राजस्थान के नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के नेता हनुमान बेनीवाल ने जयपुर में सरकारी आवास खाली करने के नोटिस को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी है। बेनीवाल का दावा है कि संपदा विभाग की कार्रवाई नियमों के खिलाफ है और उनके साथ अन्याय हो रहा है। इस मामले में अगले सप्ताह हाईकोर्ट में सुनवाई होने की संभावना है, जिसने राजस्थान की सियासत में हलचल मचा दी है।
हनुमान बेनीवाल पर जयपुर के ज्योतिनगर में विधायक फ्लैट और जालूपुरा में विधायक बंगले पर अनधिकृत कब्जे का आरोप है। संपदा विभाग ने 1 जुलाई 2025 को उन्हें आवास खाली करने का नोटिस जारी किया था। इसके बाद चार और नोटिस भेजे गए, लेकिन बेनीवाल ने अब तक आवास खाली नहीं किया। उनकी याचिका में कहा गया है कि संपदा अधिकारी जल्दबाजी में कार्रवाई कर रहे हैं और उनके आवेदनों को अपमानजनक टिप्पणियों के साथ खारिज किया गया। बेनीवाल ने नोटिस और कार्रवाई को रद्द करने की मांग की है।
इस मामले की पहली सुनवाई 11 जुलाई 2025 को हुई थी। बेनीवाल का कहना है कि वे नियमित रूप से किराया दे रहे हैं और किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया। उन्होंने इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध करार देते हुए कहा कि यह उनकी आवाज को दबाने की साजिश है। बेनीवाल ने दावा किया कि वे 2021 की सब-इंस्पेक्टर भर्ती में कथित गड़बड़ी को उजागर कर रहे हैं, जिसके चलते उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उनकी याचिका में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की अनदेखी का भी आरोप लगाया गया है।
हनुमान बेनीवाल के साथ-साथ पूर्व विधायक पुखराज गर्ग और नारायण बेनीवाल को भी जालूपुरा में सरकारी बंगले खाली करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। नियम तोड़ने के आरोप में इन दोनों की विधायक पेंशन भी रोक दी गई है। दूसरी ओर, हनुमान बेनीवाल को सांसद के रूप में वेतन और अन्य सुविधाएं मिल रही हैं, इसलिए उनकी पेंशन पर कोई असर नहीं पड़ा।
बेनीवाल के समर्थक इस कार्रवाई को सरकार की साजिश बता रहे हैं। उनका कहना है कि बेनीवाल किसानों और युवाओं के मुद्दों को उठाते हैं, जिससे सत्ताधारी दल बौखलाया हुआ है। वहीं, सरकार और बीजेपी नेताओं का कहना है कि नियम सभी के लिए समान हैं और सरकारी आवास पर अनधिकृत कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बीजेपी विधायक रेवंतराम डांगा ने बेनीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि सरकारी आवास को स्थायी हक समझना “नैतिकता का ढोंग” है।
इससे पहले, जुलाई 2025 में बेनीवाल के नागौर स्थित निजी आवास का बिजली कनेक्शन 11 लाख रुपये के बकाया बिल के कारण काट दिया गया था। बेनीवाल ने इसे भी राजनीतिक साजिश बताया, जबकि बिजली विभाग ने इसे नियमित कार्रवाई करार दिया। हालांकि, हाईकोर्ट ने 6 लाख रुपये जमा करने की शर्त पर बिजली कनेक्शन बहाल करने का आदेश दिया था।
यह मामला न केवल हनुमान बेनीवाल के लिए, बल्कि राजस्थान की राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण है। सभी की नजरें अब हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। क्या यह कार्रवाई नियमों के तहत है या राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा? इस सवाल का जवाब कोर्ट के निर्णय से ही मिलेगा। तब तक यह विवाद राजस्थान की सियासत को गर्माए रखेगा।
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