राजस्थान

जयपुर: महारानी कॉलेज में मजार विवाद गहराया, हनुमान चालीसा पाठ और आंदोलन की चेतावनी

जयपुर | राजस्थान की राजधानी जयपुर के महारानी कॉलेज में तीन मजारों की मौजूदगी को लेकर विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। मंगलवार को धरोहर बचाओ समिति के अध्यक्ष भारत शर्मा के नेतृत्व में कॉलेज के बाहर सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया गया। इस दौरान कॉलेज की छात्राएं और हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता मौजूद रहे। प्रदर्शनकारियों ने मजारों को तत्काल हटाने की मांग की और सरकार को चेतावनी दी कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो वे बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे।

हनुमान चालीसा पाठ और पुलिस की तैनाती

सुरक्षा कारणों से पुलिस ने किसी को भी कॉलेज परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी। प्रदर्शनकारी सड़क पर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करने को मजबूर हुए। मौके पर डीसीपी साउथ दिगंत आनंद, एडिशनल डीसीपी ललित शर्मा और भारी पुलिस बल तैनात रहा। धरोहर बचाओ समिति के अध्यक्ष भारत शर्मा ने कहा, “सरकार ने 10 दिन पहले जांच कमेटी गठित की थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमने सरकार की सद्बुद्धि के लिए हनुमान चालीसा का पाठ किया।”

मजारों की वैधता पर सवाल

महारानी कॉलेज के पंप हाउस के पास तीन मजारों की मौजूदगी ने विवाद को जन्म दिया है। हिंदूवादी संगठनों का दावा है कि ये मजारें हाल ही में बनाई गई हैं और यह कॉलेज की जमीन पर अवैध अतिक्रमण है। दूसरी ओर, स्थानीय लोग इन्हें 20 साल पुरानी बताते हैं, जबकि कांग्रेस विधायक अमीन कागजी ने दावा किया कि ये मजारें 165 साल पुरानी हैं। कॉलेज के साइट प्लान में इन मजारों का कोई उल्लेख नहीं है, जिससे इनकी वैधता पर सवाल और गहरा गए हैं।

छात्राओं की सुरक्षा चिंता

कॉलेज की छात्राओं ने मजारों की मौजूदगी को सुरक्षा के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा कि एक गर्ल्स कॉलेज में ऐसी संरचनाएं असुरक्षा का माहौल पैदा करती हैं। छात्राओं ने प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की है। धरोहर बचाओ समिति ने पुलिस को ज्ञापन सौंपकर मजारों को हटाने की मांग दोहराई।

जांच कमेटी की प्रगति

जयपुर जिला कलेक्टर ने इस मामले की जांच के लिए 6 सदस्यीय कमेटी गठित की है, जिसमें कॉलेज की प्रिंसिपल पायल लोढ़ा भी शामिल हैं। कमेटी को मजारों की उम्र, निर्माण और वैधता की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। हालांकि, शुरू में 10 दिन में रिपोर्ट सौंपने का समय दिया गया था, लेकिन दस्तावेजों के अध्ययन में देरी के कारण इसे 7 दिन और बढ़ा दिया गया। कमेटी सीसीटीवी फुटेज, पुराने कर्मचारियों के बयान और छात्रों की गवाही के आधार पर जांच कर रही है।

राजनीतिक तनातनी

यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है। कांग्रेस विधायक अमीन कागजी ने मजारों को ऐतिहासिक बताते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से जांच की मांग की है। वहीं, भाजपा विधायक गोपाल शर्मा ने इसे शैक्षणिक संस्थान के लिए अनुचित ठहराया और मुस्लिम समुदाय से स्वयं इन्हें हटाने की अपील की। इस मुद्दे ने दोनों दलों के बीच तीखी बयानबाजी को जन्म दिया है।

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