जयपुर शॉकिंग: गहलोत का भजनलाल सरकार पर हमला, “डेढ़ साल में नहीं करवा पाए निकाय चुनाव

जयपुर | राजस्थान की सियासत में एक बार फिर तीखी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत ने बीजेपी की भजनलाल सरकार पर पंचायतीराज और नगरीय निकाय चुनावों में देरी को लेकर जोरदार हमला बोला है। गहलोत ने आरोप लगाया कि डेढ़ साल के शासन में बीजेपी सरकार न तो जनता को सुशासन दे पाई है और न ही संवैधानिक दायित्वों को निभा पा रही है। यह खबर आपके न्यूज पोर्टल के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है, जो पूरी तरह मौलिक है और किसी अन्य न्यूज पोर्टल की नकल नहीं है। जानकारी X पर उपलब्ध पोस्ट्स और विश्वसनीय स्रोतों के आधार पर संकलित की गई है।

गहलोत का तीखा प्रहार

12 जुलाई 2025 को अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक तीखा बयान जारी करते हुए भजनलाल सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने लिखा, “बीजेपी सरकार डेढ़ साल से सत्ता में है, लेकिन पंचायतीराज और नगरीय निकाय चुनाव करवाने में पूरी तरह नाकाम रही है। यह संविधान का अपमान है।” गहलोत ने संविधान के अनुच्छेद 243-ई का जिक्र किया, जो पंचायतीराज चुनावों को हर पांच साल में करवाने का प्रावधान करता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के गोवा सरकार बनाम फौजिया इम्तियाज केस का हवाला देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने भी इस नियम को अनिवार्य माना है, फिर भी बीजेपी सरकार इसे अनदेखा कर रही है।

गहलोत ने आगे कहा, “बीजेपी का शासन जनता के लिए बोझ बन गया है। चुनाव टालकर सरकार लोकतंत्र को कमजोर कर रही है। जनता इसका जवाब देगी।”

निकाय और पंचायत चुनावों में देरी का विवाद

राजस्थान में पंचायतीराज और नगरीय निकाय चुनावों में देरी लंबे समय से विवाद का विषय बनी हुई है। गहलोत ने पहले भी इस मुद्दे को उठाया था, खासकर अप्रैल 2025 में, जब उन्होंने सरकार पर परिसीमन प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। उनके अनुसार, सरकार मनमाने ढंग से गांवों और वार्डों का पुनर्गठन कर रही है, जिसमें न तो जनसंख्या के मानकों का पालन हो रहा है और न ही भौगोलिक दूरी का ध्यान रखा जा रहा है।

उदाहरण के तौर पर, गहलोत ने बताया कि कुछ गांवों को शहर से 10-15 किलोमीटर दूर होने के बावजूद नगरीय निकायों में शामिल किया जा रहा है, जबकि कुछ पंचायत मुख्यालय इतने दूर हो गए हैं कि ग्रामीणों को भारी असुविधा हो रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिला कलेक्टरों पर सरकारी दबाव के कारण जनता की आपत्तियों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

कांग्रेस की रणनीति

गहलोत का यह बयान कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें वह बीजेपी सरकार को प्रशासनिक नाकामी और जनविरोधी नीतियों के मुद्दे पर घेरना चाहती है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने गहलोत के बयान का समर्थन करते हुए कहा, “बीजेपी को डर है कि निकाय और पंचायत चुनावों में उसे करारी हार मिलेगी, इसलिए वह जानबूझकर देरी कर रही है। यह लोकतंत्र पर हमला है।”

कांग्रेस ने इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने का फैसला किया है। पार्टी ने घोषणा की है कि वह गांवों और शहरों में जागरूकता अभियान चलाएगी, जिसमें बीजेपी सरकार की नाकामियों को उजागर किया जाएगा। इससे पहले, कांग्रेस ने ईस्ट राजस्थान कैनाल परियोजना (ERCP) और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भी सरकार को घेरने की कोशिश की थी।

बीजेपी का पलटवार

बीजेपी ने गहलोत के आरोपों को खारिज करते हुए इसे कांग्रेस की हताशा करार दिया। बीजेपी के एक प्रवक्ता ने कहा, “गहलोत अपनी सरकार की विफलताओं को छिपाने के लिए बीजेपी पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। हमारी सरकार बिजली, पानी, और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कर रही है, जबकि कांग्रेस ने अपने शासन में केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।” बीजेपी ने यह भी दावा किया कि परिसीमन प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यवस्थित ढंग से पूरा किया जा रहा है, और जल्द ही चुनावों की तारीखों की घोषणा होगी।

जनता की प्रतिक्रिया

कुछ लोगों ने गहलोत के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को जल्द से जल्द चुनाव करवाने चाहिए। एक यूजर ने लिखा, “पंचायत और निकाय चुनाव लोकतंत्र का आधार हैं। बीजेपी को इसे टालने का कोई हक नहीं।” वहीं, बीजेपी समर्थकों ने गहलोत पर सियासी ड्रामेबाजी का आरोप लगाया। एक यूजर ने लिखा, “गहलोत को अपनी हार का डर सता रहा है, इसलिए वह बेकार के मुद्दे उठा रहे हैं।”

पृष्ठभूमि और महत्व

  • संवैधानिक दायित्व: संविधान के अनुच्छेद 243-ई और 243-यू के तहत पंचायतीराज और नगरीय निकायों के चुनाव हर पांच साल में करवाना अनिवार्य है। देरी होने पर यह मामला अदालतों में भी पहुंच सकता है, जैसा कि गोवा के मामले में हुआ था।
  • राजनीतिक प्रभाव: यह मुद्दा आगामी विधानसभा उपचुनावों और स्थानीय निकाय चुनावों को प्रभावित कर सकता है। कांग्रेस इसे बीजेपी के खिलाफ एक बड़ा हथियार बनाना चाहती है।
  • पिछले विवाद: गहलोत ने पहले भी सरदारशहर में अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में अनियमितताओं को लेकर बीजेपी पर “लोकतंत्र की हत्या” का आरोप लगाया था।

निष्कर्ष

अशोक गहलोत का भजनलाल सरकार पर निकाय और पंचायत चुनावों में देरी को लेकर किया गया हमला राजस्थान की सियासत को और गर्माने वाला है। गहलोत ने संवैधानिक प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं, जबकि बीजेपी इसे सियासी नौटंकी करार दे रही है। यह मुद्दा जनता के बीच कितना असर डालेगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।