झालावाड़, राजस्थान: पिछले महीने झालावाड़ के पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल की छत गिरने से हुई के बाद शिक्षा की राह में एक प्रेरणादायक कदम उठाया गया है। इस हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई थी, जिसके बाद स्कूल की व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए स्थानीय निवासी मोर सिंह ने अनुकरणीय पहल की है। मोर सिंह ने अपने घर को बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल के रूप में दान कर दिया है, जबकि वह खुद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ झोपड़ी में रहने चले गए हैं।
इस वैकल्पिक स्कूल भवन को तैयार करने के लिए ग्रामीणों और प्रशासन ने मिलकर मोर सिंह के मकान को रंग-रोगन और साफ-सफाई के साथ शिक्षण के लिए उपयुक्त बनाया है। चार शिक्षकों की नियुक्ति भी की गई है, जो बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उनके घर जाकर मनोवैज्ञानिक सहायता भी प्रदान कर रहे हैं। यह कदम बच्चों को भयमुक्त वातावरण में पढ़ाई जारी रखने में मदद कर रहा है।
मोर सिंह का कहना है, “मेरे लिए मेरे बच्चों की शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। अगर मैं अपने घर देकर दूसरों के बच्चों की जिंदगी संवार सकता हूं, तो यह मेरे लिए गर्व की बात है।” इस पहल से न केवल स्कूली बच्चों को राहत मिली है, बल्कि पूरे गांव में एकजुटता और मानवता की मिसाल भी कायम हुई है।
स्थानीय प्रशासन ने मोर सिंह के त्याग को सराहा है और वादा किया है कि जल्द ही नए स्कूल भवन का निर्माण शुरू होगा। इस बीच, मोर सिंह के परिवार को सहायता देने के लिए समुदाय आगे आया है, जो इस दुखद घटना के बाद आशा की किरण बन गया है।
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