अजमेर दरगाह-शिव मंदिर विवाद: राजस्थान हाईकोर्ट की सुनवाई टली, अब 30 अगस्त को होगी

जयपुर | अजमेर की विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती दरगाह को लेकर चल रहा मंदिर विवाद एक बार फिर चर्चा में है। शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन जस्टिस विनोद कुमार भारवानी के अवकाश पर होने और नगर निगम कर्मचारियों के न्यायिक कार्य बहिष्कार के कारण इसे टाल दिया गया। अब इस संवेदनशील मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त 2025 को होगी।

विवाद हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की याचिका से शुरू हुआ, जिन्होंने दावा किया कि दरगाह परिसर में प्राचीन संकट मोचन महादेव मंदिर था। गुप्ता ने ऐतिहासिक दस्तावेज, 1911 की पुस्तक अजमेर: हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव, और बुलंद दरवाजा की वास्तुकला को सबूत के रूप में पेश किया, जिसमें मंदिर जैसे नक्काशी और जल स्रोत मौजूद हैं। उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वे और हिंदुओं को पूजा का अधिकार देने की मांग की। अजमेर सिविल कोर्ट ने 27 नवंबर 2024 को याचिका स्वीकार कर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय, और ASI को नोटिस जारी किए।

दरगाह के खादिमों और अंजुमन सैयद जादगान ने याचिका का विरोध करते हुए इसे सांप्रदायिक सौहार्द के खिलाफ बताया। उन्होंने 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का हवाला दिया, जो 15 अगस्त 1947 के बाद धार्मिक स्थलों के स्वरूप में बदलाव पर रोक लगाता है। गुप्ता का तर्क है कि यह अधिनियम मजार पर लागू नहीं होता।

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अजमेर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। कोर्ट परिसर और शहर में पुलिस सतर्क है। दोनों पक्षों को अगली सुनवाई तक अपने दस्तावेज और जवाब तैयार करने को कहा गया है।