के संस्थापक महेश देवानी ने 17 मई 2025 को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से इस सेंटर को जल्द शुरू करने की अपील की थी।
4. अन्य सुविधाएं और विकास
- हल्दीराम मूलचंद कार्डियोवास्कुलर सेंटर: यह सेंटर सुपर स्पेशियलिटी बिल्डिंग का हिस्सा है और ओपन हार्ट सर्जरी जैसी उन्नत सुविधाएं प्रदान करता है।
- कैंसर उपचार: पीबीएम अस्पताल में पहले से मौजूद अचानक तुलसी रीजनल कैंसर इंस्टीट्यूट और रिसर्च सेंटर, सुपर स्पेशियलिटी बिल्डिंग के साथ मिलकर कैंसर मरीजों के लिए सस्ता और उन्नत उपचार प्रदान करता है।
- निरीक्षण और सुधार: 10 जुलाई 2025 को संभागीय आयुक्त विश्राम मीणा ने सुपर स्पेशियलिटी बिल्डिंग सहित पीबीएम अस्पताल का दौरा किया और साफ-सफाई, दवाइयों की उपलब्धता, और मरीजों की सुविधाओं को बेहतर करने के निर्देश दिए।
5. चुनौतियां
- जलभराव: सुपर स्पेशियलिटी सेंटर के मुख्य प्रवेश द्वार पर जलभराव की समस्या मरीजों के लिए असुविधा का कारण बनी हुई है। यह अस्पताल की छवि को प्रभावित कर रहा है।
- कर्मचारियों की कमी: 4000 बेड वाले अस्पताल में केवल 1100 नर्सेज हैं, जो सुपर स्पेशियलिटी बिल्डिंग की पूरी क्षमता का उपयोग करने में बाधा बन रहा है।
- दवाइयों की कमी: जून 2025 में कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की दवाइयों की कमी की खबरें सामने आईं, जिससे मरीजों को निजी दुकानों से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ीं।
- संचालन में देरी: किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर जैसे महत्वपूर्ण विभागों के शुरू न होने से मरीजों को परेशानी हो रही है।
6. सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव
- मरीजों की उम्मीदें: सुपर स्पेशियलिटी बिल्डिंग ने पश्चिमी राजस्थान के मरीजों में उन्नत चिकित्सा सुविधाओं की उम्मीद जगाई है, लेकिन जलभराव और संचालन में देरी इसकी प्रगति को बाधित कर रहे हैं।
- प्रशासनिक जवाबदेही: विधायक जेठानंद व्यास और संभागीय आयुक्त विश्राम मीणा के दौरे और अपीलें प्रशासन की सक्रियता को दर्शाते हैं, लेकिन समस्याओं का त्वरित समाधान जरूरी है।
- सांस्कृतिक महत्व: फरवरी 2025 में श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के अनुरोध पर चिकित्सा विभाग ने पीबीएम अस्पताल का पूरा नाम “प्रिंस बिजय सिंह मेमोरियल चिकित्सालय” फिर से दस्तावेजों में शामिल किया, जो स्थानीय सांस्कृतिक गौरव को दर्शाता है।
7. भविष्य की संभावनाएं
- संचालन शुरू करना: सुपर स्पेशियलिटी बिल्डिंग के सभी विभागों, विशेष रूप से किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर, को जल्द शुरू करने की जरूरत है।
- बुनियादी ढांचे में सुधार: जलभराव और साफ-सफाई की समस्याओं का तत्काल समाधान जरूरी है।
- कर्मचारी भर्ती: विशेषज्ञ डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की भर्ती से बिल्डिंग की पूरी क्षमता का उपयोग हो सकेगा।
- निगरानी: नियमित निरीक्षण और समीक्षा से सुविधाओं को बेहतर किया जा सकता है।