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राजस्थान-हरियाणा सीमा पर गौतस्करी: हाईकोर्ट का सख्त रुख, अग्रिम जमानत रद्द

राजस्थान और हरियाणा की सीमा पर गौतस्करी का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नूंह जिले के एक मामले में गौतस्करी के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कड़ा संदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि गाय भारतीय समाज में विशेष स्थान रखती है और उसका वध न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह समाज की आस्था और शांति को भी प्रभावित करता है।

मामला नूंह का, आरोपी पर गंभीर आरोप

यह मामला हरियाणा के नूंह जिले से जुड़ा है, जहां अप्रैल 2025 में आसिफ नामक व्यक्ति और उसके दो साथियों पर गायों को वध के लिए राजस्थान ले जाने का आरोप लगा। पुलिस ने इस मामले में हरियाणा गोवंश संरक्षण एवं गोसंवर्धन अधिनियम, 2015 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत कार्रवाई की। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि आसिफ पहले भी इस तरह के अपराधों में शामिल रहा है और उसने पहले मिली जमानत का दुरुपयोग किया। कोर्ट ने इस तथ्य को गंभीरता से लिया कि आसिफ के खिलाफ पहले से तीन अन्य मामले दर्ज हैं।

कोर्ट का फैसला: गाय की आस्था और संवैधानिक नैतिकता

जस्टिस संदीप मौदगिल की अगुवाई में हाईकोर्ट ने अपने फैसले में न केवल कानूनी पहलुओं पर बल्कि गाय के सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व पर भी जोर दिया। कोर्ट ने कहा, “गाय न केवल हमारी आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बार-बार किए गए ऐसे अपराध संवैधानिक नैतिकता और सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ हैं।

कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51ए(जी) का हवाला देते हुए कहा कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह सभी जीवों के प्रति करुणा का भाव रखे। गौतस्करी और गोवध जैसे कृत्य इस कर्तव्य का उल्लंघन करते हैं। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि अग्रिम जमानत का लाभ उन लोगों को नहीं दिया जा सकता, जो बार-बार कानून तोड़ते हैं।

गौतस्करी का अंतर-राज्यीय नेटवर्क

यह मामला राजस्थान और हरियाणा की सीमा पर गौतस्करी के बढ़ते मामलों को उजागर करता है। इन राज्यों की सीमाएं गौतस्करों के लिए एक प्रमुख गलियारा बन चुकी हैं, जहां से गायों को अवैध रूप से एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाया जाता है। इस मामले में भी आरोपी गायों को हरियाणा से राजस्थान ले जा रहे थे, जो गौतस्करी के अंतर-राज्यीय नेटवर्क की ओर इशारा करता है।

कोर्ट का सख्त संदेश

हाईकोर्ट के इस फैसले को गौतस्करी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे अपराध, जो समाज की भावनाओं को आहत करते हैं और सामाजिक शांति को खतरे में डालते हैं, बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। यह फैसला न केवल गौतस्करों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह समाज में गाय के महत्व और संवैधानिक मूल्यों को भी रेखांकित करता है।

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