ऑपरेशन एंटी वायरस: डीग जिले में साइबर अपराध पर प्रहार, 83% ठगों की संख्या घटी, 2,163 गिरफ्तार

जयपुर | राजस्थान के डीग जिले, जो कभी झारखंड के जामताड़ा को पीछे छोड़कर देश का साइबर अपराध का गढ़ बन गया था, अब ऑपरेशन एंटी वायरस की सफलता के कारण सुर्खियों में है। इस अभियान ने डीग में साइबर ठगों की संख्या में 83 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी लाई है। जनवरी 2024 में जहां जिले के 6,030 स्थानों से साइबर ठगी की गतिविधियां संचालित हो रही थीं, वहीं अब यह संख्या घटकर लगभग 1,000 रह गई है। भरतपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IG) राहुल प्रकाश और डीग के पुलिस अधीक्षक (SP) राजेश कुमार मीना के नेतृत्व में चलाए गए इस अभियान में 625 FIR दर्ज की गईं, 2,163 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया, और ठगी से कमाए गए धन से खरीदे गए लग्जरी वाहनों सहित कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए। इस कार्रवाई ने न केवल डीग को साइबर अपराध से मुक्ति की दिशा में ले जाया है, बल्कि पूरे देश में एक मिसाल भी कायम की है।

डीग: साइबर अपराध का नया जामताड़ा

डीग जिला, जो 2023 में भरतपुर से अलग होकर बना था, तेजी से साइबर अपराध का केंद्र बन गया था। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के अनुसार, फरवरी 2024 में देश भर में दर्ज साइबर ठगी के 19 प्रतिशत मामले डीग से जुड़े थे। जामताड़ा, नवादा, नूंह और अलवर जैसे अन्य साइबर अपराध के हॉटस्पॉट को पीछे छोड़ते हुए डीग ने अवांछित पहचान हासिल कर ली थी। स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि परिवार के कई सदस्य, यहां तक कि नाबालिग बच्चे भी, स्कूल जाने के बजाय ऑनलाइन ठगी और सेक्सटॉर्शन जैसे अपराधों में शामिल हो गए थे।

राजस्थान पत्रिका के ‘रक्षा कवच’ अभियान ने डीग में साइबर अपराध की गहराई को उजागर किया था। इस अभियान के तहत पत्रिका की टीम ने जिले में डेरा डालकर ठगों के नेटवर्क, उनके तरीकों, और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का खुलासा किया। इसके बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर ऑपरेशन एंटी वायरस शुरू किया गया, जिसका नेतृत्व IG राहुल प्रकाश ने किया। इस अभियान का लक्ष्य डीग को साइबर अपराध से मुक्त करना और देश भर में हो रही ठगी को रोकना था।

ऑपरेशन एंटी वायरस: कार्रवाई और परिणाम

ऑपरेशन एंटी वायरस, जो फरवरी 2024 में शुरू हुआ, ने डीग में साइबर अपराध पर कड़ा प्रहार किया। इस अभियान के तहत पुलिस ने निम्नलिखित कार्रवाइयां कीं:

  • FIR और गिरफ्तारियां: 625 FIR दर्ज की गईं, और 2,163 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से कई ठग राजस्थान के साथ-साथ महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, और अन्य राज्यों में ठगी कर रहे थे। उदाहरण के लिए, एक मामले में धौलपुर जिले के सुधीर एंटरप्राइजेज नामक फर्जी फर्म के जरिए 16 राज्यों में 10 करोड़ रुपये की ठगी की गई थी।
  • संपत्ति जब्ती: पुलिस ने ठगी से कमाए गए 84.57 लाख रुपये नकद जब्त किए। इसके अलावा, ठगों द्वारा ठगी के धन से खरीदे गए 93 लग्जरी चौपहिया वाहन (ज्यादातर SUV) और 170 दोपहिया वाहन जब्त किए गए।
  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरण: हजारों मोबाइल फोन, सिम कार्ड, और ATM कार्ड बरामद किए गए। 36,589 फर्जी सिम कार्ड और 31,470 IMEI नंबर ब्लॉक किए गए, जिससे ठगों के नेटवर्क को कमजोर करने में मदद मिली।
  • कानूनी कार्रवाई: 10 ठगों के मकानों को ढहाया गया, जो ठगी के धन से बनाए गए थे। हालांकि, इस कार्रवाई पर कुछ स्थानीय लोगों ने सवाल उठाए, इसे अति कठोर बताते हुए। कार्रवाई के दौरान 15 ठग घायल हुए, जिसने विवाद को जन्म दिया।

पुलिस ने नाबालिगों के शामिल होने पर विशेष ध्यान दिया। एक मामले में, 13 वर्षीय नाबालिग को मध्य प्रदेश के एक स्कूल शिक्षक को सेक्सटॉर्शन के जरिए ब्लैकमेल करने के आरोप में हिरासत में लिया गया, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षक ने आत्महत्या कर ली थी।

ठगी के तरीके और चुनौतियां

डीग के साइबर ठगों ने विभिन्न तरीकों से लोगों को ठगा, जिनमें शामिल हैं:

  • फर्जी निवेश योजनाएं: ठग टेलीग्राम और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर फर्जी निवेश योजनाओं का प्रचार करते थे, जिसमें उच्च रिटर्न का लालच दिया जाता था।
  • सेक्सटॉर्शन: नाबालिगों सहित ठगों ने लोगों को अश्लील सामग्री के जरिए ब्लैकमेल किया।
  • डिजिटल अरेस्ट: ठग CBI, ED, या I4C जैसे सरकारी संगठनों के नाम पर फर्जी कॉल्स कर लोगों को डराते थे।
  • फर्जी कॉल सेंटर: ठग विदेशी नागरिकों, विशेष रूप से अमेरिकियों, को फर्जी तकनीकी सहायता के नाम पर ठगते थे।

पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कानूनी खामियां। साइबर अपराधों में अक्सर हल्की धाराओं के तहत FIR दर्ज होती थीं, जिसके कारण ठग आसानी से जमानत पा लेते थे। इसके अलावा, अन्य राज्यों से शिकायतों का पालन करना मुश्किल था, क्योंकि पीड़ित और अपराधी अलग-अलग राज्यों में होते थे। IG राहुल प्रकाश ने जजों के साथ समन्वय बैठकें आयोजित कीं, जिसमें साइबर अपराध की गंभीरता और इसके राष्ट्रीय प्रभाव को समझाया गया, जिससे जमानत की प्रक्रिया को कड़ा करने में मदद मिली।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

डीग में साइबर अपराध का बढ़ना सामाजिक और आर्थिक रूप से हानिकारक था। स्थानीय समुदाय में नाबालिगों का अपराध में शामिल होना चिंता का विषय बन गया था। स्कूल छोड़कर ठगी में शामिल होने वाले बच्चों ने शिक्षा और सामाजिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाला। ऑपरेशन एंटी वायरस ने न केवल ठगों को पकड़ा, बल्कि जागरूकता अभियान भी चलाए। पुलिस ने सोशल मीडिया और सामुदायिक कार्यक्रमों के जरिए लोगों को साइबर ठगी के नए तरीकों के बारे में जागरूक किया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि ऑपरेशन ने जिले में भय का माहौल कम किया है और सामान्य नागरिकों को राहत दी है। हालांकि, मकानों को ढहाने और कार्रवाई में घायल होने की घटनाओं ने कुछ विवादों को जन्म दिया है, जिस पर मानवाधिकार संगठनों ने सवाल उठाए हैं।

भविष्य की दिशा

ऑपरेशन एंटी वायरस की सफलता ने डीग को साइबर अपराध के गढ़ से बाहर निकालने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पुलिस अब अन्य राज्यों के साथ समन्वय बढ़ा रही है, ताकि अंतरराज्यीय साइबर अपराध नेटवर्क को पूरी तरह खत्म किया जा सके। इसके अलावा, साइबर अपराध से निपटने के लिए जयपुर में पुलिसकर्मियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर अपराध को पूरी तरह खत्म करने के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, जन जागरूकता बढ़ाना, और सख्त कानूनी कार्रवाई जरूरी है। डीग में 36,589 सिम कार्ड और 31,470 IMEI नंबर ब्लॉक करना इस दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन ठगों के नए तरीकों से निपटने के लिए निरंतर निगरानी और तकनीकी उन्नति की जरूरत है।