राजस्थान में भूजल संरक्षण के लिए नया कानून: ट्यूबवेल के लिए अनुमति अनिवार्य, उल्लंघन पर भारी जुर्माना

Permission for tubewells mandatory

भूजल (संरक्षण एवं प्रबंधन) विधेयक को मंजूरी

राजस्थान विधानसभा ने बुधवार को भूजल (संरक्षण एवं प्रबंधन) प्राधिकरण विधेयक-2025 को पारित कर दिया। इस नए कानून के तहत अब ट्यूबवेल या बोरवेल खोदने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य होगा। साथ ही, भूजल निकालने के लिए शुल्क देना होगा। औद्योगिक और वाणिज्यिक उपयोग के लिए लगने वाले ट्यूबवेल पर मीटर लगाए जाएंगे, और पानी के उपयोग के आधार पर टैरिफ तय होगा। यह कदम राज्य में भूजल के अनियंत्रित दोहन को रोकने और इसके संरक्षण के लिए उठाया गया है।

उल्लंघन पर सख्त सजा

नए कानून के तहत बिना अनुमति ट्यूबवेल खोदने या भूजल निकालने पर पहली बार 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। दोबारा उल्लंघन करने पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना और 6 महीने तक की जेल, या दोनों सजा हो सकती है। डार्क जोन घोषित क्षेत्रों में भूजल दोहन पर विशेष रूप से सख्ती की जाएगी।

भूजल प्राधिकरण की स्थापना

कानून के तहत राज्य स्तर पर भूजल संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण का गठन होगा। यह प्राधिकरण ट्यूबवेल ड्रिलिंग लाइसेंस, बोरिंग रिग पंजीकरण, और भूजल प्रबंधन की पूरी प्रक्रिया को नियंत्रित करेगा। प्राधिकरण में जल संरक्षण और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कम से कम 20 साल का अनुभव रखने वाले विशेषज्ञ और दो विधायक शामिल होंगे। इसके अलावा, जिला स्तर पर भूजल संरक्षण समितियां बनाई जाएंगी, जो स्थानीय स्तर पर संरक्षण योजनाओं को लागू करेंगी।

डार्क जोन पर नजर

प्राधिकरण भूजल स्तर और डार्क जोन की स्थिति पर लगातार निगरानी रखेगा। यह हर साल अपनी गतिविधियों की रिपोर्ट तैयार कर विधानसभा में पेश करेगा। सरकार कुछ विशेष क्षेत्रों या सेक्टर्स को शुल्क और अनुमति में छूट भी दे सकती है।

भूजल स्तर में चिंताजनक गिरावट

राजस्थान में भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। बारां, भीलवाड़ा, नागौर, झुंझुनूं, और बाड़मेर जैसे जिलों में गर्मियों में लोगों को पानी के लिए मीलों दूर जाना पड़ता है। किसानों को हर सीजन में कुओं और ट्यूबवेल के सूखने की समस्या का सामना करना पड़ता है। 2022 के पोस्ट-मानसून सर्वे के अनुसार, राज्य के विभिन्न हिस्सों में भूजल स्तर 0.15 मीटर से लेकर 190.40 मीटर तक नीचे दर्ज किया गया है।

219 ब्लॉक ‘ओवर एक्सप्लॉइटेड’

राज्य के कुल 302 ब्लॉकों में से 219 ब्लॉक ‘ओवर एक्सप्लॉइटेड’ घोषित हो चुके हैं, जहां भूजल निकासी उसकी पुनर्भरण दर से कहीं अधिक है। राजस्थान में 83% भूजल का उपयोग कृषि में, 2-3% उद्योगों में, और शेष घरेलू जरूरतों के लिए होता है। कई क्षेत्रों में भूजल स्तर हर साल औसतन 10 मीटर नीचे खिसक रहा है।

सरकार का दृष्टिकोण

संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि यह विधेयक भूजल के अनियंत्रित दोहन पर रोक लगाएगा और डार्क जोन क्षेत्रों में स्थिति को नियंत्रित करने में मदद करेगा। जिला स्तर की समितियां स्थानीय स्तर पर संरक्षण योजनाओं को लागू करेंगी, जिससे भविष्य में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

भविष्य के लिए उम्मीद

यह नया कानून राजस्थान में भूजल संकट को कम करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि सख्त नियम और निगरानी से भूजल दोहन को नियंत्रित किया जा सकेगा।