नई दिल्ली : कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगाए, जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। राहुल ने महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा में फर्जी वोटरों और रहस्यमयी मतदाताओं की मौजूदगी का दावा किया, जिसे उन्होंने “लोकतंत्र के खिलाफ अपराध” करार दिया। आइए, उनके आरोपों और चुनाव आयोग के जवाब को तथ्यों के साथ समझते हैं।
राहुल गांधी के आरोप
राहुल गांधी ने 7 अगस्त 2025 को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में निम्नलिखित दावे किए:
महाराष्ट्र में धांधली: विधानसभा चुनाव में 40 लाख रहस्यमयी वोटर जोड़े गए, जिनके पते और पहचान संदिग्ध हैं।
कर्नाटक में गड़बड़ी: बेंगलुरु सेंट्रल की महादेवपुरा विधानसभा सीट में 1,00,250 फर्जी वोट बनाए गए, जिसमें 11,265 डुप्लिकेट वोटर, 40,009 फर्जी पते और 33,000 से अधिक फॉर्म-6 का दुरुपयोग शामिल है।
उदाहरण: राहुल ने शकुंतला रानी का मामला उठाया, जिन्होंने कथित तौर पर दो बार वोट डाला, और गुरकीरत सिंह डंग का, जिनके चार अलग-अलग बूथों में चार EPIC नंबर थे।
चुनाव आयोग पर सवाल: राहुल ने दावा किया कि आयोग डिजिटल वोटर लिस्ट और CCTV फुटेज साझा नहीं कर रहा, जिससे धांधली छिपाई जा रही है।
राहुल ने इसे “संविधान के खिलाफ अपराध” बताते हुए कहा कि उनकी टीम ने छह महीने तक 6.5 लाख वोटर प्रविष्टियों का विश्लेषण किया, जिसमें कर्नाटक में BJP की जीत को सुनिश्चित करने के लिए वोट चोरी का सबूत मिला।
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को “बेबुनियाद और भ्रामक” बताकर खारिज किया है। आयोग की ओर से निम्नलिखित बिंदु सामने आए:
प्रक्रिया में पारदर्शिता: आयोग ने कहा कि मतदाता सूची तैयार करने में 70 चरणों की प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसमें राजनीतिक दलों के साथ परामर्श शामिल है। किसी भी नाम को हटाने से पहले व्यक्तिगत सुनवाई अनिवार्य है।
सबूत की मांग: कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने राहुल से उनके दावों को शपथ पत्र के साथ साबित करने को कहा। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के CEO ने भी राहुल के उदाहरणों (जैसे आदित्य श्रीवास्तव) को गलत बताया।
वोटर टर्नआउट पर सफाई: महाराष्ट्र में वोटर टर्नआउट में बढ़ोतरी (58.22% से 66.05%) को आयोग ने सामान्य बताया, क्योंकि देर रात तक कतार में लगे वोटरों का डेटा बाद में अपडेट होता है। फॉर्म-17C के जरिए यह डेटा पार्टियों के साथ साझा किया जाता है।EVM की
विश्वसनीयता: आयोग ने कहा कि EVM पूरी तरह सुरक्षित और टैंपर-प्रूफ हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार इसकी पुष्टि की है।
पश्चिम बंगाल में कार्रवाई
चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची में हेरफेर के मामले में कार्रवाई की है। बारुईपुर पूर्व और मॉयना विधानसभा क्षेत्रों में अनधिकृत नाम जोड़े जाने के बाद चार अधिकारियों को निलंबित किया गया और उनके खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया। यह कार्रवाई CEO की रिपोर्ट के आधार पर हुई, जिसमें फॉर्म-6 की जांच में गड़बड़ी पाई गई।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
भाजपा: BJP ने राहुल के दावों को “चुनावी हार की हताशा” बताया और कहा कि वे संवैधानिक संस्था को बदनाम कर रहे हैं।
कांग्रेस और विपक्ष: कांग्रेस ने डिजिटल वोटर लिस्ट की मांग दोहराई, जबकि पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने भी आयोग की आलोचना की।
प्रशांत किशोर: उन्होंने सुझाव दिया कि आयोग को इन आरोपों का जवाब देना चाहिए।
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