जयपुर: मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में तीखी बहस और हंगामे के बीच धर्मांतरण विरोधी बिल को मंजूरी दे दी गई। इस बिल को राजस्थान में धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। बिल में सख्त सजा, जुर्माना और संगठित धर्मांतरण के मामलों में बुलडोजर एक्शन जैसे कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं। राजस्थान सरकार का दावा है कि यह देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने इतने कठोर नियमों के साथ धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया है।
भाजपा विधायक गुरबीर बराड़ ने बिल का समर्थन करते हुए कहा, “मैं भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीकी क्षेत्र से आता हूं, जहां धर्मांतरण की कई घटनाएं सामने आई हैं। ऐतिहासिक रूप से देखें तो स्थिति चिंताजनक रही है। यह कानून न केवल राहत देगा, बल्कि उन लोगों पर भी नकेल कसेगा जो इस तरह की गतिविधियों में लिप्त हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि राजस्थान में इस कानून की लंबे समय से मांग थी।
राज्य के कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा, “राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है, जहां धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। संगठित धर्मांतरण के मामलों में बुलडोजर कार्रवाई का भी प्रावधान है।” उन्होंने इसे राज्य के लिए ऐतिहासिक कदम करार दिया।
भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य ने बिल को राजस्थान की जरूरत बताते हुए कहा, “जिहादी मानसिकता और उनकी गतिविधियां राज्य में फैल रही थीं। इस गंदगी को साफ करने के लिए यह कानून लाया गया है। इसे सख्ती से लागू किया जाएगा।” वहीं, गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा कि राजस्थान ने सख्त नियमों के साथ देश में मिसाल कायम की है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “कांग्रेस का विरोध सदन में उजागर हो गया।”
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने बिल पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब सरकार यह दावा करती है कि राजस्थान में लव जिहाद जैसे मामले नहीं हैं, तो फिर यह कानून लाने की क्या जरूरत थी? अगर कानून बनाना ही था, तो पहले क्यों नहीं बनाया गया?” उन्होंने कांग्रेस पर सनातन धर्म को लेकर लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “हम भाजपा से ज्यादा बड़े सनातनी हैं।”
निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने बिल का समर्थन करते हुए गीता के श्लोक का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “कानून में पारदर्शिता होनी चाहिए। अगर इसमें कोई कमी है, तो उसे सुधारा जाए। सरकार को अपने वादों पर अमल करना चाहिए।”
मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा, “यह बिल राजस्थान के लिए बेहद जरूरी था। इससे उन लोगों की दुकानें बंद होंगी जो धर्मांतरण का खेल खेल रहे थे।” उन्होंने दावा किया कि राजस्थान ने इस कानून के साथ पूरे देश में एक नई मिसाल कायम की है।
यह कानून लागू होने के बाद राजस्थान में धर्मांतरण से संबंधित गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी। सरकार का कहना है कि यह कदम सामाजिक समरसता को बढ़ावा देगा और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाएगा।
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