बीकानेर : राजस्थान के बीकानेर में आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर के प्रमुख डॉ. बाबूलाल स्वामी और उनके अस्पताल को मेडिकल बोर्ड ने क्लीन चिट दे दी है, जिससे मरीज के परिजनों और स्थानीय कार्यकर्ता कूकना में भारी रोष फैल गया है। 13 सितंबर को जारी मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में डॉ. स्वामी द्वारा किए गए इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही न होने और पेसमेकर सफलतापूर्वक बदले जाने की पुष्टि की गई है। लेकिन इस रिपोर्ट को लेकर विवाद तेज हो गया है, क्योंकि कूकना ने आरोप लगाया है कि बोर्ड की बैठक मरीज के परिजनों को सूचना दिए बिना बुलाई गई और उनके बयान भी दर्ज नहीं किए गए।
कूकना ने इस रिपोर्ट को पक्षपाती बताते हुए सवाल उठाए हैं कि बिना परिजनों की सहमति या बयान के कैसे ऐसी क्लीन चिट जारी हो सकती है। उन्होंने मंगलवार, 7 अक्टूबर को डॉ. स्वामी और अस्पताल के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। कूकना के नेतृत्व में करीब 10 हजार लोगों के साथ जिला कलेक्ट्रेट का घेराव करने की योजना है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह मरीज के न्याय के लिए एकजुटता का प्रदर्शन होगा और स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता की मांग को मजबूत करेगा। मरीज के परिजनों ने भी रिपोर्ट पर असंतोष जताया है, जिससे स्थानीय स्तर पर तनाव बढ़ गया है।
दूसरी ओर, डॉ. बी.एल. स्वामी ने खुद को निर्दोष बताते हुए आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाने वाले असामाजिक तत्वों ने उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने मानसिक पीड़ा, वित्तीय हानि और पेशेवर छवि को हुए नुकसान के लिए 2 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग के साथ मानहानि का कानूनी दावा दायर कर दिया है। डॉ. स्वामी का कहना है कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट उनके इलाज की सत्यता को साबित करती है और अब वे कानूनी रास्ते से अपनी सफाई देंगे। आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर, जो बीकानेर में हृदय रोगों के लिए जाना जाता है, इस विवाद के केंद्र में आ गया है।
यह विवाद बीकानेर की स्वास्थ्य व्यवस्था में विश्वास की कमी को उजागर कर रहा है। मरीज के परिजनों का दावा है कि इलाज के दौरान हुई कथित चूक ने परिवार को गहरा सदमा दिया, जबकि डॉ. स्वामी की ओर से इसे साजिश करार दिया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन विरोध प्रदर्शन को शांतिपूर्ण रखने के निर्देश जारी किए गए हैं। आने वाले दिनों में यह मामला और गरमाने की संभावना है, क्योंकि दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलें मजबूती से रख रहे हैं।
यह घटना निजी अस्पतालों में मरीज अधिकारों और मेडिकल जांच प्रक्रिया की निष्पक्षता पर बहस छेड़ रही है। जिला कलेक्ट्रेट पर प्रस्तावित धरना स्वास्थ्य विभाग के लिए एक परीक्षा साबित हो सकता है।
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