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भारत को जल्द मिलेंगे अमरीका से हाईटेक अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टर: पाकिस्तान सीमा पर बढ़ेगी सेना की ताकत

जयपुर | भारतीय सेना की हवाई युद्ध क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए अमरीका से अत्याधुनिक अपाचे AH-64E अटैक हेलीकॉप्टरों की पहली खेप अगले सप्ताह भारत पहुंचने वाली है। सूत्रों के अनुसार, ये हेलीकॉप्टर 21 जुलाई 2025 तक भारत में दस्तक दे सकते हैं। ये छह हेलीकॉप्टरों का पहला बैच होगा, जिसे राजस्थान के जोधपुर में तैनात किया जाएगा, जो पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा के नजदीक है। इन हेलीकॉप्टरों के शामिल होने से भारतीय सेना की रणनीतिक और हमलावर क्षमता में कई गुना इजाफा होगा, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पर बढ़ी चौकसी के बीच।

अपाचे हेलीकॉप्टर: दुनिया का सबसे घातक युद्धक हेलीकॉप्टर

अपाचे AH-64E, जिसे ‘अपाचे गार्जियन’ के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया का सबसे उन्नत और घातक मल्टी-रोल अटैक हेलीकॉप्टर माना जाता है। बोइंग द्वारा निर्मित यह हेलीकॉप्टर अपनी बेजोड़ फायरपावर, चपलता और अत्याधुनिक तकनीक के लिए प्रसिद्ध है। यह लॉन्गबो रडार, AGM-114 हेलफायर मिसाइल, 70mm हाइड्रा रॉकेट, और 30mm M230 चेन गन से लैस है, जो इसे टैंक-नाशक और सटीक हमले करने में सक्षम बनाता है। यह हेलीकॉप्टर दिन-रात, हर मौसम में, और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी ऑपरेशन करने की क्षमता रखता है। यह ड्रोन जैसे MQ-1C ग्रे ईगल को रिमोटली नियंत्रित कर सकता है, जिससे इसकी टोही और हमले की क्षमता और बढ़ जाती है।

भारतीय सेना के लिए ये हेलीकॉप्टर खास तौर पर पश्चिमी सीमा पर बख्तरबंद खतरों (जैसे टैंक) का मुकाबला करने और हवाई समर्थन प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इनकी तैनाती जोधपुर के 451 एविएशन स्क्वाड्रन में होगी, जिसे मार्च 2024 में विशेष रूप से अपाचे हेलीकॉप्टरों के लिए स्थापित किया गया था।

डिलीवरी में देरी और राजनयिक हस्तक्षेप

भारत ने फरवरी 2020 में अमरीका के साथ 600 मिलियन डॉलर (लगभग 4100 करोड़ रुपये) के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत भारतीय सेना को छह अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टर मिलने थे। मूल योजना के अनुसार, इनमें से तीन हेलीकॉप्टर मई-जून 2024 तक और बाकी तीन जुलाई 2024 तक भारत पहुंचने थे। हालांकि, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और तकनीकी समस्याओं, जैसे इलेक्ट्रिकल पावर जनरेटर की खराबी जिससे कॉकपिट में धुआं जमा होने का खतरा था, के कारण डिलीवरी में बार-बार देरी हुई।

सितंबर 2024 में बोइंग ने डिलीवरी का समय दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया था, लेकिन यह समयसीमा भी चूक गई। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि भारत की अमरीकी रक्षा प्राथमिकता और आवंटन प्रणाली (DPAS) में निचली रैंकिंग और भू-राजनीतिक तनाव, जैसे रूस-यूक्रेन संघर्ष में भारत की तटस्थता, ने भी देरी में योगदान दिया। हालांकि, ये दावे असत्यापित हैं और इन्हें सावधानी से देखा जाना चाहिए। अप्रैल-मई 2024 में भारत के राजनयिक हस्तक्षेप के बाद, अमरीका ने डिलीवरी को प्राथमिकता दी। 1 जुलाई 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमरीकी रक्षा सचिव पीट हेग्सेथ के बीच फोन पर हुई बातचीत में डिलीवरी को तेज करने का आग्रह किया गया, जिसके परिणामस्वरूप अब तीन हेलीकॉप्टर 21 जुलाई तक और बाकी तीन नवंबर 2025 तक भारत पहुंचने की उम्मीद है।

जोधपुर में तैनाती और रणनीतिक महत्व

इन अपाचे हेलीकॉप्टरों को जोधपुर के नगटालाव सेना बेस में तैनात किया जाएगा, जहां 451 एविएशन स्क्वाड्रन पहले ही तैयार है। यह स्क्वाड्रन मार्च 2024 में स्थापित किया गया था, लेकिन हेलीकॉप्टरों की अनुपस्थिति में यह अब तक गैर-ऑपरेशनल रहा। प्रशिक्षित पायलट और ग्राउंड क्रू, जिन्हें अमरीका में प्रशिक्षण दिया गया था, इन हेलीकॉप्टरों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इनकी तैनाती विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा पर महत्वपूर्ण होगी, जहां ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के बाद तनाव बढ़ा है। ये हेलीकॉप्टर भारत की अनौपचारिक ‘कोल्ड स्टार्ट’ रणनीति को मजबूत करेंगे, जो सीमा पर त्वरित सैन्य प्रतिक्रिया पर केंद्रित है।

अपाचे हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना के मौजूदा 22 अपाचे हेलीकॉप्टरों के बेड़े को पूरक करेंगे, जिन्हें 2015 में 3.1 बिलियन डॉलर के सौदे के तहत खरीदा गया था और 2019-2021 के बीच पठानकोट और जोरहट में तैनात किया गया था। सेना और वायुसेना के बीच हेलीकॉप्टर संचालन को लेकर ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता के बावजूद, यह खरीद सेना को अपनी स्वतंत्र हवाई हमला क्षमता प्रदान करती है।

तकनीकी विशेषताएं और युद्धक क्षमता

अपाचे AH-64E में कई उन्नत तकनीकें हैं, जो इसे एक ‘उड़ता टैंक’ बनाती हैं:

  • लॉन्गबो फायर कंट्रोल रडार: 128 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और 16 को एक साथ निशाना बना सकता है, चाहे मौसम कैसा भी हो।
  • हेलफायर मिसाइलें: टैंक-रोधी और सटीक हमलों के लिए।
  • 30mm चेन गन: प्रति मिनट 625 राउंड फायर कर सकती है।
  • ड्रोन नियंत्रण: MQ-1C ग्रे ईगल जैसे ड्रोनों को नियंत्रित कर टोही और हमले की रेंज बढ़ा सकता है।
  • हर मौसम में संचालन: ऊंचाई, रेगिस्तान, और रात में भी प्रभावी।

ये विशेषताएं इसे पाकिस्तान सीमा पर बख्तरबंद खतरों और हवाई समर्थन के लिए आदर्श बनाती हैं।

चुनौतियां और भविष्य की दिशा

हालांकि अपाचे हेलीकॉप्टर भारत की सैन्य शक्ति को बढ़ाएंगे, लेकिन डिलीवरी में देरी ने आधुनिकीकरण योजनाओं पर सवाल उठाए हैं। कुछ विशेषज्ञों और चर्चाओं में यह सवाल उठा है कि क्या आधुनिक युद्ध में ड्रोन और AI-सक्षम हथियारों के बढ़ते उपयोग के बीच महंगे हेलीकॉप्टरों की खरीद उचित है। दक्षिण कोरिया जैसे देश अपाचे की खरीद पर पुनर्विचार कर रहे हैं, और अमरीकी सेना भी अपने पुराने AH-64D मॉडल को हटाकर फ्यूचर लॉन्ग-रेंज असॉल्ट एयरक्राफ्ट (FLRAA) पर ध्यान दे रही है।

भारत में भी आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) प्रचंड को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे लद्दाख में तैनात किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने 156 LCH की खरीद को मंजूरी दी है, जो अपाचे के साथ मिलकर सेना की हवाई शक्ति को और मजबूत करेगा।

सामाजिक और रणनीतिक प्रभाव

इस खबर को लेकर उत्साह देखा गया है। “अपाचे हेलीकॉप्टर भारत की सीमा सुरक्षा को अजेय बनाएंगे। पाकिस्तान के लिए यह एक कड़ा संदेश है।” हालांकि, कुछ ने देरी पर निराशा जताई, इसे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता का परिणाम बताया। इन दावों को सावधानी से देखा जाना चाहिए, क्योंकि देरी के कारणों पर पूर्ण स्पष्टता नहीं है।

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