बीसलपुर बांध: 21 साल बाद जुलाई में रिकॉर्ड तोड़ने की उम्मीद, लाखों लोगों के लिए राहत की लहर

राजस्थान का बीसलपुर बांध, जो जयपुर, अजमेर और टोंक की प्यास बुझाने का सबसे बड़ा सहारा है, इस बार 2025 में एक नया इतिहास रचने की कगार पर है। इस साल भारी मानसूनी बारिश ने बांध को जुलाई में ही ओवरफ्लो होने की स्थिति में ला दिया है, जो पिछले 21 सालों में पहली बार होगा। यह खबर इन तीनों जिलों के लाखों लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो न केवल पेयजल की जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि किसानों के खेतों को भी हरा-भरा रखेगा।

बीसलपुर बांध का दिलचस्प सफर

टोंक जिले में बनास नदी पर बने बीसलपुर बांध को 1996 में बनाया गया था। यह बांध 315.50 आरएल मीटर की ऊंचाई तक 38.708 टीएमसी पानी संग्रहित कर सकता है। यह जयपुर, अजमेर और टोंक की जलापूर्ति के साथ-साथ टोंक के किसानों के लिए सिंचाई का आधार है। बांध का कैचमेंट एरिया छह जिलों—भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, अजमेर, टोंक और प्रतापगढ़—तक फैला है, जहां से त्रिवेणी नदी के जरिए पानी बांध तक पहुंचता है।

जुलाई में ओवरफ्लो का अनोखा रिकॉर्ड

14 जुलाई 2025 तक बांध का जलस्तर 314.03 आरएल मीटर तक पहुंच चुका है, जो इसकी कुल क्षमता का करीब 73.62% है। पिछले 24 घंटों में 8 सेंटीमीटर पानी की आवक हुई, और त्रिवेणी नदी 2.60 मीटर की ऊंचाई पर बह रही है। इस बार भीलवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और अजमेर में हुई मूसलाधार बारिश ने बांध को तेजी से भर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ दिनों में बांध का जलस्तर 315.50 मीटर को छू सकता है, जिससे यह जुलाई में ही ओवरफ्लो हो जाएगा।

पिछले 21 सालों में बांध सात बार ओवरफ्लो हुआ, लेकिन हमेशा अगस्त या सितंबर में। अगर इस बार जुलाई में ऐसा हुआ, तो यह अपने आप में एक नया कीर्तिमान होगा। 2022 में बांध में 558 मिमी बारिश का रिकॉर्ड बना था, लेकिन इस साल 12 जुलाई तक 343 मिमी बारिश हो चुकी है, और बारिश का सिलसिला अभी थमा नहीं है।

लाखों लोगों के लिए खुशखबरी

  • पेयजल की राहत: बीसलपुर बांध जयपुर को प्रतिदिन 450 मिलियन लीटर से अधिक पानी देता है। इस बार बांध के भरने से अगले दो-तीन साल तक इन शहरों में पानी की किल्लत नहीं होगी।
  • किसानों का सहारा: टोंक जिले के किसानों के लिए यह बांध सिंचाई का सबसे बड़ा स्रोत है। बांध का ओवरफ्लो होने से खेतों को पर्याप्त पानी मिलेगा, जिससे फसल उत्पादन बढ़ेगा।
  • भूजल स्तर में सुधार: बांध के आसपास के सैकड़ों गांवों में भूजल स्तर बढ़ेगा, जिससे कुओं और हैंडपंपों में पानी की उपलब्धता बढ़ेगी।

प्रशासन की सतर्कता

बांध के गेट खोलने की स्थिति को देखते हुए टोंक जिला प्रशासन और बांध प्रबंधन पूरी तरह तैयार है। डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सायरन और बैरिकेडिंग के जरिए सतर्क किया जा रहा है। गेट खोलने से पहले आसपास के गांवों को सूचित किया जाएगा, ताकि कोई नुकसान न हो।

चुनौतियां भी कम नहीं

  • वाष्पीकरण का नुकसान: गर्मी के मौसम में बांध से रोजाना आधा सेंटीमीटर पानी वाष्पीकरण से खर्च होता है, जो जल संरक्षण के लिए चुनौती है।
  • गांवों पर प्रभाव: बांध के पूर्ण भराव पर आसपास के 25 गांव पूरी तरह और 43 गांवों की कृषि भूमि आंशिक रूप से जलमग्न हो जाती है। प्रशासन को इन गांवों के लिए उचित प्रबंधन करना होगा।

एक नई उम्मीद

बीसलपुर बांध में इस बार की रिकॉर्डतोड़ पानी की आवक राजस्थान के लिए एक सुनहरा मौका है। यह न केवल जल संकट से निपटने में मदद करेगा, बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को भी मजबूती देगा। अगर यह बांध जुलाई में ओवरफ्लो करता है, तो यह 21 साल बाद एक नया इतिहास रचेगा, जो लाखों लोगों के लिए खुशी और राहत का सबब बनेगा।