हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: ‘पेपर लीक वाले थानेदारों के भरोसे नहीं छोड़ी जा सकती जनता’, राजस्थान SI भर्ती 2021 मामले में सरकार को फटकार

जयपुर | राजस्थान हाईकोर्ट ने 2021 की पुलिस सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के मामले में सरकार और जांच एजेंसी SOG पर कड़ा रुख अपनाया है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “हम राजस्थान की जनता को पेपर लीक से बने थानेदारों के भरोसे नहीं छोड़ सकते।” अदालत ने सरकार के दोहरे रवैये और निर्णय लेने में देरी पर नाराजगी जताते हुए स्पष्ट किया कि वह किसी भी “पैरामीटर्स” में बंधी नहीं है और कानून से परे जाकर भी फैसला ले सकती है।

मामले की पृष्ठभूमि

2021 में राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) द्वारा आयोजित SI और प्लाटून कमांडर भर्ती परीक्षा में 859 पदों के लिए लाखों उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था। लेकिन परीक्षा से पहले पेपर लीक और नकल के गंभीर आरोप सामने आए। विशेष कार्य बल (SOG) की जांच में पेपर लीक की पुष्टि हुई, और अब तक 116 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें 55 से अधिक चयनित प्रशिक्षु थानेदार शामिल हैं। गिरफ्तारियों में RPSC के पूर्व सदस्य बाबूलाल कटारा और रामूराम रायका जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं, जिनके रिश्तेदारों ने भी इस परीक्षा में हिस्सा लिया था।

हाईकोर्ट की सुनवाई और टिप्पणियां

11 जुलाई 2025 को हुई सुनवाई में जस्टिस समीर जैन ने सरकार और SOG की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठाए:

  • दोहरा मापदंड: SOG ने पहले दावा किया था कि वह सही और गलत उम्मीदवारों की पहचान नहीं कर सकती, लेकिन अब कह रही है कि वह ऐसा कर सकती है। इस पर अदालत ने कहा, “सरकार दोहरा मापदंड नहीं अपना सकती।”
  • निगरानी की कमी: अदालत ने पूछा कि जब SOG, पुलिस मुख्यालय, और मंत्रिमंडलीय उप-समिति ने भर्ती में धांधली की बात स्वीकारी थी, तो सरकार ने पुरानी रिपोर्ट्स को क्यों दबाया और अपना रुख क्यों बदला?
  • जनता की सुरक्षा: जस्टिस जैन ने जोर देकर कहा कि पुलिस जैसे महत्वपूर्ण विभाग में अनुचित तरीके से चयनित अधिकारियों को नियुक्त करना जनता के लिए खतरा है।
  • स्वतंत्र निर्णय: सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि याचिका में उनके वर्तमान फैसले को चुनौती नहीं दी गई है, लेकिन अदालत ने कहा कि वह अनुच्छेद 226 के तहत स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकती है और याचिका के दायरे तक सीमित नहीं है।

याचिकाकर्ताओं की मांग

याचिकाकर्ताओं, जिनमें कैलाश चंद्र शर्मा और अन्य शामिल हैं, ने भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह रद्द करने की मांग की है। उनके वकील मेजर आरपी सिंह और हरेंद्र नील ने दलील दी कि:

  • परीक्षा की तीनों पारियों के पेपर लीक हुए थे, और उसी दिन 11 FIR दर्ज की गई थीं, फिर भी RPSC ने कोई कार्रवाई नहीं की।
  • निजी स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया गया और वहां निजी वीक्षक नियुक्त किए गए, जिससे धांधली को बढ़ावा मिला।
  • कई चयनित उम्मीदवारों के परिजनों का आपराधिक रिकॉर्ड है, और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि दोषी उम्मीदवारों की पहचान नहीं हो सकती, तो भर्ती रद्द की जा सकती है।

सरकार और RPSC का पक्ष

  • सरकार: महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने दलील दी कि भर्ती को रद्द करने का अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, और याचिका समय से पहले दायर की गई है। उन्होंने याचिका खारिज करने की मांग की।
  • चयनित उम्मीदवार: वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर ने चयनित उम्मीदवारों का पक्ष रखते हुए कहा कि पूरी भर्ती रद्द करना उन लोगों के साथ अन्याय होगा जो निष्पक्ष रूप से चुने गए हैं। SOG की रिपोर्ट में केवल कुछ उम्मीदवारों की धांधली की बात कही गई है।
  • RPSC: आयोग से पूछा गया कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान पेपर लीक की कितनी शिकायतें मिलीं, लेकिन अभी तक स्पष्ट जवाब नहीं मिला है।

SOG की जांच और गिरफ्तारियां

  • SOG ने अब तक 113 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 52 प्रशिक्षु थानेदार, 7 चयनित थानेदार, और पेपर लीक गिरोह के 54 सदस्य शामिल हैं।
  • प्रमुख मास्टरमाइंड जैसे तुलसाराम कालेर (जो पहले RAS भर्ती में धोखाधड़ी के लिए पकड़ा गया था) और जगदीश विश्नोई गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है।
  • पेपर लीक के लिए व्हाट्सएप के जरिए सॉल्व्ड पेपर बांटे गए, और कुछ उम्मीदवारों ने लाखों रुपये में ये पेपर खरीदे।
  • टॉप 10 में से 6 उम्मीदवार भी पेपर लीक मामले में फंसे हैं, जिनमें पहली रैंक धारक नरेश कुमार और पांचवीं रैंक धारक शोभा रायका शामिल हैं।

हाईकोर्ट के पिछले आदेश

  • 18 नवंबर 2024: कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
  • 10 जनवरी 2025: पुलिस मुख्यालय ने प्रशिक्षु थानेदारों की फील्ड ट्रेनिंग पर रोक लगा दी।
  • 21 फरवरी 2025: सरकार को दो महीने में निर्णय लेने का आदेश दिया गया, लेकिन 15 मई की समयसीमा तक कोई ठोस फैसला नहीं हुआ।
  • 26 मई 2025: कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि इस तारीख तक निर्णय नहीं लिया गया, तो जिम्मेदार लोगों को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

  • जनता का आक्रोश: सोशल मीडिया पर #SI_भर्ती2021रद्द_करो जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, और युवा भर्ती रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
  • राजनीतिक दबाव: पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने भी भर्ती रद्द करने की मांग की थी। 2023 में गहलोत सरकार ने पेपर लीक के लिए उम्रकैद की सजा का प्रावधान वाला कानून पास किया था, लेकिन नए मामले सामने आने से जांच तेज हुई है।
  • चुनावी मुद्दा: पेपर लीक के मामले राजस्थान में चुनावी मुद्दा बन चुके हैं, और विपक्षी दल सरकार पर लगातार हमलावर हैं।

आगे क्या?

हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 14 जुलाई 2025 के लिए निर्धारित की है। कोर्ट ने SOG के एडीजी वीके सिंह और DGP को व्यक्तिगत रूप से पेश होने या स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। यदि सरकार और RPSC ठोस कदम नहीं उठाते, तो भर्ती रद्द होने की संभावना बढ़ सकती है। यह मामला न केवल पुलिस भर्ती की विश्वसनीयता, बल्कि राजस्थान में भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर भी सवाल उठा रहा है।

यह मामला न केवल एक भर्ती घोटाले को उजागर करता है, बल्कि सिस्टम में गहरी खामियों को भी दर्शाता है। सरकार और जांच एजेंसियों को निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई करनी होगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और युवाओं का भरोसा बना रहे।

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