जयपुर में पिता की क्रूरता: नाबालिग बेटियों के साथ 5 साल तक दुष्कर्म, एनजीओ की शिकायत पर गिरफ्तार

जयपुर : राजस्थान की राजधानी जयपुर में रिश्तों को शर्मसार करने वाला एक दिल दहलाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक 35 वर्षीय व्यक्ति को अपनी दो नाबालिग बेटियों (10 और 11 वर्ष) के साथ पिछले पांच साल से दुष्कर्म करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह घिनौना अपराध तब उजागर हुआ, जब एक स्थानीय एनजीओ की सक्रियता और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने पीड़ित बच्चियों की दर्दनाक कहानी को सामने लाया। मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, और जांच जारी है।

मामले का खुलासा कैसे हुआ?
20 जून 2025 को एक महिला अपनी दो नाबालिग बेटियों को पेट दर्द और मानसिक तनाव की शिकायत के साथ जयपुर के एक सरकारी अस्पताल में लेकर पहुंची। बच्चियों की गंभीर हालत देखकर डॉक्टर को शक हुआ, और मेडिकल जांच में दुष्कर्म की पुष्टि हुई। डॉक्टर ने तुरंत स्थानीय एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर वॉलंट्री एक्शन’ और ‘आसरा फाउंडेशन’ को सूचित किया। एनजीओ ने मां और बच्चियों की काउंसलिंग शुरू की, जिसमें सामने आया कि बच्चियों का यौन शोषण उनके पिता द्वारा किया जा रहा था।

मां की चुप्पी और सामाजिक डर

काउंसलिंग के दौरान मां ने बताया कि उसे अपने पति की करतूतों की जानकारी थी, लेकिन सामाजिक बदनामी, आर्थिक तंगी, और पति की धमकियों के डर से उसने चुप्पी साध रखी थी। आरोपी ने मां को धमकी दी थी कि अगर उसने शिकायत की, तो वह उसे और बच्चियों को छोड़ देगा या उनकी बदनामी करेगा। मां ने शुरू में पुलिस में शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया और केवल आरोपी को चेतावनी देने की मांग की। हालांकि, एनजीओ की सलाह और पुलिस की पारदर्शी प्रक्रिया ने मामले को आगे बढ़ाया।

पुलिस और एनजीओ की संयुक्त कार्रवाई

21 जून 2025 को एनजीओ ने मां और बच्चियों को एक सुरक्षित स्थान पर ले जाकर उनकी विस्तृत काउंसलिंग की। इस दौरान गुप्त कैमरे से बयानों की वीडियोग्राफी की गई, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। बच्चियों ने अपने साथ हुए अत्याचार की दर्दनाक कहानी बयां की, जिसमें बताया गया कि पिता शराब के नशे में अक्सर उनकी मां के साथ मारपीट करता था और बच्चियों का यौн शोषण करता था। काउंसलिंग और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर चित्रकूट थाना की एसएचओ अंतिम शर्मा ने सदर थाने में भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 64(2)(एम) (दुष्कर्म), 351(4) (घर में अनधिकार प्रवेश), और पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत स्वतः संज्ञान लेते हुए FIR दर्ज की।

पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) अमित कुमार बुढानिया ने बताया कि मेडिकल बोर्ड की जांच में बच्चियों के साथ पांच साल से यौन शोषण की पुष्टि हुई। आरोपी को 26 जून 2025 को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी, जो पेशे से मैकेनिक है, अपनी पत्नी को डरा-धमकाकर इस अपराध को अंजाम देता था।

बच्चियों की मनोदशा

पीड़ित बच्चियां मानसिक और शारीरिक रूप से गंभीर स्थिति में हैं। काउंसलिंग के दौरान बच्चियों ने बताया कि वे स्कूल में गुमसुम रहती थीं और बार-बार पेट दर्द की शिकायत करती थीं। उन्होंने अपनी मां से कई बार पूछा कि क्या सभी पिता ऐसे ही होते हैं, जो उनकी मासूमियत और दर्द को दर्शाता है। बच्चियों को अब मनोवैज्ञानिक सहायता दी जा रही है, ताकि वे इस सदमे से उबर सकें।

समाज और प्रशासन के लिए सवाल

यह मामला समाज में बाल यौन शोषण और घरेलू हिंसा जैसे गंभीर मुद्दों पर सवाल उठाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सामाजिक बदनामी का डर और आर्थिक निर्भरता अक्सर पीड़ितों को चुप रहने के लिए मजबूर करती है। जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के डीसीपी वेस्ट अमित बुढानिया ने कहा, “ऐसे मामलों में एनजीओ और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई महत्वपूर्ण है। हम पीड़ितों को न्याय दिलाने और अपराधियों को सजा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

एनजीओ की भूमिका

‘एसोसिएशन फॉर वॉलंट्री एक्शन’ और ‘आसरा फाउंडेशन’ की सक्रियता ने इस मामले को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई। एनजीओ ने न केवल बच्चियों और उनकी मां की काउंसलिंग की, बल्कि पुलिस को पर्याप्त सबूत भी मुहैया कराए। यह घटना बाल यौन हिंसा के खिलाफ काम करने वाली संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है।

कानूनी कार्रवाई और भविष्य

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या मां की निष्क्रियता को कानूनी रूप से जिम्मेदारी माना जा सकता है। पुलिस जल्द ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है।

समाज के लिए सबक

यह घटना समाज को झकझोरने वाली है और यह सवाल उठाती है कि क्या बच्चियां अपने ही घर में सुरक्षित हैं? विशेषज्ञों का सुझाव है कि बाल यौन शोषण के खिलाफ जागरूकता अभियान, स्कूलों में यौन शिक्षा, और त्वरित पुलिस कार्रवाई से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। साथ ही, समाज को सामाजिक बदनामी के डर से ऊपर उठकर पीड़ितों का समर्थन करना होगा।

निष्कर्ष

जयपुर का यह मामला न केवल रिश्तों को तार-तार करने वाला है, बल्कि समाज और प्रशासन के सामने एक गंभीर चुनौती भी पेश करता है। बच्चियों के साथ हुई इस दरिंदगी ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। पुलिस और एनजीओ की त्वरित कार्रवाई से आरोपी सलाखों के पीछे है, लेकिन यह घटना समाज को यह याद दिलाती है कि बच्चों की सुरक्षा और न्याय के लिए सभी को एकजुट होने की जरूरत है।

संपादक: thartoday.com

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