कोटपूतली | राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की कार्रवाई लगातार जारी है। ताजा मामला कोटपूतली के बानसूर तहसील से सामने आया है, जहां ACB की भिवाड़ी इकाई ने तहसील कार्यालय में राजस्व निरीक्षक (कानूनगो) महेंद्र मोर्य को 5000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति और ACB को दी गई खुली छूट के तहत की गई है। इस घटना से तहसील कार्यालय और स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
रिश्वतखोरी का मामला: वसीयतनामे के लिए मांगी थी रिश्वत
जानकारी के अनुसार, बानसूर तहसील में कार्यरत कानूनगो महेंद्र मोर्य ने एक परिवादी से जमीन के नामांतरण (वसीयतनामे) से संबंधित कार्य के लिए 5000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। परिवादी की मां के नाम जमीन का नामांतरण होना था, जिसे स्थानीय सरपंच ने खारिज कर दिया था। बाद में एसडीएम कोर्ट ने नामांतरण को मंजूरी दी थी। जब परिवादी इसकी कॉपी लेने के लिए महेंद्र मोर्य से मिला, तो कानूनगो ने रिश्वत की मांग की।
परिवादी ने इसकी शिकायत ACB की भिवाड़ी इकाई को दी। शिकायत के सत्यापन के बाद, ACB ने तहसील कार्यालय में ट्रैप ऑपरेशन की योजना बनाई। भिवाड़ी ACB के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP) परमेश्वर यादव के नेतृत्व में टीम ने शुक्रवार, 18 जुलाई 2025 को तहसील परिसर में छापेमारी की। जैसे ही महेंद्र मोर्य ने परिवादी से 5000 रुपये की रिश्वत ली, ACB टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया।
रिश्वत की राशि फेंकने की कोशिश, फिर गलती स्वीकारी
ACB के DSP परमेश्वर यादव ने बताया कि छापेमारी के दौरान महेंद्र मोर्य को ACB टीम की भनक लग गई थी। उसने रिश्वत की राशि को तहसील कार्यालय के बरामदे में फेंकने की कोशिश की, लेकिन ACB ने उसे मौके पर ही दबोच लिया। बाद में, महेंद्र मोर्य ने अपनी गलती स्वीकार कर ली। इसके बाद, ACB ने कार्यालय में मौजूद दस्तावेजों की जांच शुरू की और अन्य कर्मचारियों से पूछताछ की।
ACB ने महेंद्र मोर्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 (रिश्वत मांगना और स्वीकार करना) के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपी से पूछताछ जारी है, और यह जांच की जा रही है कि क्या वह पहले भी इस तरह की गतिविधियों में शामिल था।
कानूनगो की भूमिका और जिम्मेदारियां
कानूनगो राजस्व विभाग का एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय अधिकारी होता है, जो पटवारियों के काम की निगरानी करता है और भूमि रिकॉर्डों की सटीकता सुनिश्चित करता है। यह पद ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जमीन से संबंधित मामलों, जैसे नामांतरण, बंटवारा, और वसीयतनामे, को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में, कानूनगो जैसे पद पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आना जनता के विश्वास को ठेस पहुंचाता है।
ACB की जीरो टॉलरेंस नीति और मुख्यमंत्री का निर्देश
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हाल ही में ACB के 68वें स्थापना दिवस समारोह में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा था, “भ्रष्टाचार एक सामाजिक बुराई है, और इसे रोकना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। ACB को बिना किसी दबाव के सख्त कार्रवाई करने की पूरी छूट है।” इस नीति के तहत, ACB ने राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बड़े ऑपरेशन किए हैं, जिनमें ट्रैप केस, असमानुपातिक संपत्ति, और दुरुपयोग के मामले शामिल हैं।
इस साल, ACB ने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में कार्रवाई की है, जैसे उदयपुर में खाद्य आपूर्ति विभाग के डिविजनल कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऑफिसर जयमल सिंह के खिलाफ असमानुपातिक संपत्ति का मामला और कोटपूतली में एक सरकारी इंजीनियर के खिलाफ 11.5 करोड़ रुपये की संपत्ति की जांच।, बानसूर का यह मामला ACB की ‘ऑपरेशन बेखौफ’ पहल का हिस्सा है, जिसके तहत भ्रष्ट अधिकारियों को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है।
प्रशासनिक तंत्र में हड़कंप
इस कार्रवाई से बानसूर तहसील कार्यालय में हड़कंप मच गया है। स्थानीय प्रशासन और कर्मचारियों में यह चर्चा जोरों पर है कि ACB की सक्रियता से भ्रष्टाचार करने वालों पर नकेल कसी जा रही है। स्थानीय निवासियों ने ACB की इस कार्रवाई की सराहना की है, लेकिन साथ ही मांग की है कि तहसील कार्यालयों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए और कदम उठाए जाएं। एक स्थानीय निवासी, श्यामलाल ने कहा, “तहसील कार्यालय में जमीन के मामलों में रिश्वतखोरी आम बात हो गई थी। ACB की कार्रवाई से अब लोग डरेंगे।”
सोशल मीडिया पर भी इस कार्रवाई को लेकर लोगों ने ACB की तारीफ की है। कई लोगों ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी कदम बताया, हालांकि कुछ ने सवाल उठाया कि क्या ऐसी कार्रवाइयां भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर पाएंगी।,
भ्रष्टाचार के खिलाफ ACB की रणनीति
ACB राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ चार प्रकार के मामलों पर काम करती है: ट्रैप केस, असमानुपातिक संपत्ति, गबन, और पद के दुरुपयोग के मामले। बानसूर का यह मामला एक ट्रैप केस है, जिसमें शिकायत के सत्यापन के बाद रंगे हाथ गिरफ्तारी की जाती है। ACB की वेबसाइट (acb.rajasthan.gov.in) के अनुसार, नागरिक भ्रष्टाचार की शिकायत व्हाट्सएप (+91-94135 02834) या ऑनलाइन पोर्टल के जरिए दर्ज कर सकते हैं। ACB यह सुनिश्चित करता है कि शिकायतकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाए, जिससे लोग बिना डर के शिकायत कर सकें।
हालांकि, कुछ विवाद भी सामने आए हैं। 2023 में ACB के तत्कालीन प्रमुख हेमंत प्रियदर्शी ने निर्देश दिया था कि भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों के नाम और तस्वीरें तब तक सार्वजनिक न की जाएं, जब तक उनकी सजा पक्की न हो जाए। इस आदेश की बीजेपी और कुछ ACB अधिकारियों ने आलोचना की थी, इसे भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने वाला कदम बताते हुए। बानसूर मामले में, ACB ने आधिकारिक तौर पर महेंद्र मोर्य का नाम सार्वजनिक किया, जो इस नीति से हटकर है, शायद मामले की गंभीरता और त्वरित कार्रवाई को उजागर करने के लिए।