“NCB की गिरफ्त में ‘शिक्षा’ के ठेकेदार: नकली MD ड्रग फैक्ट्री उजागर”

श्रीगंगानगर |
राजस्थान के श्रीगंगानगर से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने न केवल प्रशासन को चौकन्ना कर दिया है, बल्कि पूरे समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने शहर के एक रिहायशी इलाके में संचालित नकली ‘मेफेड्रोन (MD)’ ड्रग फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है।
इस पूरे ऑपरेशन में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस गुप्त लैब को चलाने वाले दो व्यक्ति कोई अपराधी नहीं, बल्कि शिक्षक निकले — एक सरकारी स्कूल में केमिस्ट्री पढ़ाने वाला शिक्षक और दूसरा निजी स्कूल का विज्ञान शिक्षक।

NCB का छापा और सनसनीखेज खुलासा

NCB की जोधपुर जोनल यूनिट को खुफिया सूचना मिली थी कि रिद्धि सिद्धि एनक्लेव के ड्रीम होम्स अपार्टमेंट्स में नकली ड्रग की लैब चल रही है।
सूचना की पुष्टि होते ही मंगलवार सुबह NCB टीम ने फ्लैट पर छापेमारी की और वहां से 780 ग्राम तैयार ‘मेफेड्रोन’ (जिसे आम भाषा में ‘म्याऊ म्याऊ’ कहा जाता है) बरामद किया गया।

इसके साथ ही ड्रग निर्माण में इस्तेमाल होने वाले खतरनाक रसायन जैसे:

एसीटोन

बेंजीन

मिथाइलमाइन

4-मिथाइल प्रोपियोफेनोन
भी ज़ब्त किए गए।
दिल्ली से मंगवाए गए प्रयोगशाला उपकरण भी फ्लैट से बरामद हुए हैं। पूरी लैब वैज्ञानिक ढंग से सुसज्जित थी और साफ जाहिर होता है कि इसे शिक्षित दिमागों ने डिजाइन किया था।


शिक्षा का चोला, नशे का धंधा

गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी श्रीगंगानगर के स्थानीय निवासी हैं, जिनकी उम्र 25 और 35 वर्ष बताई जा रही है।

एक आरोपी सरकारी स्कूल में केमिस्ट्री टीचर है।

दूसरा आरोपी निजी स्कूल में साइंस पढ़ाता है।

NCB की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि दोनों ने विज्ञान और रसायन शास्त्र की अपनी जानकारी का दुरुपयोग कर, इस नशे के कारोबार को अंजाम दिया।
यह बात न केवल शिक्षा व्यवस्था, बल्कि समाज की नैतिकता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।


कानूनी कार्रवाई और अगली कड़ी

दोनों आरोपियों के खिलाफ NDPS अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
NCB अब इस बात की जांच कर रही है:

क्या इन शिक्षकों के पीछे कोई बड़ा ड्रग नेटवर्क काम कर रहा था?

क्या यह ड्रग श्रीगंगानगर तक ही सीमित थी या इसे अन्य शहरों में भी भेजा जा रहा था?

क्या इनके साथ और लोग जुड़े हुए हैं?

NCB अधिकारियों ने बताया कि यह ऑपरेशन आगे भी जारी रहेगा और ड्रग माफिया के पूरे नेटवर्क को बेनकाब किया जाएगा।


समाज के लिए चेतावनी

यह मामला साफ दर्शाता है कि:

अब अपराध का चेहरा बदल चुका है।

शिक्षक जैसे सम्मानित पदों पर बैठे लोग भी अपराध में लिप्त हो सकते हैं, यदि नैतिकता कमजोर हो।

नशे के कारोबार में पढ़े-लिखे लोग तकनीक और विज्ञान का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।


निष्कर्ष

श्रीगंगानगर की यह घटना केवल एक ड्रग फैक्ट्री के खुलासे की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और नैतिक चेतावनी है।
जहां शिक्षक की भूमिका समाज को दिशा देने की होती है, वहीं कुछ शिक्षकों का ऐसा गिरा हुआ कदम पूरी शिक्षा व्यवस्था पर कलंक बन जाता है।
अब जरूरी है कि प्रशासन, समाज और शिक्षा व्यवस्था मिलकर ऐसे अपराधों के खिलाफ कठोर कदम उठाएं और युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचाया जाए।

लेखक: TharToday.com टीम