हनुमानगढ़ | राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के पल्लू तहसील क्षेत्र में कच्ची डिग्गियों (खुले जोहड़ों) में डूबने से होने वाली दुर्घटनाओं ने एक बार फिर प्रशासन और ग्राम पंचायतों की लापरवाही को उजागर किया है। पिछले तीन वर्षों में इस क्षेत्र में ऐसे तीन हादसों में पांच बच्चों की मौत हो चुकी है। बुधवार, 16 जुलाई 2025 को बन्नासर गांव में एक 10 वर्षीय बच्ची की कच्ची डिग्गी में डूबने से हुई मौत ने इस समस्या की गंभीरता को फिर से रेखांकित किया है। इसके बावजूद, इन डिग्गियों में न तो चारदीवारी है, न तारबंदी, और न ही खतरे की चेतावनी देने वाले नोटिस बोर्ड। दूसरी ओर, हनुमानगढ़ टाउन पुलिस ने एक अलग मामले में भारतमाला रोड पर नाकाबंदी के दौरान 85 किलोग्राम पोस्त जब्त कर दो तस्करों को गिरफ्तार किया है, जिसकी अनुमानित कीमत 25 लाख रुपये है।
पल्लू तहसील में कच्ची डिग्गियों का खतरा
पल्लू तहसील के प्रत्येक गांव में मौजूद कच्ची डिग्गियां, जो मुख्य रूप से कृषि भूमि पर सिंचाई के लिए बनाई गई हैं, बच्चों और ग्रामीणों के लिए मौत का जाल बन चुकी हैं। इन डिग्गियों में कोई सुरक्षा उपाय नहीं होने के कारण बार-बार हादसे हो रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में तीन हादसों में पांच बच्चों की जान जा चुकी है, लेकिन प्रशासन और ग्राम पंचायतों ने इन खुले जोहड़ों को सुरक्षित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। न तो चारदीवारी बनाई गई, न तारबंदी की गई, और न ही चेतावनी बोर्ड लगाए गए, जो इन हादसों को रोकने में मदद कर सकते थे।
बन्नासर गांव में ताजा हादसा
बुधवार शाम को बन्नासर गांव में ढाणी माहेला की रोही में श्योचंद टाकरिया की कृषि भूमि पर बनी एक कच्ची डिग्गी में 10 वर्षीय पूजा, जो मोटाराम कोटवाल की बेटी थी, डूब गई। मोटाराम ने यह जमीन श्योचंद से काश्त पर ली थी। जानकारी के अनुसार, पूजा अपनी मां के साथ पानी लेने के लिए डिग्गी पर गई थी। पानी भरते समय संतुलन बिगड़ने के कारण वह डिग्गी में फिसलकर गिर गई। पास के खेत में कीटनाशक छिड़क रहे एक पड़ोसी ने गिरने की आवाज सुनी और पूजा को बचाने की कोशिश की, लेकिन डिग्गी की गहराई अधिक होने के कारण वह डूब गई।
परिवारजनों और आसपास के खेतों में काम कर रहे पड़ोसियों ने पूजा को डिग्गी से निकाला, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) परमिंदर सिंह और कांस्टेबल हरी सिंह मौके पर पहुंचे। पूजा के पीहर पक्ष (मायके वालों) ने शव को न हटाने की चेतावनी दी थी, इसलिए पुलिस ने उनके पहुंचने तक इंतजार किया। पीहर पक्ष के आने के बाद शव का पोस्टमार्टम करवाया गया, और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी।
स्थानीय निवासियों ने इस हादसे को प्रशासन की घोर लापरवाही का परिणाम बताया। एक ग्रामीण ने कहा, “हर गांव में ऐसी खुली डिग्गियां हैं। बच्चे खेलते-खेलते या पानी लेने के दौरान इनमें गिर जाते हैं। अगर चारदीवारी या चेतावनी बोर्ड होते, तो शायद पूजा की जान बच सकती थी।” यह हादसा उन कई घटनाओं की कड़ी में शामिल है, जो खुले जल स्रोतों की अनदेखी के कारण हो रही हैं।
खुले जल स्रोतों की समस्या का व्यापक परिदृश्य
खुले कुओं और डिग्गियों में बच्चों के डूबने की घटनाएं राजस्थान और पूरे भारत में एक गंभीर समस्या बनी हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 और 2010 में खुले बोरवेल्स और कुओं को सुरक्षित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, जिनमें निर्माण के दौरान तारबंदी, स्टील प्लेट कवर, और कुओं को भरने जैसे उपाय शामिल थे। इसके बावजूद, पल्लू तहसील जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिशानिर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। 2012 में अल जजीरा की एक रिपोर्ट ने हरियाणा और राजस्थान में अवैध बोरवेल्स और खुले कुओं को “मौत के कुएं” करार दिया था, जो पानी की कमी के कारण माफिया-शैली के समूहों द्वारा खोदे जाते हैं और बाद में छोड़ दिए जाते हैं।
पल्लू तहसील में कच्ची डिग्गियां ज्यादातर निजी कृषि भूमि पर हैं, और इनके मालिकों या काश्तकारों द्वारा कोई सुरक्षा उपाय नहीं किए जाते। स्थानीय प्रशासन और ग्राम पंचायतों की निष्क्रियता ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन डिग्गियों को तारबंदी, चारदीवारी, या चेतावनी बोर्डों से सुरक्षित करना न्यूनतम लागत में संभव है, लेकिन जागरूकता और जवाबदेही की कमी के कारण यह नहीं हो रहा।
हनुमानगढ़ टाउन में पोस्त तस्करी के खिलाफ कार्रवाई
एक अलग घटनाक्रम में, हनुमानगढ़ टाउन पुलिस ने भारतमाला रोड पर चौहिलांवाली के पास नाकाबंदी के दौरान 85 किलोग्राम पोस्त जब्त कर दो तस्करों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान विकास पुत्र श्रीराम बिश्नोई (जण्डवाला बिश्नोईयान, सिरसा) और सौरभ पुत्र गोविंदराम धाणका (वार्ड सात, संगरिया) के रूप में हुई है। जब्त पोस्त की अनुमानित कीमत 25 लाख रुपये है।
टाउन पुलिस ने दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां रावतसर थाना प्रभारी रामचंद्र कस्वां को मामले की जांच सौंपी गई। पुलिस ने पोस्त की खरीद-बिक्री और तस्करी के नेटवर्क की पड़ताल के लिए आरोपियों का रिमांड मंजूर कराया है। पुलिस अधीक्षक अरशद अली ने बताया कि यह कार्रवाई मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान का हिस्सा है। नाकाबंदी के दौरान स्विफ्ट डिजायर कार से पोस्त बरामद किया गया, और जांच से तस्करी के बड़े नेटवर्क का खुलासा होने की उम्मीद है।
सामाजिक प्रभाव और प्रशासन से अपेक्षाएं
पल्लू तहसील में कच्ची डिग्गियों में डूबने की घटनाएं स्थानीय समुदाय में भय और आक्रोश पैदा कर रही हैं। पिछले तीन वर्षों में पांच बच्चों की मौत ने ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति अविश्वास को बढ़ा दिया है। बन्नासर गांव के एक निवासी ने कहा, “हमारे बच्चे असुरक्षित हैं। प्रशासन और पंचायत को इन डिग्गियों को सुरक्षित करना चाहिए। अगर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन होता, तो शायद ये हादसे रुक सकते थे।”
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि जिला प्रशासन और ग्राम पंचायतें तत्काल कदम उठाएं, जैसे:
- सभी कच्ची डिग्गियों और जोहड़ों की तारबंदी या चारदीवारी करना।
- खतरे की चेतावनी देने वाले नोटिस बोर्ड लगाना।
- नियमित निरीक्षण और जागरूकता अभियान चलाना।
- निजी डिग्गी मालिकों के लिए सुरक्षा नियमों को अनिवार्य करना।
वहीं, पोस्त तस्करी की घटना ने हनुमानगढ़ में मादक पदार्थों के बढ़ते खतरे को उजागर किया है। स्थानीय निवासियों ने पुलिस की इस कार्रवाई की सराहना की, लेकिन मांग की कि तस्करी के बड़े नेटवर्क को उजागर करने के लिए और सख्त कदम उठाए जाएं।