जयपुर में अमित शाह: भारत की सीमाओं से छेड़छाड़ करने वालों को भुगतने होंगे परिणाम, सहकारिता को बढ़ावा देने पर जोर

जयपुर | केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह गुरुवार को जयपुर के एकदिवसीय दौरे पर पहुंचे, जहां उन्होंने दादिया गांव में आयोजित ‘सहकार एवं रोजगार उत्सव’ में हिस्सा लिया। अपने संबोधन में उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और सहकारी आंदोलन पर महत्वपूर्ण बातें कहीं। शाह ने कहा कि दुनिया को अब स्पष्ट संदेश मिल चुका है कि भारत, उसकी सीमाओं, और उसकी सेनाओं के साथ कोई विश्वासघात नहीं कर सकता। उन्होंने चेतावनी दी कि जो ऐसा करने की कोशिश करेंगे, उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। साथ ही, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के अवसर पर सहकारी आंदोलन को देश के हर गांव और गरीब तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता जताई।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर कड़ा संदेश

अमित शाह ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की सराहना की। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में आतंकी शिविरों को नष्ट करने के लिए शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने देश को सुरक्षित करने का सबसे बड़ा कार्य किया है। पहले कांग्रेस के शासनकाल में देश में आतंकी हमले बार-बार होते थे। लेकिन अब स्थिति बदल गई है।”

शाह ने उरी (2016) और पुलवामा (2019) आतंकी हमलों का उल्लेख करते हुए कहा, “उरी में हमला हुआ तो मोदी जी ने सर्जिकल स्ट्राइक की। पुलवामा में हमला हुआ तो एयर स्ट्राइक की। और हाल ही में पहलगाम में आतंकियों ने हमला किया तो ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान में जाकर आतंकवादियों को खत्म कर दिया।” उन्होंने जोर देकर कहा, “यह एक मजबूत संदेश है कि भारत के नागरिकों, सेना, और सीमाओं के साथ छेड़छाड़ करने की हिम्मत कोई न करे, वरना परिणाम भुगतने पड़ेंगे।”

शाह ने दावा किया कि मोदी सरकार ने इस दृढ़ नीति के जरिए एक समृद्ध, सुरक्षित, और विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। उनके इस बयान ने केंद्र सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को रेखांकित किया।

सहकारिता मंत्रालय और आगामी 100 वर्ष

केंद्रीय सहकारिता मंत्री के रूप में, शाह ने ‘सहकार एवं रोजगार उत्सव’ में सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा, “आगामी 100 वर्ष सहकारिता के हैं। केंद्र सरकार ने देश के हर गांव, गरीब, और किसान तक सहकारी आंदोलन को पहुंचाने के लिए एक स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की है।” उन्होंने बताया कि यह मंत्रालय सहकारी समितियों को मजबूत करने, रोजगार सृजन करने, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए काम कर रहा है।

शाह ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के संदर्भ में कहा कि सहकारी मॉडल भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन सकता है। उन्होंने किसानों, छोटे उद्यमियों, और ग्रामीण समुदायों को सहकारी समितियों के जरिए आत्मनिर्भर बनाने की केंद्र सरकार की योजनाओं का जिक्र किया। राजस्थान में डेयरी और कृषि आधारित सहकारी समितियों, जैसे कि सरस, को और सशक्त करने के लिए विशेष प्रयासों पर बल दिया गया।

सियासी संदर्भ और प्रतिक्रियाएं

शाह के बयान में कांग्रेस शासनकाल की आलोचना ने सियासी हलकों में चर्चा को जन्म दिया है। उनके इस दावे कि “कांग्रेस के समय आतंकी हमले बार-बार होते थे” को विपक्षी नेताओं ने अतिशयोक्ति करार दिया। राजस्थान कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा, “मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर मजबूत पहचान बनाई। शाह का बयान सियासी लाभ के लिए है।” यह बयान ऐसे समय में आया है, जब राजस्थान में BJP और कांग्रेस के बीच तनाव पहले से ही चरम पर है, खासकर हाल ही में BJP के प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल की मनमोहन सिंह पर टिप्पणी के बाद।

ऑपरेशन सिंदूर का महत्व

‘ऑपरेशन सिंदूर’, जिसका जिक्र शाह ने अपने संबोधन में किया, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था। हालांकि, इस ऑपरेशन के बारे में विस्तृत जानकारी सार्वजनिक डोमेन में सीमित है, लेकिन रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने वाली एक लक्षित कार्रवाई थी। यह ऑपरेशन भारत की ‘प्री-इम्प्टिव स्ट्राइक’ नीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो आतंकवाद के खिलाफ सक्रिय और आक्रामक रुख को दर्शाता है। शाह के बयान ने इस ऑपरेशन को भारत की मजबूत रक्षा नीति के प्रतीक के रूप में पेश किया।

सहकारी आंदोलन और राजस्थान

जयपुर के दादिया गांव में आयोजित ‘सहकार एवं रोजगार उत्सव’ का आयोजन अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के तहत किया गया था। शाह ने राजस्थान में सहकारी समितियों की भूमिका पर प्रकाश डाला, जो डेयरी और कृषि क्षेत्र में पहले से ही महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का लक्ष्य इन समितियों को डिजिटल और तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है, ताकि किसानों और छोटे उद्यमियों को अधिक लाभ मिल सके। सहकारी बैंकों को मजबूत करने, ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म वित्त उपलब्ध कराने, और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत जैसे कदमों का भी उल्लेख किया गया।