राजस्थान

घड़साना: सरकारी स्कूल में शिक्षक की घिनौनी हरकत, नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ पर POCSO के तहत कार्रवाई

बीकानेर संभाग के घड़साना क्षेत्र में एक सरकारी स्कूल में शिक्षक द्वारा 12 वर्षीय नाबालिग छात्रा के साथ छेड़छाड़ का दिल दहलाने वाला मामला सामने आया है। इस घटना ने शिक्षा के मंदिर की पवित्रता को कलंकित किया है और स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घड़साना पुलिस ने पीड़िता और उसके परिजनों की शिकायत पर आरोपी शिक्षक के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

एक महीने का दर्द: मासूम की आपबीती

गांव 15 एच के सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूल में पढ़ने वाली सातवीं कक्षा की छात्रा ने अपने सामाजिक अध्ययन के शिक्षक जयपाल मीणा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शिकायत के अनुसार, पिछले एक महीने से शिक्षक कक्षा के बाद छात्रा को अकेले में बुलाकर अश्लील व्यवहार करता था। उसने न केवल छात्रा को गलत तरीके से छुआ, बल्कि उसे धमकी भी दी कि अगर उसने किसी को बताया तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा और उसके परिवार की बदनामी होगी।

गुरुवार को जब छात्रा स्कूल से घर लौटी, तो वह डरी और सहमी हुई थी। उसकी मां ने उसकी असामान्य हरकतों को देखकर बार-बार पूछताछ की। पहले तो बच्ची चुप रही, लेकिन मां के बार-बार आश्वासन देने पर उसने आंसुओं के साथ सारी सच्चाई बयान की। परिवार ने तुरंत घड़साना पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई

घड़साना थाने के SHO महावीर प्रसाद बिश्नोई ने बताया, “पीड़िता के बयानों और परिजनों की शिकायत के आधार पर जयपाल मीणा के खिलाफ POCSO एक्ट की धारा 8 (यौन हमले का प्रयास) और 11 (यौन उत्पीड़न) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।” पुलिस के अनुसार, आरोपी शिक्षक फिलहाल फरार है, और उसकी तलाश में पुलिस टीमें संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं। पीड़िता की मेडिकल जांच पूरी हो चुकी है, और उसे मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए जिला बाल कल्याण समिति को सौंपा गया है।

पुलिस स्कूल के रिकॉर्ड्स, CCTV फुटेज और अन्य कर्मचारियों से पूछताछ कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या अन्य बच्चे भी इस तरह की हरकतों का शिकार हुए हैं। जांच अधिकारी ने कहा कि मामला संवेदनशील होने के कारण पीड़िता की गोपनीयता बनाए रखी जाएगी और त्वरित न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।

परिवार का दर्द और समाज में आक्रोश

पीड़िता के पिता, जो एक छोटे किसान हैं, ने गमगीन स्वर में कहा, “हमने अपनी बेटी को पढ़ने के लिए स्कूल भेजा था, न कि ऐसी हैवानियत का शिकार होने के लिए। हमारी बेटी पढ़ाई में तेज थी, लेकिन अब वह डर के साये में जी रही है।” इस घटना ने स्थानीय समुदाय में भारी आक्रोश पैदा किया है। कई सामाजिक संगठनों और ग्रामीणों ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की है।

स्कूलों में सुरक्षा की खुली पोल

यह मामला राजस्थान में POCSO से संबंधित अपराधों में बढ़ोतरी को दर्शाता है, जिसमें हाल के वर्षों में 30% की वृद्धि दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण स्कूलों में CCTV कैमरे, महिला सुरक्षाकर्मी और जागरूकता कार्यक्रमों की कमी इस समस्या को बढ़ावा दे रही है। जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रतिक्रिया में कहा, “हम सभी स्कूलों में विशेष जांच समिति गठित करेंगे और शिक्षकों के लिए संवेदनशीलता प्रशिक्षण अनिवार्य करेंगे।”

न्याय और सुधार की पुकार

घड़साना की यह घटना न केवल एक परिवार का दुख है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। स्कूल बच्चों के लिए सुरक्षित स्थान होने चाहिए, और इसके लिए तत्काल सुधारों की जरूरत है। POCSO एक्ट के तहत दोषी को कम से कम 10 साल की सजा का प्रावधान है, और समुदाय को उम्मीद है कि इस मामले में जल्द और कड़ा न्याय होगा।

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