राजस्थान के अजमेर में स्थित विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा गरीब नवाज़ दरगाह में चोरी और हिंसा की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए स्थानीय अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सिविल न्यायाधीश एवं प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (अजमेर पश्चिम) मनमोहन चंदेल ने दरगाह समिति को परिसर के सभी संभावित स्थानों पर अपने खर्चे से सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया है। यह कदम श्रद्धालुओं की सुरक्षा और अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है।
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी निगरानी तंत्र जरूरी है। न्यायाधीश ने चेतावनी दी कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी। यह निर्णय दरगाह में बढ़ती आपराधिक घटनाओं, जैसे चोरी, तोड़फोड़ और मारपीट, को नियंत्रित करने के लिए लिया गया है।
दरगाह परिसर में हर साल चोरी और हिंसा की कई शिकायतें दर्ज होती हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की कमी के कारण जांच और अभियोजन में अड़चनें आती हैं। अदालत ने कहा कि सीसीटीवी कैमरे न केवल अपराधों को रोकने में मदद करेंगे, बल्कि विवादों के निपटारे में भी महत्वपूर्ण सबूत प्रदान करेंगे। इसके लिए जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए गए हैं कि वे दरगाह समिति को हरसंभव सहायता प्रदान करें और कैमरे लगाने में बाधा डालने वालों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करें।
वर्तमान में दरगाह परिसर के 75% हिस्से में 57 सीसीटीवी कैमरे कार्यरत हैं, जो 2007 से अब तक लगाए गए हैं। हालांकि, दरगाह का सबसे संवेदनशील हिस्सा, यानी मुख्य गुंबद (आस्ताना शरीफ), अभी तक कैमरों से अछूता है। आपत्तियों के कारण इस क्षेत्र में निगरानी तंत्र स्थापित नहीं हो सका है। अदालत ने इस कमी को गंभीरता से लेते हुए पांच दिनों के भीतर इस दिशा में तेजी लाने और प्रगति रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
केंद्र सरकार भी आगामी 814वें उर्स को देखते हुए दरगाह में विशेष सुरक्षा व्यवस्था लागू करने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों को सुरक्षित और भयमुक्त वातावरण प्रदान करना है। सीसीटीवी कैमरों की स्थापना से न केवल उर्स के दौरान सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि साल भर श्रद्धालुओं का विश्वास भी मजबूत होगा।
अदालत ने जिला प्रशासन और पुलिस को इस परियोजना को लागू करने में सक्रिय भूमिका निभाने का निर्देश दिया है। यह कदम न केवल दरगाह की सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि इस ऐतिहासिक धरोहर की गरिमा को बनाए रखने में भी मददगार साबित होगा। श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि इससे दरगाह में शांति और व्यवस्था कायम होगी।
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