चित्तौड़गढ़ | राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के बेगूं क्षेत्र में आंवलहेड़ा के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक शंभू लाल द्वारा छात्र-छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें करने और उनके वीडियो रिकॉर्ड करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस घिनौने कृत्य ने शिक्षा के मंदिर को कलंकित कर दिया है, जिसके बाद स्थानीय ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखा गया। शुक्रवार सुबह गुस्साए ग्रामीणों ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन कर ताला लगाने की कोशिश की। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया है। राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस मामले को “अत्यंत निंदनीय” बताते हुए शिक्षक को “राक्षस” करार दिया और सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
आंवलहेड़ा स्कूल में शिक्षक की घिनौनी हरकत
आंवलहेड़ा के राजकीय विद्यालय में कार्यरत शिक्षक शंभू लाल पर पिछले दो वर्षों से 12 से 18 वर्ष की आयु के छात्र-छात्राओं के साथ अश्लील व्यवहार करने और उन्हें धमकाने का गंभीर आरोप है। जानकारी के अनुसार, शंभू लाल ने न केवल स्वयं बच्चों के साथ आपत्तिजनक व्यवहार किया, बल्कि छात्र-छात्राओं को आपस में अश्लील हरकतें करने के लिए मजबूर किया और इन कृत्यों को अपने मोबाइल में रिकॉर्ड किया। बच्चों को डराने के लिए वह उन्हें परीक्षा में फेल करने की धमकी देता था, जिसके कारण बच्चे डर के मारे चुप रहने को मजबूर थे।
यह मामला तब उजागर हुआ जब एक छात्र ने अगली कक्षा में दाखिला लेने से इनकार कर दिया और ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) लेने की जिद की। परिजनों ने जब बच्चे से इसका कारण पूछा, तो उसने डरते हुए शिक्षक की करतूतों का खुलासा किया। बच्चे की बात सुनकर परिजनों ने तुरंत गांव वालों को सूचित किया, जिसके बाद यह मामला पूरे क्षेत्र में फैल गया। शुक्रवार सुबह 9 बजे गुस्साए ग्रामीण स्कूल पहुंचे और हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने स्कूल के मुख्य गेट पर ताला लगाने की कोशिश की और शिक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
पुलिस और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
हंगामे की सूचना मिलते ही नायब तहसीलदार विष्णु यादव और बेगूं थानाधिकारी शिवलाल मीणा मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की और स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी शिक्षक शंभू लाल को गिरफ्तार कर लिया। बेगूं थाने में उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने शिक्षक का मोबाइल फोन जब्त कर लिया और उसमें मौजूद वीडियो की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में बच्चों के साथ अश्लील व्यवहार और धमकी देने के आरोपों की पुष्टि हुई है।
शिक्षा मंत्री का सख्त रुख
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस घटना को शिक्षा के मंदिर को कलंकित करने वाला कृत्य बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “चित्तौड़गढ़ के बेगूं क्षेत्र के आंवालहेड़ा विद्यालय में शिक्षक द्वारा छात्रों के साथ की गई अशोभनीय और आपत्तिजनक हरकत अत्यंत निंदनीय है। यह शिक्षक नहीं, राक्षस है। यह कृत्य शिक्षक धर्म और सामाजिक मर्यादाओं की घोर अवहेलना करता है।”
मदन दिलावर ने शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को निर्देश दिए कि आरोपी शिक्षक के खिलाफ तत्काल सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ऐसी घिनौनी घटनाओं के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है। दोषी को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा, और उसे कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी, ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षा के मंदिर को कलंकित करने का दुस्साहस न कर सके।” शिक्षा विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक जांच समिति गठित करने की घोषणा की है, जो स्कूल में बच्चों की सुरक्षा और शिक्षक की गतिविधियों की गहन जांच करेगी।
ग्रामीणों का आक्रोश और मांगें
आंवालहेड़ा गांव के निवासियों में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। ग्रामीणों ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन कर शिक्षक की बर्खास्तगी और कठोर सजा की मांग की। एक ग्रामीण, रामलाल ने कहा, “हम अपने बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल भेजते हैं, लेकिन ऐसे शिक्षक उनकी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। यह स्कूल अब सुरक्षित नहीं रहा।” ग्रामीणों ने मांग की कि स्कूल में सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा गार्ड, और बच्चों के लिए शिकायत तंत्र जैसे पुख्ता इंतजाम किए जाएं।
कई अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चों ने पहले भी शिक्षक के व्यवहार की शिकायत की थी, लेकिन डर और शिक्षक के दबदबे के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस घटना ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और शिक्षकों की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर सवाल
यह घटना राजस्थान में स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बड़े मुद्दे को उजागर करती है। हाल के वर्षों में, राजस्थान के कई स्कूलों में शिक्षकों द्वारा अनैतिक व्यवहार की घटनाएं सामने आई हैं। उदाहरण के लिए, जनवरी 2025 में चित्तौड़गढ़ के ही गंगरार ब्लॉक के सालेरा गांव में एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल और एक महिला शिक्षक का अश्लील वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद दोनों को निलंबित कर दिया गया। हालांकि, वह मामला शिक्षकों के बीच आपसी व्यवहार से संबंधित था, जबकि आंवालहेड़ा का यह प्रकरण बच्चों के खिलाफ अपराध का गंभीर मामला है, जो पॉक्सो एक्ट के तहत दंडनीय है।
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इनमें शामिल हैं:
- स्कूलों में सीसीटीवी कैमरों की स्थापना और नियमित निगरानी।
- बच्चों के लिए गोपनीय शिकायत तंत्र की स्थापना।
- शिक्षकों की भर्ती और निगरानी प्रक्रिया को और सख्त करना।
- अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन के बीच नियमित संवाद।
सामाजिक और कानूनी प्रभाव
इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय, बल्कि पूरे राजस्थान में आक्रोश पैदा किया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने शिक्षक की कड़ी सजा और स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। कई सामाजिक संगठनों ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए बच्चों के लिए सुरक्षित शैक्षिक वातावरण की मांग की है।
पुलिस ने बताया कि शंभू लाल के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 7 (यौन उत्पीड़न), धारा 8 (यौन हमला), और धारा 12 (यौन उत्पीड़न के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा, आईपीसी की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री का प्रसार) के तहत भी कार्रवाई की जा रही है। जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या शिक्षक ने इन वीडियो को किसी और के साथ साझा किया।