भरतपुर: लॉकअप में पॉक्सो आरोपी की संदिग्ध मौत, परिजनों का हंगामा, पुलिस पर हत्या का आरोप

भरतपुर | राजस्थान के भरतपुर जिले के उद्योग नगर थाने में एक चौंकाने वाली घटना ने तूल पकड़ लिया है। पॉक्सो (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट के तहत गिरफ्तार एक आरोपी की लॉकअप में कथित आत्महत्या से हड़कंप मच गया है। मृतक के परिजनों और स्थानीय लोगों ने पुलिस पर हत्या का गंभीर आरोप लगाते हुए थाने पर जमकर हंगामा किया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन विवाद और तनाव का माहौल बना हुआ है।

क्या है पूरा मामला?

10 जुलाई 2025 को उद्योग नगर थाना पुलिस ने एक व्यक्ति को नाबालिग के यौन शोषण से जुड़े एक मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था। अगले दिन सुबह, 11 जुलाई 2025 को पुलिस ने दावा किया कि आरोपी ने लॉकअप में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, आरोपी ने हवालात में उपलब्ध सामग्री से फंदा बनाया। लेकिन परिजनों ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए पुलिस पर मारपीट और प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि पुलिस हिरासत में हत्या का मामला है।

परिजनों का गुस्सा और हंगामा

घटना की खबर फैलते ही मृतक के परिवारवाले और आसपास के ग्रामीण बड़ी संख्या में उद्योग नगर थाने पहुंचे। उन्होंने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की और थाने के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और अगर पुलिस की लापरवाही या गलती साबित होती है, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा।

पुलिस का पक्ष

पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने घटनास्थल का दौरा किया और जांच के आदेश दिए। पुलिस का कहना है कि लॉकअप में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की जांच की जा रही है। पुलिस ने दावा किया कि प्रारंभिक जांच में आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है, लेकिन सभी पहलुओं की गहन पड़ताल की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद से मृत्यु के सही कारणों का पता लगाया जाएगा।

परिजनों के आरोप

मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने हिरासत के दौरान आरोपी के साथ मारपीट की और उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि यह आत्महत्या थी, तो पुलिस ने गिरफ्तारी को रोजनामचे में दर्ज क्यों नहीं किया। परिजनों ने लॉकअप के सीसीटीवी फुटेज को सार्वजनिक करने की मांग की है, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

विवाद के प्रमुख बिंदु

  • पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल: परिजनों का दावा है कि पुलिस ने हिरासत की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती। गिरफ्तारी की जानकारी और रिकॉर्ड में अस्पष्टता ने संदेह को बढ़ाया है।
  • पॉक्सो एक्ट की संवेदनशीलता: पॉक्सो एक्ट के तहत मामले गंभीर होते हैं, और पुलिस पर त्वरित कार्रवाई का दबाव रहता है। लेकिन इस घटना ने हिरासत में सुरक्षा और जवाबदेही के मुद्दे को फिर से उजागर किया है।
  • सीसीटीवी और पोस्टमॉर्टम की भूमिका: इस मामले में सच्चाई का पता सीसीटीवी फुटेज और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से ही लग सकेगा। परिजनों की मांग है कि ये सबूत जल्द से जल्द सार्वजनिक किए जाएं।

सामाजिक और कानूनी निहितार्थ

यह घटना पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों के संवेदनशील मुद्दे को फिर से सामने लाती है। पॉक्सो एक्ट बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को रोकने के लिए बनाया गया है, जिसमें सजा के रूप में 3 साल से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। लेकिन इस तरह की घटनाएं पुलिस की हिरासत प्रक्रिया और पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं। सामाजिक स्तर पर यह मामला लोगों में गुस्से और अविश्वास का कारण बन रहा है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पुलिस और जनता के बीच पहले से तनाव है।

जांच की दिशा

पुलिस ने मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है। सीसीटीवी फुटेज, फॉरेंसिक जांच, और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर यह स्पष्ट होगा कि मृत्यु आत्महत्या थी या अन्य कारणों से हुई। प्रशासन ने परिजनों से शांति बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि दोषियों, यदि कोई हों, के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

संपादकीय टिप्पणी

यह घटना न केवल पुलिस हिरासत में सुरक्षा और जवाबदेही के सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि संवेदनशील मामलों में पुलिस को और अधिक सतर्कता और पारदर्शिता बरतने की जरूरत है। यह समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए जागरूकता और सख्त कानूनी कदमों की आवश्यकता है।