जोधपुर। राजस्थान पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने एक बड़े निवेश घोटाले का पर्दाफाश किया है। फर्जी वेबसाइट्स और सोशल मीडिया कैंपेन के जरिए 50 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले मास्टरमाइंड प्रिंस सैनी उर्फ बंशीलाल (24) समेत उसके दो साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी ममता भाटी (24), जो बंशीलाल की मंगेतर हैं और ब्यावर की रहने वाली हैं, तथा दिनेश बागड़ी (24), जो नागौर से ताल्लुक रखते हैं, भी इस गिरोह के प्रमुख सदस्य हैं। इस गिरोह ने हजारों निर्दोष लोगों को लालच देकर उनके कठिन कमाई के पैसे हड़प लिए।
जांच एजेंसियों के अनुसार, प्रिंस सैनी ने अपनी चालाकी से लोगों को आसानी से फंसाया। उसने “केवल 6 लाख रुपये में लग्जरी एसयूवी प्राप्त करने” का झांसा देकर करीब 250 लोगों से 15 करोड़ रुपये की रकम वसूल ली। इतना ही नहीं, खुद को बड़ा आदमी साबित करने के लिए वह हेलिकॉप्टर से विभिन्न आयोजनों में पहुंचता था, जहां वह वीआईपी की तरह व्यवहार करता। इसके अलावा, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में लाखों रुपये का दान देकर वह लोगों का भरोसा जीत लेता, जो बाद में उसके जाल का शिकार हो जाते। सोशल मीडिया पर चमक-दमक वाली वीडियोज और फर्जी सफलता की कहानियां फैलाकर वह निवेशकों को आकर्षित करता रहा।
एसओजी की गहन जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। आरोपियों की ताजा कंपनी, हार्वेस्ट एआई टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, के बैंक खातों में मात्र 6 लाख रुपये से भी कम राशि बची हुई है। यह रकम उनके दावों के मुकाबले बेहद मामूली है, जो घोटाले की पोल खोलती है। जांच में यह भी पता चला कि प्रिंस सैनी ने पहले भी कई फर्जी कंपनियों के जरिए लोगों को ठगा है। ट्रोनैट वर्ल्ड और ग्रो मोर एजुकेशन जैसी कंपनियों के नाम पर वह करोड़ों रुपये का निवेश हड़प चुका है। इन कंपनियों के जरिए उसने निवेशकों को ऊंचा रिटर्न और आकर्षक उपहारों का लालच दिया, लेकिन वास्तव में सब कुछ एक सुनियोजित धोखा था।
प्रिंस सैनी उर्फ बंशीलाल का अपराधी सफर बेहद दिलचस्प है। वर्ष 2017 में कक्षा 12वीं में फेल होने के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और अपराध की दुनिया में कदम रखा। उसी साल उसने ट्रोनैट वर्ल्ड नाम की कंपनी खोली, जिसके बहाने उसने 54 लोगों को 6 लाख 48 हजार रुपये का चूना लगाया। इसके बाद 2022 में उसने ग्रो मोर एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड शुरू की, जहां ऑनलाइन कोचिंग का झांसा देकर 2,200 छात्रों से 66 लाख रुपये वसूल लिए। सोशल मीडिया पर फर्जी विज्ञापनों, लाइव इवेंट्स और प्रचार अभियानों के जरिए वह नई-नई योजनाएं लॉन्च करता रहा। इनमें 2,380 रुपये के निवेश पर 11 महीनों में 8,000 रुपये का रिटर्न देने का वादा किया जाता, साथ ही रोजाना लकी ड्रॉ में बाइक-स्कूटी जीतने का सपना दिखाया जाता। लेकिन नतीजा हमेशा एक ही रहा—निवेशकों का पैसा गायब।
एसओजी ने इस गिरोह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है और पीड़ितों से अपील की है कि वे अपनी शिकायतें दर्ज कराएं। पुलिस का कहना है कि यह गिरोह पूरे राजस्थान और पड़ोसी राज्यों में सक्रिय था, और जांच में और भी राज खुलने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल युग में फर्जी निवेश योजनाओं का खतरा बढ़ गया है, इसलिए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। हमारी न्यूज टीम सलाह देती है कि किसी भी निवेश योजना में पैसा लगाने से पहले उसकी वैधता की अच्छी तरह जांच करें, सरकारी वेबसाइट्स से सत्यापन करवाएं और लालच से बचें।
यह गिरफ्तारी न केवल पीड़ितों के लिए राहत की बात है, बल्कि यह भी एक संदेश है कि कानून का हाथ लंबा है। हम इस मामले पर नजर बनाए रखेंगे और कोई नया अपडेट मिलते ही आपको सूचित करेंगे।
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