डूंगरपुर: नगर परिषद डूंगरपुर ने शहर की 6 कच्ची बस्तियों—पातेला अंबामाता, बांसद्वारा कॉलोनी, कालिका माता घाटी, रामपुर, नवाडेरा, और विजयगंज कॉलोनी—को 50 साल बाद डी-नोटिफाई करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस फैसले से इन बस्तियों में रहने वाले हजारों परिवारों को जमीन के पट्टे और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा।
बस्तियों के पास नहीं थे जमीन के दस्तावेज
इन बस्तियों में रहने वाले ज्यादातर लोगों के पास अपनी जमीन या मकानों के पट्टे नहीं थे, जिसके कारण वे नगर परिषद और राज्य सरकार की योजनाओं से वंचित थे। लंबे समय से चले आ रहे इस मुद्दे को हल करने के लिए नगर परिषद के भाजपा बोर्ड ने पहल की। सभापति अमृत कलासुआ और अधिकारियों की टीम ने जयपुर में स्वायत्त शासन विभाग से संपर्क किया और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व मंत्री झाबरमल खर्रा से मुलाकात कर समाधान के लिए कदम उठाए।
40 पार्षदों की सर्वसम्मति
स्वायत्त शासन मंत्री झाबरमल खर्रा ने तकनीकी बाधाओं को दूर करने का रास्ता सुझाया। इसके बाद नगर परिषद ने 6 बस्तियों का सर्वे करवाया और रिपोर्ट जयपुर मुख्यालय भेजी। साधारण सभा में सभी 40 पार्षदों की सहमति से डी-नोटिफिकेशन का प्रस्ताव पारित हुआ। आयुक्त प्रकाश धूड़ी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए डी-नोटिफिकेशन की घोषणा की।
बस्तीवासियों को मिलेगा यह लाभ
- जमीन के पट्टे: बस्तीवासी अपनी पुश्तैनी जमीन के दस्तावेजों के आधार पर पट्टों के लिए आवेदन कर सकेंगे।
- भू-उपयोग परिवर्तन: बस्तियों को आवासीय से व्यावसायिक उपयोग में बदला जा सकेगा, जिससे छोटे व्यापारियों को लाभ होगा।
- बुनियादी सुविधाएँ: नए बिजली और पेयजल कनेक्शन के लिए एनओसी की जरूरत नहीं होगी; पट्टों के आधार पर सीधे सुविधाएँ मिलेंगी।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
यह फैसला डूंगरपुर की इन बस्तियों में रहने वाले परिवारों के लिए ऐतिहासिक है, जो आजादी से पहले से यहाँ बसे हैं। अब ये परिवार सरकारी योजनाओं, जैसे आवास, ऋण, और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। इस कदम से स्थानीय व्यापार और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
