क्राइम

बीकानेर: शिक्षा निदेशालय के वरिष्ठ सहायक रामरतन सारण एपीओ, महिला कार्मिक की शिकायत पर कार्रवाई

बीकानेर | राजस्थान के बीकानेर स्थित प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें वरिष्ठ कार्यालय सहायक रामरतन सारण को एक महिला कार्मिक की शिकायत के बाद मंगलवार देर शाम एपीओ (Awaiting Posting Orders) कर दिया गया। इसके साथ ही, उन्हें तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर मुख्यालय प्रारंभिक शिक्षा, नागौर भेज दिया गया है। महिला कार्मिक ने 22 मई 2025 को शिक्षा निदेशक सीताराम जाट को लिखित शिकायत दी थी, जिसमें रामरतन सारण पर कार्यस्थल पर अमर्यादित व्यवहार और यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे। इस मामले की जांच के बाद निदेशालय ने यह कार्रवाई की है, जिसने स्थानीय प्रशासनिक और शैक्षिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है।

शिकायत और आरोपों का विवरण

22 मई 2025 को पीड़ित महिला कार्मिक ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट को एक लिखित शिकायत सौंपी थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि वरिष्ठ कार्यालय सहायक रामरतन सारण ने उनके साथ गलत नीयत से अमर्यादित व्यवहार किया, जिसमें उनका हाथ पकड़ना और अन्य आपत्तिजनक हरकतें शामिल थीं। इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए, निदेशक जाट ने मामले की जांच निदेशालय की कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न निवारण समिति (Internal Complaints Committee on Sexual Harassment) को सौंप दी। समिति ने गहन जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके आधार पर मंगलवार, 15 जुलाई 2025 को रामरतन सारण को एपीओ करने का आदेश जारी किया गया। साथ ही, उन्हें तुरंत कार्यमुक्त कर नागौर मुख्यालय भेज दिया गया।

शिक्षा मंत्री की भूमिका

इस मामले में राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की सक्रिय भूमिका भी सामने आई है। गत 11 जुलाई 2025 को अपने बीकानेर दौरे के दौरान, पीड़ित महिला कार्मिक ने मंत्री दिलावर से मुलाकात कर अपनी आपबीती सुनाई और न्याय की गुहार लगाई। महिला ने बताया कि उन्हें कार्यस्थल पर असुरक्षित महसूस हो रहा था और उनकी शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत है। इस पर मंत्री दिलावर ने तत्काल शिक्षा निदेशक सीताराम जाट से बात की और जांच समिति को शीघ्र अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि समिति की सिफारिशों के आधार पर उचित कार्रवाई की जाए। इस निर्देश के बाद, निदेशालय ने तेजी से कदम उठाते हुए मंगलवार को रामरतन सारण के खिलाफ यह कार्रवाई की।

जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया

प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने इस मामले को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित कानूनों (POSH Act, 2013) के तहत गंभीरता से लिया। निदेशालय की आंतरिक समिति ने दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए और उपलब्ध साक्ष्यों की जांच की। समिति की रिपोर्ट में रामरतन सारण के व्यवहार को अनुचित पाया गया, जिसके बाद निदेशक ने उन्हें एपीओ करने का निर्णय लिया। यह कार्रवाई प्रशासनिक नियमों के तहत की गई है, जिसके अंतर्गत आरोपी कार्मिक को अगले आदेश तक किसी अन्य कार्यालय में नियुक्ति का इंतजार करना होगा। नागौर भेजे जाने से यह संकेत मिलता है कि निदेशालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कदम उठाया है।

सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव

इस घटना ने बीकानेर के शैक्षिक और प्रशासनिक हलकों में व्यापक चर्चा छेड़ दी है। कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा और यौन उत्पीड़न के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति की महत्ता एक बार फिर सामने आई है।

इस मामले ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता को भी बढ़ाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि POSH Act के तहत गठित समितियों को और सक्रिय करने और कर्मचारियों को नियमित प्रशिक्षण देने की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।

पीड़िता की मांग और आगे की कार्रवाई

पीड़ित महिला कार्मिक ने न केवल अपनी शिकायत में रामरतन सारण के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, बल्कि यह भी अपील की थी कि कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल सुनिश्चित किया जाए। शिक्षा मंत्री से मुलाकात के दौरान उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी शिकायत को गंभीरता से लिया जाए। निदेशालय की ओर से एपीओ की कार्रवाई को प्रारंभिक कदम माना जा रहा है, और आगे की जांच के आधार पर रामरतन सारण के खिलाफ और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। यह भी संभव है कि मामला पुलिस जांच तक पहुंचे, यदि समिति की रिपोर्ट में आपराधिक तत्वों की पुष्टि होती है।

निदेशालय का रुख

प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा, “हम कार्यस्थल पर किसी भी तरह के अमर्यादित व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। समिति की जांच के आधार पर कार्रवाई शुरू की गई है, और आगे भी नियमानुसार कदम उठाए जाएंगे।” हालांकि, निदेशालय ने अभी तक रामरतन सारण के पक्ष से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, और यह माना जा रहा है कि जांच पूरी होने तक वह निलंबित स्थिति में रहेंगे।

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