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भ्रष्टाचार का काला अध्याय: बीकानेर में जियो टैगिंग के नाम पर रिश्वतखोरी, महिला कर्मी निलंबित

बीकानेर : राजस्थान के बीकानेर जिला परिषद में सरकारी योजनाओं की जियो टैगिंग के दौरान भ्रष्टाचार का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक महिला कर्मी द्वारा रिश्वत मांगते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी कर्मी को निलंबित कर दिया। यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर सनसनी फैला रही है, बल्कि सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

वायरल वीडियो ने खोला भ्रष्टाचार का पिटारा

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में महिला कर्मी को एक लाभार्थी से जियो टैगिंग के बदले रिश्वत की मांग करते हुए साफ देखा जा सकता है। वीडियो में कर्मी खुले तौर पर 500 रुपये की मांग कर रही है, जिसके बाद लाभार्थी ने इसका वीडियो बनाकर ऑनलाइन शेयर कर दिया। जियो टैगिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सरकारी निर्माण कार्यों की फोटो और जीपीएस लोकेशन को सत्यापित किया जाता है, लेकिन इस मामले ने पूरी प्रक्रिया पर संदेह के बादल मंडरा दिए हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह घटना बीकानेर के एक ग्रामीण इलाके में घटी, जहां जिला परिषद की टीम विकास कार्यों का सत्यापन करने गई थी। वीडियो वायरल होते ही स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया, और कई लोगों ने ऐसे अन्य मामलों का खुलासा करने की मांग की है।

जिला परिषद की फौरी कार्रवाई

वीडियो वायरल होते ही बीकानेर जिला परिषद ने संज्ञान लेते हुए आरोपी महिला कर्मी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। जिला कलेक्टर के निर्देश पर कर्मी को तत्काल निलंबित कर दिया गया, और विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। परिषद के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हम पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस तरह की घटनाएं अस्वीकार्य हैं, और दोषी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

इसके अलावा, जियो टैगिंग प्रक्रिया में शामिल अन्य कर्मियों की भी जांच की जा रही है, ताकि भ्रष्टाचार का कोई नेटवर्क तो नहीं छिपा है, यह पता लगाया जा सके।

स्थानीय प्रतिक्रिया और सवाल

स्थानीय निवासियों ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई है। एक लाभार्थी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हम गरीब लोग सरकारी योजनाओं का इंतजार करते हैं, लेकिन रिश्वत के बिना कुछ नहीं मिलता। यह वीडियो तो बस बर्फ की चोटी है, नीचे और भी बहुत कुछ दफन है।” विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा है, और पारदर्शी जांच की मांग की है।

यह मामला राजस्थान में चल रही डिजिटल गवर्नेंस पहलों पर सवाल उठाता है। जियो टैगिंग जैसी तकनीकी प्रक्रियाओं का उद्देश्य भ्रष्टाचार रोकना है, लेकिन अगर खुद अधिकारी इसमें लिप्त हों, तो सिस्टम की विश्वसनीयता कैसे बनी रहेगी?

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