अजमेर: 243 करोड़ की लागत से बना “राम सेतु ब्रिज” हादसे का शिकार, गुणवत्ता पर उठे सवाल

अजमेर, – अजमेर शहर के बहुप्रतीक्षित राम सेतु एलिवेटेड ब्रिज (पूर्व में एलिवेटेड रोड) की एक भुजा 3 जुलाई को भारी बारिश के बाद धंस गई, जिससे ब्रिज की गुणवत्ता और ठेकेदारों की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। यह ब्रिज 243 करोड़ रुपये की लागत से राजस्थान सड़क विकास निगम (RSRDC) द्वारा निर्मित किया गया था और हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इसका नाम “राम सेतु” रखा था।

घटना का विवरण

बारिश के बाद ब्रिज के एक हिस्से में बड़ा गड्ढा बन गया। सूचना मिलते ही ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम की टीम मौके पर पहुंची। ट्रैफिक CO आयुष वशिष्ठ की निगरानी में यातायात को डायवर्ट किया गया और अस्थायी मरम्मत की गई।

राजनीतिक घमासान और मंत्री का बयान

इस घटना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया। यूथ कांग्रेस ने भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण के आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, शहरी विकास और आवास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने मौके पर पहुंचकर निर्माण की गुणवत्ता में कमी को स्वीकार किया और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने जांच के लिए एक कमेटी गठित करने की घोषणा की।

न्यायिक हस्तक्षेप

6 जुलाई को अजमेर की कोर्ट में जागरूक नागरिकों द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें ब्रिज को सुरक्षा जांच तक बंद करने, निर्माण सामग्री की गुणवत्ता की जांच और जिम्मेदार अधिकारियों व ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।

सोशल मीडिया पर गुस्सा और सवाल

घटना के बाद सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश देखा गया। कई यूजर्स ने इसे “ईमानदारी की हार” बताते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से कार्रवाई की मांग की, हालांकि यह परियोजना राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाली संस्था RSRDC द्वारा निर्मित की गई थी।

अनियमितताएं और जुर्माना माफी

जानकारी के अनुसार, ब्रिज निर्माण में पहले ही देरी हो चुकी थी, जिस पर ठेकेदार पर जुर्माना लगाया गया था, लेकिन बाद में उसे माफ कर दिया गया। यह निर्णय भी अब सवालों के घेरे में है।

अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं

हालांकि जांच के आदेश दे दिए गए हैं, लेकिन अब तक किसी ठेकेदार या अधिकारी की गिरफ्तारी की कोई सूचना नहीं है। मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने जांच रिपोर्ट आने के बाद सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।

निष्कर्ष

राम सेतु ब्रिज हादसा केवल एक संरचनात्मक विफलता नहीं, बल्कि सिस्टम में व्याप्त लापरवाही, भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी का प्रतीक बन गया है। जनता, सोशल मीडिया और विपक्ष का दबाव बढ़ता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि जांच कितनी पारदर्शिता से होती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।

लेखक: TharToday.com
प्रकाशन तिथि: 8 जुलाई 2025

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